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क़ारी डॉक्टर अहमद अहमद नुऐने, मिस्र में 1954 में, ज़िला कफ्र अल-शेख के शहर मतोबिस में पैदा हुए। और अलेक्जेंड्रिया विश्वविद्यालय में चिकित्सा के संकाय में दाखिला लिया, स्नातक होने के बाद अलेक्जेंड्रिया विश्वविद्यालय के अस्पताल में काम किया। 1979 में, मिस्र के रेडियो और टेलीविजन पर एक क़ारी के रूप में नियुक्त हुए।
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ताहा बिन मुहम्मद अल-फहद: कुरआन तथा वैज्ञानिक मुतून के क़ारी हैं। एक खूबसूरत आवाज और अद्भुत प्रदर्शन के साथ प्रतिष्ठित हैं। इंटरनेट पर अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपनी ढेर सारी तिलावतों और मुतून के पाठ को इकट्ठा कर दिया। उनकी साइट का पता यह हैः http://taiser.net
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शैख अब्दुल्लाह सऊद बिन अब्दुल वहीद अस्सलफी, जामिया सलफिय्या वाराणसी - भारत के स्नातक और एक लेखक हैं, वर्तमान में जामिया सलफिय्या वाराणसी के महासचिव (नाज़िमे-आला), और उसके विभिन्न परियोजनाओं के जनरल पर्यवेक्षक हैं, जैसेकि अरबी में एक मासिक पत्रिका (सौतुल-उम्मह अर्थात् राष्ट्र की आवाज) और उर्दू में एक मासिक पत्रिका (मुहद्दिस) ।
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नाम : मुहम्मद उज़ैर बिन शम्सुल-हक़ बिन रज़ाउल्लाह जन्म का वर्षः 1957 में भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के में जन्म हुआ। अध्ययन के स्थान : मऊ शहर के मदरसा फैज़ आम में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद निम्नलिखित स्कूलों में दस साल तक नियमित शिक्षा प्राप्त कीः 1- दारुल-उलूम अहमदिया सलफिय्या, दरभंगा, बिहार। 2- दारुल-हदीस, बंगाल। 3- मदरसा रहमानिया, वाराणसी। 4- जामिया सलफिय्या, वाराणसी, 1976 में अध्ययन पूरा किया। 5- पैगंबर के शहर मदीना में इस्लामी विश्वविद्यालय के अरबी भाषा कॉलेज से वर्ष 1401 में ग्रेजुएट। 6- उम्मुल-क़ुरा विश्वविद्यालय से 1406 हि. में (हाली की कविता में अरबी का प्रभाव) के शीर्षक पर मास्टर और (भारत में अरबी कविता - एक आलोचनात्मक अध्ययन) के शीर्षक पर डॉक्टरेट किया। अध्यापक : 1. उनके पिता, शैख शम्सुल-हक़ सलफी (1406), जिनसे मुवत्ता, बुखारी और अन्य पुस्तकों का अध्ययन किया। 2. शैख मुहम्मद रईस नदवी (भारत में हदीस के एक वरिष्ठ विद्वान) 3. मुहम्मद इद्रीस रहमानी 4. अब्दुल मुईद बनारसी 5. अब्दुस्सलाम रहमानी 6. सफीउर्रहमान मुबारकी। 7. अब्दुस्सलाम मदनी 8. अब्दुन्नूर नदवी 9. अब्दुल वहीद रहमानी 11. उनके चाचा शैख ऐनुल-हक़ सलफी शैक्षिक और शोध कार्यः - अरबी और उर्दू भाषा में कई पुस्तकें लिखी हैं। - अनेक अरबी और उर्दू की किताबों पर अनुसंधान कार्य किया। - चार महीने की अवधि के लिए में खुदा बख्श खान लाइब्रेरी, पटना (भारत) में पांडुलिपियों का अनुक्रमण। - तीन साल के लिए इस्लामी विश्वविद्यालय मदीना के पुस्तकालय में। - विभिन्न अवधियों में उम्मुल-क़ुरा के पुस्तकालय में। - अरबी और उर्दू की पत्रिकाओं में ढेर सारे लेख प्रकाशित किए। - अरबी से उर्दू और इसके विपरीत कुछ किताबों के अनुवाद किए। - कुछ स्कूलों में अलग-अलग समय पर कुछ विज्ञान पढ़ाए। - भारत और विदेशों में विभिन्न सेमिनारों में लेक्चर्ज़ दिए। - कई सालों से शैख़ुल-इस्लाम इब्न तैमिय्या के बारे में एक बिब्लियोग्राफी (ग्रन्थसूची) की तैयारी में कार्य कर रहे हैं।
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मुहम्मद बिन अवज़ ज़ायद अल-हरबावीः अजहर विश्वविद्यालय, अरबी और इस्लामी अध्ययन के संकाय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। क़िराआत में मास्टर और डॉक्टरेट की डिग्री अर्जित की। अल-अजहर में कई वर्षों के लिए शिक्षक रहे। फिर सऊदी अरब में पब्लिक स्कूलों में पढ़ाने का काम किया। उनकी संकलित पुस्तको में ये शामिल हैं: अत्तस्हील फीमा यश्तबिहो अलल-क़ारी मिन आईत्तंज़ील • अज़्ज़ियायुल्लामे फी बयाने रिवायते वर्श अन नाफे • इर्शादुल क़ुर्रा इला क़िराअतिल कसाई, इत्यादि।
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औलादुल आलम नामी गांव में 1949 में जन्म हुए, अपने पिता के हाथों पर, शेख मुहम्मद आलम कोण में अपनी कुरआन की शिक्षा प्राप्त की। ज़ेलतीन, लीबिया में अल-असमरी संस्थान में दाखिला लिया, जहाँ पूरा क़ुरआन याद किया। उसके बाद, मालिक बिन अनस संस्थान में अपनी धार्मिक पढ़ाई जारी रखने के लिए, त्रिपोली के शहर गए, जहाँ प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालय की शिक्षा पूरी की। और 1972 में शिक्षक डिप्लोमा प्राप्त किया। धार्मिक सार्वजनिक शिक्षा में एक शिक्षक के रूप में काम किया, और वर्ष 1978 में इस्लामी विश्वविद्यालय (बैज़ा) में शरीयत और क़ानुन विभाग से एक वैश्विक इजाज़ा / बीए हासिल किया। तथा जामा मस्जिद बलामीन, त्रिपोली में क़ुरआन करीम के शिक्षक, और खतीब (वक्ता) और इमाम के रूप में काम किया। तथा 1994 में इस्लामी दावा के इस्लामी कॉल सोसायटी के संकाय में कुरान के एक शिक्षक के रूप में काम किया।
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अबुज़्ज़ुबैर अहमद बिन तालिब बिन अब्दुल हमीद बिन मुजफ्फर खान, 1401 हिज्री में रियाद में पैदा हुए। उन्हों ने इमाम मुहम्मद बिन सऊद इस्लामी विश्वविद्यालय, रियाद में शिक्षा अर्जित किया और वहीं से बीए की डिग्री प्राप्त की। फिर माहदुल आली लिल-क़ज़ा - तुलनात्मक धर्म-शास्त्र विभाग - से मास्टर की डिग्री अर्जित की। रमजान 1434 हिज्री में मस्जिद नबवी में तरावीह और तहज्जुद की नमाज़ में इमामत का दायुत्व दिया गया तथा बुधवार, 9 अक्टूबर, 2013 को उन्हें निरंतर आधार पर पैगंबर की मस्जिद में इमामत के लिए नियुक्ति का फरमान जारी किया गया।
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बंदर बिन अब्दुल अजीज बलीला, 1395 हि. में मक्का मुकर्रमा में पैदा हुए, और वहीं पर प्राथमिक, माध्यमिक, सेकंडरी और बैचलर की शिक्षा प्राप्त की। उम्मुल-क़ुरा विश्वविद्यालय से 1422 हि. में मास्टर की डिग्री अर्जित की। तथा मदीना इस्लामी विश्वविद्यालय से 1429 में शरीयत के संकाय से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। तायफ विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया है, 12/9/1434 हि. को मस्जिद हराम का इमाम नियुक्त किये जाने का निर्णय जारी किया गया।
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