इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब - लेख
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- इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
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- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
उसमान बिन अफ्फान रज़ियल्लाहु अन्हु के जीवन की कुछ झलकियाँ : इस लेख में मुसलमानों के तीसरे खलीफी उसमान बिन अफ्फान रज़ियल्लाहु अन्हु की जीवनी, आपकी विशेषताओं और महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में कुछ झलकियाँ प्रस्तुत की गई हैं।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम धर्म एक संपूर्ण व्यापक धर्म है जो जीवन के सभी छेत्रों को घेरे में लिये हुये है। मानव जीवन का कोई ऐसा छेत्र नहीं है जिसके बारे में इस्लाम के अंदर कोई मार्गदर्शन मौजूद न हो। प्रस्तुत लेख में इस्लामी शिष्टाचार के कुछ पहलुओं को उजागर किया गया है जिन से सुसज्जित होने का इस्लाम ने मुसलमानों को आदेश किया है, उदाहरण स्वरूप खान-पान के आदाब, सोने जागने के आदाब, बैठक और सभा के आदाब, शौच के आदाब, यात्रा के आदाब...इत्यादि।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम धर्म में सबसे सुदृढ़ और सर्वोच्च संबंध और बंधन इस्लामी भाईचारा है, इसीलिए एक मुसलमान के प्रति दूसरे मुसलमान पर अनेक अधिकार अनिवार्य हैं जिनकी पूर्ति करना हर मुसलमान का कर्तव्य है, उन्हीं में से एक कर्तव्य मुसलमान भाई की सहायता करना, संकट में उसके साथ खड़ा होना तथा उसकी सहायता पर शक्तिवान होते हुए उसको असहाय न छोड़ना है। क़ुर्आन और हदीस में इसके क्या प्रमाण हैं? पढ़िये इस लेख में।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
किसी चीज़ को मनहूस –अशुभ- समझना या उस से अपशकुन और बदफाली लेना जाहिलियत –अज्ञानता- के युज्ञ की परंपराओं में से है, जिसका इस्लाम ने खण्डन किया है और उसे अल्लाह पर दृढ़ विश्वास,संपूर्ण तवक्कुल व भरोसा के विरुद्ध घोषित किया है। जाहिलियत के समय के अरब जिन चीज़ों से अपशकुन लिया करते थे उन्हीं मे से एक इस्लामी केलेण्डर के द्वितीय मास सफर से अपशकुन लेना है,जिसका प्रभाव किसी न किसी रूप में आज तक के मुसलमानों में भी दिखायी देता है। इस लेख में इस्लामी दृश्य से इस पर प्रकाश डाला गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु के जीवन की कुछ झलकियाँ : उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ही वह दूसरे व्यक्ति है जिनका पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने पश्चात अनुसरण करने का आदेश दिया था। अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ने अपने बाद आप को ख़लीफा नामज़द किया। आप के शासन काल में अनेक प्राथमिकताएं जन्मित हुईं और बाहुल्य रूप से फुतूहात हुईं। रूम व फारिस के देश आप के कार्यकाल में पराजित किए गए और उसके खजाने आप के पास लाए गए, किन्तु आप के कपड़े पर 10 से अधिक पैवंद लगे होते थे। आप के जीवन के विषय में अधिक जानकारी के लिए यह लेख पढ़िए ।
- हिन्दी लेखक : रिसर्च डिवीज़न दारुल-क़ासिम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में मुहर्रम के महीने और विशिष्ट रूप से उसकी दसवीं तारीख (आशूरा के दिन) की फज़ीलत, महत्व और उस दिन रोज़ा रखने के अज्र व सवाब और प्रतिफल का उल्लेख किया गया है। साथ ही साथ आत्म-निरीक्षण (नफ्स के मुहासबा) के महत्व को स्पष्ट किया गया है, विशेषकर नये वर्ष के प्रारम्भ पर।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की फज़ीलतः हज्ज इस्लाम का एक महान स्तम्भ है जिसकी प्रतिष्ठा महान, जिसका अज्र व सवाब बहुत अधिक और मक़्बूल हज्ज का बदला तो केवल जन्नत ही है। इस लेख में सहीह हदीसों में वर्णित उन फज़ाइल और अज्र व सवाब का उल्लेख किया गया जो एक हज्ज और उम्रा करने वाले को प्राप्त होते हैं, इस शर्त के साथ कि उसके अन्दर उसकी स्वीकृति की शर्तें पूरी हों अर्थात् अल्लाह के लिए इख़्लास और पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज में प्रतिनिधित्वः या किसी अन्य की ओर से हज्ज करना, उन मसाइल में से है जिस के बारे में बाहुल्य रूप से प्रश्न किया जाता है। यह एक शरई हुक्म है जिसके कुछ शुरूत हैं जिनकी पूर्ति करना, और कुछ नियम हैं जिनका पालन करना और कुछ आदाब –शिष्टाचार- हैं जिन से सुसज्जित होना आवश्यक है। इस लेख में उक्त तत्वों को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की अनिवार्यता की शर्तेः इस लेख में उन शर्तों का उल्लेख किया गया है जिन के कारण हज्ज और उम्रा अनिवार्य हो जाता है, ये पाँच शर्तें हैः इस्लाम, बुद्धि, व्यस्कता़, सम्पूर्णतः आज़ादी और सामर्थ्य, तथा महिला के लिए एक अन्य विशिष्ठ शर्त उसके साथ महरम का होना है। जब ये सभी शर्तें किसी व्यक्ति के अन्दर पाई जाएं तो उस पर तुरन्त हज्ज करना अनिवार्य हो जाता है। यदि वह किसी स्थायी बीमारी, या शारीरिक विकलांगता के कारण स्वयं हज्ज करने से असमर्थ है, तो किसी अन्य व्यक्ति को, जो पहले अपना हज्ज कर चुका हो, अपनी ओर से हज्ज करने के लिए प्रतिनिधि बनाए गा।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की अनिवार्यताः हज्ज एक महान इबादत है जिसे अल्लाह तआला ने अनिवार्य किया है और उसे उन पाँच स्तम्भों में से एक स्तम्भ क़रार दिया है जिन पर इस्लाम धर्म का आधार है। इस लेख में क़ुर्आन व हदीस की दलीलों और इज्माअ की रौशनी में यह उल्लेख किया गया है कि हज्ज और उम्रा समर्थ व्यक्ति पर जीवन में एक बार अनिवार्य है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु के जीवन की कुछ झलकियाँ : अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पश्चात इस उम्मत के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं। आजीवन पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संगत में रहे और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के स्वर्गवास के बाद आप के उत्तराधिकारी -खलीफा- बनाए गए। आप के गुण-विशेषण क्या हैं\ आप के शासन काल की क्या प्राप्तियाँ हैं\ संछिप्त में पढ़िए गा इस लेख में।
- हिन्दी लेखक : एहसान अल-उतैबी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
नीयतों को संग्रह करनाः एक ही काम में कई चीज़ की नियतों करने का मस्अला बहुत महत्वपूर्ण है, जिसके विषय में अधिकांश लोग प्रश्न करते रहते हैं। इस लेख में नीयतों को संग्रह करने अथवा न करने का आधार बयान किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
ज़कातुल-फित्र के अहकामः रमज़ान के महीने की समाप्ति अल्लाह के पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुसलमानों पर ज़कातुल-फित्र निकालना अनिवार्य किया है। इस लेख में ज़कातुल-फित्र के अहकाम संछिप्त रूप में वर्णन किए गए हैं।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
लैलतुल क़द्र - एक महानतम रातः साल भर की रातों में श्रेष्ठतम और महानतम रात जिस में अल्लाह तआला ने अगना उत्तम कलाम क़ुर्आन अपने श्रेष्ठतम पैग़म्बर पर अवतरित किया, एक ऐसी रात जो 83 वर्ष से भी अधिक उच्चतर। आईये, खोजें कौन सी है यह रात और कैसे प्राप्त करें इसका सौभाग्य
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
एतिकाफ के इच्छुकों के लिए एक लाभप्रद और महत्वपूर्ण लेखः इस लेख में एतिकाफ का अर्थ, उसकी वैद्धता, उसका हुक्म़, उसकी फज़ीलत, उसका समय एंव स्थान, उसकी शर्तों, उसके उद्देश्य और उस से प्राप्त होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में उल्लेख किया गया है कि एक मुसलमान को रमज़ान जैसे महान और शुभ महीने का स्वागत किस प्रकार करना चाहिए और किस तरह इस से लाभ उठाना चाहिए।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में उल्लेख किया गया है कि शाबान के महीने की क्या फज़ीलत है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम विशिष्ट रूप से इस महीने में क्या कार्य करते थे, तथा 15वीं शाबान की रात का जश्न मनाने, विशिष्ट इबादतें करने, उस दिन रोज़ा रखने, तथा आधे शाबान के बाद रोज़ा रखने, रमज़ान से एक-दो दिन पूर्व रोज़ा रखने और शक्क के दिन में रोज़ा रखने के अह्काम स्पष्ट किए गए हैं।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
रजब के महीने को अन्य महीनों पर कोई विशेषता नहीं प्राप्त है, इसके बावजूद बहुत सारे मुसलमान विशेष रूप से इस महीने में ऐसी विभिन्न इबादतें करते हैं जिन का इस्लाम में कोई आधार नहीं है, और वह सारी चीज़ें बिद्आत की गणना में आती हैं, जिन से बचाव करना अनिवार्य है। इस लेख में रजब के महीने में की जाने वाली बिदआत का उल्लेख करते हुए खण्डन किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम के शत्रु निरंतर यह राग अलापते रहे हैं कि इस्लाम ने महिलाओं पर अत्याचार किया है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है। किन्तु यह मिथ्यारोप अतिशीघ्र ही निराधार होकर धराशायी हो जाता है जब हम इस बात से अवगत होते हैं कि इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने किस प्रकार महिलाओं को सम्मान प्रदान किया है, समस्त परिस्थितियों उन के साथ न्याय किया है और उन्हें वो अधिकार प्रदान किये हैं जिनकी वह इस से पूर्व कल्पना भी नहीं कर सकती थी। यह लेख इन्हीं तत्वों को स्पष्ट करते हुये महिलाओं के साथ पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के व्यवहार को प्रत्यक्ष करता है। .
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
वेलेंटाइन्स-डे की वास्तविकता और उसके विषय में इस्लामी दृष्टि कोण : हर वर्ष 14 फरवरी को विश्व भर मे धूम धाम से वेलेंटाइन्स-डे मनाया जाता है, किन्तु इसकी वास्तविकता क्या है और इसके विषय में इस्लामी दृष्टिकोण क्या है और एक मुसलमान के लिये इसको मनाना कैसा है, इस लेख में इन्हीं तत्वों को स्पष्ट किया गया है.