हदीसः "हामा, सफर, नौअ और ग़ूल कुछ भी नहीं है" का अर्थ

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मैं ने एक अनोखी हदीस पढ़ी है जिस में "हामा, सफर, नौअ और ग़ूल" का खण्डन किया गया है, तो इन शब्दों का क्या अर्थ है ?

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