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ابو زید ضمیر - آڈیوز

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    आमंत्रणः अल्लाह सर्वशक्तिमान ने अपने ईश्दूत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सर्व मानवजाति के लिए अपना अंतिम संदेष्टा बनाकर भेजा। यह एक ऐसे समय पर घटित हुआ जब अरब के लोग लड़कियों को जीवित गाड़ दिया करते थे, आपस में मामूली बात पर कट-मरते थे, मूर्तियों की पूजा करते थे, महिलाओं पर अत्याचार और उनका अपमान करते थे। ऐसी गंभीर परिस्थिति में, अल्लाह ने आपको मानवजाति के लिए दया व करुणा बनाकर अवतिरत किया। आप ने लोगों कों सत्य-धर्म, सफलता और सौभाग्य का मार्ग दर्शाया, उन्हें मूर्तियों की पूजा से निकालकर एकमात्र सर्वशक्तिमान अल्लाह की उपासना पर लगाया, और समाज के सभी सदस्यों के लिए उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया। अतः मानवता के लिए सौभाग्य और शांति केवल इस्लाम की शिक्षाओं में है। इस्लाम के लिए आमंत्रित करना यथाशक्ति हर मुसलमान की ज़िम्मेदारी है। हर मुसलमान को अपने इस्लाम-ज्ञान के अनुसार अल्लाह के धर्म की ओर आमंत्रण देना चाहिए, तथा उसे इसके लिए शिष्टाचार से भी सुसज्जित होना चाहिए।

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    अल्लाह सर्वशक्तिमान ने मनुष्य की रचना कर उन्हें नाना प्रकार के अनुग्रहों से सम्मानित किया है और साथ ही साथ कुछ आदेश और निषेध निर्धारित किए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है। परंतु अज्ञानता के कारण लोगों के अंदर उनके विचार, वचन और कर्म में अनेक ऐसी चीज़ें है प्रचलित हैं जो अल्लाह सर्वशक्तिमान के निकट महा पाप और जघन्य अपराध की श्रेणी में आती हैं। जबकि लोगों का हाल यह है कि वे उन्हें तुच्छ और हल्का समझते हैं, या कुछ लोग उन्हें धर्म का काम समझकर बड़ी आस्था के साथ करते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में उन्हीं हराम चीज़ों का खुलासा करते हुए, उनसे बचने का आह्वान किया गया है।

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    प्रस्तुत व्याख्यान में रमज़ान के महीने की फज़ीलत-प्रतिष्ठा और उसकी विशेषताओं पर चर्चा करते हुए, यह उल्लेख किया गया है कि रमज़ान खैर व बर्कत का महीना है, इसी महीने में सर्वमानव जाति के मार्गदशन के लिए क़ुरआन अवतरित हुआ, इसमे एक रात ऐसी है जिसका पुण्य एक हज़ार महीने की इबादत के बराबर है, और इसमें उम्रा करना हज्ज के बराबर है। तथा इस महीने की महान घड़ियों और क्षणों से भरपूर लाभ उठाने पर बल दिया गया है, और उसके रोज़ों के बारे में कोताही करने पर चेतावनी दी गई है और उसके दुष्परिणाम से अवज्ञत कराया गया है।

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    हज्ज और उम्रा के फज़ायल : प्रस्तुत व्याख्यान में हज्ज की अनिवार्यता, इस्लाम धर्म में उसके महत्व का उल्लेख करते हुए, दिव्य क़ुरआन और हदीस में हज्ज और उम्रा तथा उनके विभिन्न कार्यों के गुणविशेषण व प्रतिष्ठा का वर्णन किया गया है।