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عطاء الرحمن ضياء الله - آڈیوز

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    प्रस्तुत व्याख्यान में रमज़ान के महीने की फज़ीलत-प्रतिष्ठा और उसकी विशेषताओं पर चर्चा करते हुए, यह उल्लेख किया गया है कि रमज़ान खैर व बर्कत का महीना है, इसी महीने में सर्वमानव जाति के मार्गदशन के लिए क़ुरआन अवतरित हुआ, इसमे एक रात ऐसी है जिसका पुण्य एक हज़ार महीने की इबादत के बराबर है, और इसमें उम्रा करना हज्ज के बराबर है। तथा इस महीने की महान घड़ियों और क्षणों से भरपूर लाभ उठाने पर बल दिया गया है, और उसके रोज़ों के बारे में कोताही करने पर चेतावनी दी गई है और उसके दुष्परिणाम से अवज्ञत कराया गया है।

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    हज्ज और उम्रा के फज़ायल : प्रस्तुत व्याख्यान में हज्ज की अनिवार्यता, इस्लाम धर्म में उसके महत्व का उल्लेख करते हुए, दिव्य क़ुरआन और हदीस में हज्ज और उम्रा तथा उनके विभिन्न कार्यों के गुणविशेषण व प्रतिष्ठा का वर्णन किया गया है।

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    हज्ज का संक्षिप्त विवरण : हज्ज एक महान वैश्विक अवसर है, जिसमें दुनिया के कोने-कोने से आकर मुसलमान अल्लाह के पवित्र घर मक्का मकर्रमा में एकत्रित होते हैं ; ताकि उस महान कर्तव्य को पूरा करें जो जीवन में केवल एक बार अनिवार्य है। प्रस्तुत व्याख्यान में हज्ज की अनिवार्यता, उसकी फज़ीलत, इस यात्रा के लिए हलाल धन की आपूर्ति, तथा इसे खालिस अल्लाह के लिए और उसके पैगंबर के बताए हुए तरीक़े के अनुसार अदा करने का उल्लेख है। इसी हज्ज के निर्धारित स्थानों (मीक़ात), एहराम बांधने के समय ऐच्छिक चीज़ों, एहराम की अवस्था में वर्जित और निषिद्ध चीज़ों और संक्षेप के साथ उम्रा और हज्ज की विधि का उल्लेख किया गया है।