स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश - फत्वे
आइटम्स की संख्या: 45
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश मुफ्ती : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इफ्ता एवं वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति के विद्वानो से प्रश्न किया गया किः क्या मुसलमान के लिए ईसाइयों के साथ उनके त्योंहारों में जो ’’क्रिसमस’’ के नाम से जाना जाता है, जो दिसंबर के महीने के अंत में आयोजित किया जाता है, भाग लेने की अनुमति़ है या नहीं? हमारे यहाँ कुछ लोग ऐसे हैं जो ज्ञान से संबंध रखते हैं, परंतु वे ईसाइयों के त्योहार में उनकी बैठकों में बैठते हैं और उसके जायज़ होने की बात कहते हैं, तो क्या उनका यह कथन सही है या नहीं? और क्या उनके पास इसके जायज़ होने की कोई शरई दलील (सबूत) है या नहीं?
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इफ्ता एवं वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति के विद्वानो से प्रश्न किया गया किः अर्जेंटीना के राष्ट्रीय समारोह, जो उनके चर्चों में आयोजित किए जाते हैं जैसे स्वतंत्रता दिवस - और अरब ईसाई समारोह जैसे ईस्टर का पर्व - तो इसमें कुछ ईसाई पादरियों का स्वागत करने का हुक्म है?
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
उस आदमी का क्या हुक्म है जो ला इलाहा इल्लल्लाह की गवाही देता है, नमाज़ क़ायम करता है, परंतु ज़कात नहीं देता है और वह इससे कभी सहमत नहीं होता है ? यदि वह मर जाता है तो उसका क्या हुक्म है, क्या उसकी नमाज़ जनाज़ा पढ़ी जायेगी या नहीं ?
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नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म दिन का उत्सव मनाने का क्या हुक्म है, और क्या नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उस में उपस्थित होते हैं ॽ
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"धर्मों की एकता" के लिए निमंत्रण देने का क्या हुक्म है?
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इफ्ता एवं वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति के विद्वानो से प्रश्न किया गया किः ईसाइयों को उनके त्योहारों में बधाई देने के बारे में इस्लाम का क्या प्रावधान है ; क्योंकि मेरे मामूँ का एक ईसाई पड़ोसी है जिसे वह त्योहारों और खुशी (शादी) के अवसरों पर बधाई देते हैं और वह भी मेरे मामूँ को खुशी और त्योहार के हर अवसर पर बधाई देता है। क्या यह जायज़ है कि मुसलमान ईसाई को और ईसाई मुसलमान को उनके त्योहारों और शादियों में बधाई दे? आप मुझे शरीअत के प्रावधान से अवगत कराए, अल्लाह आपको अच्छा बदला प्रदान करे।
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मीलाद के लिए लोगों के एकत्रित होने का क्या हुक्म है जबकि उनका यह भ्रम होता है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनकी सभाओं (महफिलों) में उपस्थित होते हैं ॽ क्या यह जमावड़ा (सभा) धार्मिक दृष्टिकोण से सही है ॽ हमें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म दिन पर क्या करना चाहिए ॽ और आप का जन्म किस दिन, किस महीने और किस वर्ष हुआ और क्या नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी क़ब्र में अभी जीवित हैं या नहीं ॽ
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क्या बिदअत वाली सभाओं जैसे - मीलादुन्नबी की रात, मेराज की रात और पंद्रह शाबान की रात के उत्सवों में उस व्यक्ति के लिए उपस्थित होना जायज़ है, जो उनके अवैध होने का अक़ीदा रखता है ताकि वह उसके बारे में सच्चाई को बयान करे ॽ
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क्या ग़ैरमुस्लिमों के त्योहारों में भाग लेना जाइज़ है, उदाहरण के तौर पर जन्मदिवस के त्योहार में؟
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क्या रोज़ा छोड़ देने वाला काफिर (नास्तिक) हो जाये गा ? जबकि वह नमाज़ पढ़ता है और बिना किसी बीमारी या कारण (शरई उज़्र) के रोज़ा तोड़ देता है।
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इस बारे में बहुत प्रश्न किया जाने लगा है कि यदि ईद का दिन जुमा के दिन पड़ जाए। चुनाँचे दो ईदें एक साथ हो जाएं: ईदुल फित्र या ईदुल अज़हा, जुमा की ईद के साथ एकत्रित हो जाए जो कि सप्ताह की ईद है, तो क्या ईद की नमाज़ में उपस्थित होने वाले पर जुमा की नमाज़ अनिवार्य है या कि ईद की नमाज़ उसके लिए पर्याप्त होगी और वह जुमा के बदले ज़ुहर की नमाज़ प़ढ़ेगा? और क्या मस्जिदों में ज़ुहर की नमाज़ के लिए अज़ान दी जायेगी या नहीं? इसके अलावा प्रश्न में वर्णित अन्य बातें। इस पर वैज्ञानिक अनुसंधान और इफ्ता की स्थायी समिति ने यह फत्वा जारी किया हैः
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हमारे देश में कुछ विद्वानों का भ्रम यह है कि इस्लाम धर्म में एक नफल नमाज़ है जो सफर महीने के अंत में बुध के दिन चाश्त के समय एक सलाम के साथ चार रकअत पढ़ी जाती है जिसमें हर रकअत के अंदर सूरतुल फातिहा, सत्तरह बार सूरतुल कौसर, पचास बार सूरतुल इख्लास, एक-एक बार मुअव्वज़तैन (यानी सूरतुल फलक़ और सूरतुन्नास) एक-एक बार पढ़े, इसी तरह हर रकअत में किया जाए और सलाम फेर दिया जाए। सलाम फेरने के बाद तीन सौ साठ बार यह आयत पढ़ें: ﴿وَاللَّهُ غَالِبٌ عَلَى أَمْرِهِ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لاَ يَعْلَمُونَ﴾ तथा तीन बार जौहरतुल कमाल (तीजानी पद्वति का एक वज़ीफा) पढ़े, तथा अंत में ﴿سبحان ربك رب العزة عما يصفون وسلام على المرسلين والحمد لله رب العالمين﴾ और गरीबों को कुछ रोटी दान करे। इस आयत की विशेषता उस आपदा को दूर करना है जो सफ़र के महीने के अंतिम बुध को उतरती है। तथा उनका कहना है कि: हर वर्ष तीन लाख बीस हज़ार आपदाएं अवतरित होती हैं और ये सब की सब सफर के महीने की अंतिम बुध को उतरती हैं। इस तरह वह वर्ष का सबसे कठिन दिन होता है। अतः जो व्यक्ति इस नमाज़ को उक्त तरीक़े पर पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे अपनी अनुकम्पा से उन सभी आपदाओं से सुरक्षित रखेगा जो उस दिन में उतरती हैं। तो क्या इसका यही समाधान है या नहीं ?
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हमने सुना है कि ऐसी मान्यताएं पाई जाती हैं जिसका आशय यह है कि सफर के महीने में शादी, खतना और इसके समान अन्य चीज़ें करना जायज़ नहीं है। कृपया हमें इस बारे में इस्लामी क़ानून के अनुसार अवगत कराएं। अल्लाह आप की रक्षा करे।
- हिन्दी
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कुछ विद्वानों का कहना है कि जिन नक़दी धनों में ज़कात अनिवार्य है उन का निसाब (यानी ज़कात के अनिवार्य होने की न्यूनतम मात्रा) यह है कि वह 56 (छप्पन) सऊदी रियाल के बराबर हो जाए। किंतु कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि यह निसाब एक ऐसे समय में निर्धारित किया गया था जब लोगों के हाथों में मुद्रा कम थी, लेकिन आज सोने और चाँदी की क़ीमत बदल गर्इ है, जबकि ज्ञात रहे कि अतीत में 56 रियाल आजकल के दो हज़ार सऊदी रियाल (2000) के बराबर है, तो इस मुद्दे में निर्णायक हुक्म क्या है ?
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मुझे रजब के महीने में एक राशि प्राप्त हुर्इ, और मैं रमज़ान के महीने में उसकी ज़कात निकालना चाहता हूँ, तो क्या यह वैध है ? और इसका कारण यह है कि रमज़ान के महीने में ज़रूरतमंदों का पता चलता है।
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क्या ज़कात के माल से या क़ुर्बानी के दिन क़ुर्बानी के गोश्त से अनेकेश्वरवादी नास्तिक पड़ोसी को, जिसके और आपके बीच कोर्इ रिश्तेदारी नहीं है, देना जायज़ है ?
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क्या ज़कात को रूपये (नक़द), या गेहूँ, या चावल, या किसी भी अनाज की शक्ल में दिया जा सकता है ? क्या उसे नक़द मुद्रा के रूप में देना जायज़ है ? क्या उस धन में ज़कात अनिवार्य है जिसके द्वारा वह व्यापार करने की इच्छा रखता है, और अगर उस धन की ज़कात निकाली जायेगी तो वह उसकी कितनी ज़कात निकालेगा ? अल्लाह तआला आपकी उस चीज़ के लिए रक्षा करे जिसमें इस्लाम और मुसलमानों का कल्याण है।
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क्या इंसान का खड़े होकर पेशाब करना निषेध है या वैधॽ
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हम अंग्रेजी शौचालयों का प्रयोग करते हैं तो क्या यह जायज़ हैॽ