अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह - ऑडियो
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सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम की महानताः प्रस्तुत व्याख्यान में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सम्मानित सहाबा रज़ियल्लाह अन्हुम की महानता व प्रतिष्ठा का उल्लेख किया गया है। ये लोग इस उम्मत की पहली पीढ़ी हैं, जिन्हें अल्लाह ने अपने पैगंबर की संगति और इस महान धर्म की रक्षा तथा उसके प्रसार-प्रचार के लिए चयन किया। सहाबा के बारे में शीया संप्रदाय की नीति व व्यवहार ग़लत मात्र है, पवित्र क़ुरआन के स्पष्ट प्रमण इसका खण्डन करते हैं।
- हिन्दी वक्ता : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस ऑडियो में इस बात का उल्लेख किया गया है किस तरह मानव समाज में ईश्दूतों के अवतरण की शुरूआत हुई और विकास करते हुए एक महान संदेष्टा के ईश्दूतत्व पर संपन्न हो गयी - और वह समस्त ईश्दूतों व संदेष्टाओं के नायक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं। तथा ईश्दूतत्व के संक्षेप इतिहास का वर्णन करते हुए हमारे अंतिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व, उनके अवतरण के समय धार्मिक व सामाजिक स्थितियों, उनके गुणों, पवित चरित्र, जीवन की घटनाओं, कठिन परिस्थियों, उनकी जाति के लोगों का आपके साथ दुर्व्यवहार और आपका उनके साथ सदव्यवहार का उल्लेख किया गया है। इसी तरह पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व की सच्चाई, उसके प्रमाणों का चर्चा करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि आप पर ईश्दूतत्व का समापन हो जाता है। अतएव, आप अब परलोक तक सर्वमानवजाति के लिए अल्लाह के ईश्दूत व संदेष्टा हैं और सबके लिए आपका अनुपालन करना अनिवार्य है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इसलाम के सिद्धान्त : इस ऑडियो में इस्लाम धर्म के नामकरण का कारण, इस्लाम शब्द का अर्थ, इस्लाम और कुफ्र की वास्तविकता, कुफ्र की हानियाँ और उसके दुष्ट परिणाम तथा इस्लाम में प्रवेश करने के लाभ का चर्चा करते हुए, यह स्पष्ट किया गया है कि मनुष्य को अल्लाह के आज्ञापालन के लिए, अल्लाह के अस्तित्व, उसके गुणों और पसंदीदा तरीक़ों को जानने की ज़रूरत है। तथा उसके इस ज्ञान को विश्वास व यक़ीन के सर्वोच्च स्तर पर पहुँचा हुआ होना चाहिए। तथा मनुष्य को इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए स्वयं कोशिश नहीं करनी है, बल्कि अल्लाह ने अपने कुछ बंदों को इस मकान कार्य के लिए स्वयं चयन कर लिया है, और उन्हें यह ज्ञान प्रदान करके, उसे अपने सभी बंदों तक पहुँचाने का आदेश दिया है। अब बंदों को चाहिए के अल्लाह के चयनित सत्यवादी संदेष्टाओं को पहचानें, उन पर ईमान लायें, उनकी बातों को सुनों और उनकी शिक्षाओं और निर्देशों के अनुसार जीवन बितायें। इसके अलावा मनुष्य के लिए अल्लाह की अज्ञाकारिता का कोई अन्य रास्ता नहीं है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस ऑडयिों में उन बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें ईमान लाने का आदेश दिया है, और उनमें सर्व प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण अल्लाह पर ईमान लाना अर्थात ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ का इक़रार करना है। जिस पर इस्लाम की आधारशिला है, और जिसके द्वारा एक मुसलमान के बीच और एक काफिर, मुश्रिक और नास्तिक के बीच अंतर होता है। लेकिन केवल इस कलिमा का उच्चारण मात्र ही काफी नहीं है, बल्कि उसके अर्थ और भाव पर पूरा उतरना ज़रूरी है। इसी तरह ‘इलाह’ (पूज्य) का अर्थ और ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ की वास्तविकता का उल्लेख करते हुए, मानव जीवन में इस कलिमा के प्रभावों का उल्लेख किया गया है। अंत में उन अवशेष बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर ईमान लाने का पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें आदेश दिया है, और वे : अल्लाह के फरिश्तों, उसकी पुस्तकों, उसके पैगंबरों, परलोक के दिन, और अच्छी व बुरी तक़्दीर (भाग्य) पर ईमान लाना, हैं।
- हिन्दी
लोगों ने अल्लाह के स्वच्छ धर्म में जो चीज़ें गढ़ ली हैं उन में से एक पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म दिवस के अवसर पर बड़े धूम-धाम से जश्न मनाना और समारोह आयोजित करना है। इस औडियो में इस परंपरा का खुलासा किया गया है, उसकी वास्तविकता को उजागर करते हुए उसे अनाधार और धार्मिक दृष्टिकोण से अवैध घोषित किया गया है. तथा पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की संछिप्त जीवनी, गैर मुस्लिमों की दृष्टि में आप की महानता, पद और स्थान, आप की आज्ञाकारिता की अनिवार्यता़ का उल्लेख करते हुए, जीवन के सभी छेत्रों आप का अनुसरण करने पर विशेष बल दिया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
शबे-बरात की वास्तविकता : वर्तमान समय में मुसलमानों के अंदर बिदनतों का बाहुल्य और भरमार है, जिनके दुष्ट परिणाम उनके जीवन में जगज़ाहिर हैं, जबकि परलोक में उन्हें कठोर अपमान, तिरस्कार और ह़ौज़े-कौसर से निराशा का सामना करना होगा। मुसलमानो में बिदअतों के प्रचलन के कुछ कारण हैं। इस आडियो में कुछ कारणों का उल्लेख करते हुए शाबान के महीने में प्रचलित एक निंदित बिदअत शबे-बरात की हक़ीक़त का खुलासा किया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
दंपती के बीच विवादः दंपती के बीच विवाद अपरिहार्य है, और शायद ही कोई घर है जो इससे खाली हो। लेकिन इस विवाद के कारणों और कारकों को समझकर इन मतभेदों का उचित समाधान खोजना, वैवाहिक किंगडम के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए सबसे सुरक्षित तरीका है। इस प्रवचन में, दंपती के बीच विवाद के कुछ कारणों और उनके शरई समाधान, तथा वैवाहिक विवाद से निपटने के लिए कुछ सुझावों का वर्णन किया गया है।
- हिन्दी वक्ता : अबू ज़ैद ज़मीर संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
मुहर्रम के महीने के प्रावधानः इअल्लाह का महीना मुहर्रमुल-हराम एक महान और हुर्मत वाला महीना है, जिसे अल्लाह तआला ने आकाश एवं धरती की रचना करने के समय ही से हुर्मत –सम्मान एवं प्रतिष्ठा- वाला घोषित किया है, तथा यह हिज्री-वर्ष का प्रथम महीना है। प्रस्तुत व्याख्यान में इस महीने की विशेषता तथा इस में धर्मसंगत रोज़े का उल्लेख किया गया है। मुहर्रम के महीने के प्रावधानः इअल्लाह का महीना मुहर्रमुल-हराम एक महान और हुर्मत वाला महीना है, जिसे अल्लाह तआला ने आकाश एवं धरती की रचना करने के समय ही से हुर्मत –सम्मान एवं प्रतिष्ठा- वाला घोषित किया है, तथा यह हिज्री-वर्ष का प्रथम महीना है। प्रस्तुत व्याख्यान में इस महीने की विशेषता तथा इस में धर्मसंगत रोज़े का उल्लेख किया गया है। इसी तरह आशूरा के बारे में वर्णित कमज़ोर व मनगढ़त हदीसों पर चेतावनी दी गई है।
- हिन्दी वक्ता : ज़फरुल हसन मदनी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हरमैन की महानता और मुसलमानों की ज़िम्मेदारी : प्रस्तुत व्याख्यान में हरमैन शरीफैन की महानता का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि हरमैम शरीफैन की रक्षा और बचाव करना सभी मुसलमानों की जिम्मेदारी है। साथ ही साथ भारतीय उप-महाद्वीप के अह्ले-हदीस विद्वानों के किंग अब्दुल अजीज के साथ हरमैन के मुद्दों पर समर्थन और सहयोग के कुछ उदाहरणों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी वक्ता : अबू ज़ैद ज़मीर संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
ज़ुल-हिज्जा के दस दिनों की फज़ीलत : प्रस्तुत आडियो में दुनिया के सर्वोत्तम दिह ज़ुलहिज्जा के पहले दस दिनों की फज़ीलत, और उनमें धर्मसंगत कार्यों का उल्लेख किया गया है। विशेषकर अरफा के दिन के रोज़े की फज़ीलत का वर्णन किया गया है जिससे अगलेऔर पिछले दो वर्ष के पाप माफ कर दिए जाते हैं।
- हिन्दी वक्ता : अबू ज़ैद ज़मीर संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
प्रस्तुत आडियो में रमज़ान के महीने की महान घड़ियों और क्षणों से भरपूर लाभ उठाने पर बल देते हुए, रमज़ान के महीने की शुरूआत और उसके प्रवेष करने के सबूत का वर्णन किया गया है, और यह स्पष्ट किया गया कि रमज़ान के महीने के आरंभ होने की प्रामाणिकता रमज़ान का चाँद देखने या उसके देखे जाने पर एक विश्वस्त आदमी की गवाही का होना, और यदि किसी कारण चाँद न दिखाई दे तो शाबान के तीस दिन पूरे करना है। तथा रमज़ान से पहले उसके अभिवादन के तौर पर एक दो दिन रोज़ा रखना धर्मसंगत नही है। इसी तरह इसमें नीयत की अनिवार्यता, नीयत का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि नीयत ज़ुबान से करना धर्मसंगत नही है।
- हिन्दी वक्ता : अबू ज़ैद ज़मीर संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
वर्तमान समय में कुछ मुसलमानों के बीच प्रचलित बिदअतों में से एक घृणित बिदअत : पंद्रह शाबान की रात का जश्न मनाना है, जिसे अवाम में शबे-बराअत के नाम से जाना जाता है और उसमें अनेक प्रकार की शरीअत के विरुद्ध कार्य किए जाते हैं, जिनके लिए ज़ईफ़ और मनगढ़त हदीसों का सहारा लिया जाता है। इस आडियो में पंद्रह शाबान की रात के बारे में वर्णित हदीसों का चर्चा करते हुए, उनकी हक़ीक़त से पर्दा उठाया गया है।
- हिन्दी वक्ता : फैज़ुल्लाह अल-मदनी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
ज़ुल-हिज्जा के दस दिनों के कार्य : अल्लाह सर्वशक्तिमान की महान कृपा व अनुकम्पा और दानशीलता है कि उसने अपने दासों के लिए नेकियाँ कमाने और पुण्य प्राप्त करने अनेक रास्ते और अवसर प्रदान किए हैं। ज़ुल-हिज्जा के महीने प्राथमिक दस दिन नेकियों का महान अवसर और पर्व है। प्रस्तुत व्याख्यान में ज़ुल-हिज्जा के महीने के प्राथमिक दस दिनों की प्रतिष्ठा और उनके अन्दर वर्णित कार्यों, जैसे- हज्ज और उम्रा की अदायगी, रोज़े रखना - विशेषकर अरफा के दिन का रोज़ा जो दो साल के पापों का प्रायश्चित है-, क़ुर्बानी करना, अधिक से अधिक अल्लाहु अक्बर, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्हम्दुलिल्लाह कहना तथा आज्ञारिता के अन्य कार्य करने, का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी वक्ता : फैज़ुल्लाह अल-मदनी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
नेकियों पर स्थिरताः अल्लाह तआला ने बन्दों को मात्र अपनी उपासना के लिया पैदा किया है और उन्हें अपनी आज्ञाकारिता का आदेश दिया है, और मृत्यु से पहले इसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं किया है, बल्कि उन्हें मृत्यु के आने तक नेक कार्यों पर जमे रहने का आदेश दिया है। हमारे सन्देष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम तथा पुनीत पूर्वजों का यही तरीक़ा था कि वे इस पहलू पर काफी ध्यान देते थे। प्रस्तुत व्याख्यान में निरंतर नेक कार्य करने और पूजा कृत्यों पर जमे रहने पर बल दिया गया है, यहाँ तक कि आदमी की मृत्यु आ जाए, और इस दुनिया में उसका अन्त अच्छे कार्यों पर हो ताकि परलोक के दिन इसी हालत में उसे उठाया जाए। इसी तरह उन नाम-निहाद औलिया का खण्डन किया गया है जो झूठमूठ यह दावा करते हैं कि वे इस स्तर पर पहुँच गए हाँ जहाँ उनके लिए शरीअत की प्रतिबद्धता समाप्त हो जाती है!!!
- हिन्दी वक्ता : फैज़ुल्लाह अल-मदनी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
रोज़े की रक्षाः रोज़ा मात्र खाना पानी छोड़ देने, या कुछ रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों से रुक जाने का नाम नहीं है। बल्कि वास्तविक रोज़ा गुनाहों से रुक जाने, उनसे दूर रहने का नाम है। प्रस्तुत व्याख्यान में, इस पवित्र महीने में गुनाहों में पड़ने से चेतावनी देते हुए, झूठ, हराम (निषिद्ध) चीज़ों को देखने, सुनने, बोलने और करने से रोज़े को सुरक्षित रखने पर ज़ोर दिया गया है। विशेषकर पाँच समय की दैनिक नमाज़ों मे कोताही व लापरवाही करने से सावधान किया गया है, जिसके बारे में शरीअत में कड़ी चेतावनी आई है। इसी तरह, रोज़े के अलावा रमज़ान के महीने में अन्य एच्छिक कार्यों जैसे- तरावीह की नमाज़, क़ियामुल्लैल और अधिक से अधिक क़ुरआन करीम का पाठ करने का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी वक्ता : मक़्सूदुल हसन फैज़ी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
रमज़ान के स्वर्ण अवसर को गनीमत समझोः अल्लाह का अपने बन्दों पर बहुत बड़ उपकार है कि उसने उन्हें प्रतिष्ठित वक़्तों और उपासना के महान अवसरों से सम्मानित किया है ; ताकि वे अधिक से अधिक सत्कर्म कर कर सकें और दुष्कर्मों से पश्चाताप कर सकें। उन्हीं में से एक महान अवसर रमज़ानुल मुबारक का महीना है। यह एक ऐसा महान और सर्वश्रेष्ठ महीना है जिसे पाने के लिए हमारे पुनीत पूर्वज छः महीना पहले से ही दुआ किया करते थे और उसका अभिवादन करने के लिए तत्पर रहते थे। जब यह महीना आ जाता तो वे अल्लाह की आज्ञाकिरता के कामों में जुट जाते और कठिन परिश्रम करते थे। लेकिन आज के मुसलमान इस महीने के महत्व से अनभिज्ञ हैं या लापरवाही से काम लेते हैं और इस महीने को अन्य महीनों के समान गुज़ार देते हैं, उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आता है। इसीलिए अल्लाह ने ऐसे व्यक्ति को अभागा घोषित किया है! प्रस्तुत व्याख्यान में रमज़ान के महीने की फज़ीलत-प्रतिष्ठा पर चर्चा करते हुए, इस महीने की महान घड़ियों और क्षणों से भरपूर लाभ उठाने पर बल दिया गया है, तथा रमज़ान के रोज़ों के बारे में कोताही करने पर कड़ी चेतावनी दी गई है और उसके दुष्परिणाम से अवज्ञत कराया गया है।
- हिन्दी वक्ता : फैज़ुल्लाह अल-मदनी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
रमज़ान का मुबारक महीना, नेकी वभलाई के महान और सर्वश्रेष्ठ अवसरों में से है। प्रस्तुत आडियो में रमज़ान के महीने की फज़ीलत-प्रतिष्ठा पर चर्चा करते हुए, रमज़ान के महीने की शुरूआत और उसके प्रवेष करने के सबूत का वर्णन किया गया है, और यह स्पष्ट किया गया कि रमज़ान के महीने के आरंभ होने की प्रामाणिकता रमज़ान का चाँद देखने या उसके देखे जाने पर एक विश्वस्त आदमी की गवाही का होना, और यदि किसी कारण चाँद न दिखाई दे तो शाबान के तीस दिन पूरे करना है। तथा रमज़ान से पहले उसके अभिवादन के तौर पर एक दो दिन रोज़ा रखना धर्मसंगत नही है।