इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब - लेख
आइटम्स की संख्या: 65
- मुख्य पृष्ठ
- अग्र-भाग की भाषा : हिन्दी
- व्यक्तित्व
- इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
- लेख
- सभी भाषाएँ
- सभी भाषाएँ
- अंग्रेज़ी
- अफर
- अमहरी
- अरबी
- अर्मेनियाई
- अलबानी
- आसामी
- इटालियन
- इन्डोनेसी
- उज़बकी
- उर्दू
- ऐगोरी
- ओरोमो
- कज़ाखी
- कन्नड़
- करगीज़ी
- किनयारवान्डा
- कुर्दी
- कोरियन
- गुजराती
- चीनी
- चेक़
- जर्मन
- जापानी
- डच
- तगालू
- तमिल
- ताजिकिस्तानी
- तिजरीनी
- तिलगू
- तुर्कमेन
- तुर्की
- थाईलेंडी
- दरी फ़ारसी
- नेपाली
- पुर्तगाली
- पुश्तू
- फरांसीसी
- फुलानी
- बंगाली
- बोसनियन
- मलयालम
- महल
- मूर्स
- यूक्रेनी
- यूगंडी
- यूनानी
- यूरोबा
- रूमानी
- रूसी
- लिथुआनियाई
- वलूफ
- वीयतनामी
- शेरकेसियन भाषा
- संजू
- सर्बियाई
- सवाहिली
- सिंहाली
- सूमाली
- स्पेनी
- हंगरियन
- हिन्दी
- हौसा
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह शव्वाल के महीने और उसके छः दिनों के रोज़े से संबंधित संक्षिप्त प्रावधान हैं, जिन्हें आदरणीय शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ और अल्लामा मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुमल्लाह के फतावा संग्रह से चयन कर प्रस्तुत किया गया है।
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
बहुत से मुसलमान जानते हुए या अनजाने में गैर-मुस्लिमों के अनेक त्योहारों और धार्मिक पर्वों में भाग लेते हैं, जिनमें से एक नए साल का जश्ना मनाना भी है। इस अवसर पर वे एक दूसरे को नए वर्ष की बधाई देते हैं, बधाई कार्ड तथा उपहार भेंट करते हैं। प्रस्तुत लेख में इस्लामी दृष्टिकोण से इसका प्रावधान उल्लेख किया गया है और मुसलमान को इस तरह के अवसरों से दूर रहने की चेतावनी दी गई है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह की पत्रिका ‘‘अहकामुल उज़हियाति वज़्ज़कात’’ का एक अध्याय है, जिसके अंदर क़ुर्बानी के विषय में बुनियादी उसूल का उल्लेख किया गया है और वह यह है कि क़ुर्बानी ज़िन्दा लोगों की तरफ से धर्मसंगत है। लेकिन इस समय बहुत से लोग ज़िन्दों को छोड़कर, मरे हुए लोगों की तरफ से क़ुर्बानी करते हैं। प्रस्तुत लेख में मरे हुए लोगों की तरफ से क़ुर्बानी की हालतों पर चर्चा किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुह क़ाइद अज़-ज़रीबी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में कुछ शिष्टाचार उल्लेख किए गए हैं जिनसे एक हाजी को हज्ज करने से पहले सुसज्जित होना ज़रूरी है।
- हिन्दी
अल्लाह तआला की महान कृपा और उपकार है कि उसने अपने बन्दों के लिए ऐसे नेकियों के मौसम और अवसर निर्धारित किये हैं जिन में वे अधिक से अधिक नेक कार्य करके अपने पालनहार की निकटता प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं। उन्हीं महान मौसमों और महत्वपूर्ण अवसरों में से एक ज़ुलहिज्जा के प्राथमिक दस दिन भी हैं, जिन्हें पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दिन बतलाए हैं। प्रस्तुत लेख में ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उनसे संबंधित कुछ प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : एहसान अल-उतैबी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
प्रस्तुत लेख एक महत्वपूर्ण मुद्दे के वर्णन पर आधारित है जिसके बारे में, विशेषकर शव्वाल के महीने में, अधिक प्रश्न किया जाता है, और यह मुद्दा ’’एक ही कार्य में कई नीयतों को एकत्रित करना’’ है।
- हिन्दी लेखक : हुमाम बिम अब्दुर्रहमाम अल-हारिसी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस उम्मत पर अल्लाह सर्वशक्तिमान की यह अनुकम्पा और अनुग्रह है कि उसने इसे सबसे अंतिम और सबसे श्रेष्ठ उम्मत बनाया है, तथा इस उम्मत के पैगंबर को समस्त ईश्दूतों और संदेष्टाओं में श्रेष्ठतम और उन सबकी अंतिम कड़ी बनाया है। और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मोहब्बत को धर्म क़रार दिया है जिसके द्वारा हम अल्लाह सर्वशक्तिमान की उपासना व आराधना करते हैं, और उसके द्वारा उसकी निकटता चाहते हैं। प्रस्तुत लेख में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मोहब्बत पर नफ्स के प्रशिक्षण और पालन पोषण के तरीक़े के बारे में चर्चा किया गया है। साथ ही साथ क़ियामत के दिन पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शफाअत की प्राप्ति के कुछ कारणों का भी उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुलहमीद बिन जाफर दाग़िस्तानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में अपशकुन व निराशावाद का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि यदि मुसलमान के दिल में अपशकुन पैदा हो जाए तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। तथा इस बात पर प्रकाश डाली गई है कि सफर के महीने से अपशकुन लेना जाहिलियत के समयकाल की प्रथा है, इस्लाम धर्म में उसकी कोई वास्तविकता नहीं है।
- हिन्दी लेखक : हमूद बिन अब्दुल्लाह इब्राहीम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
अपशकुन लेना एक पुरानी प्रथा है जिसके विभिन्न समाजों में विभिन्न रंग व रूप पाए जाते हैं। इस्लाम धर्म की दृष्टि से यह एक घृणित प्रथा है जिसका इस्लाम ने खण्डन किया है और उसे निषिद्ध ठहराया है, तथा इस बात को स्पष्ट किया है कि उसका किसी चीज़ के लाभ व हानि में कोई प्रभाव नहीं है। बल्कि मनुष्य को जीवन के सभी मामलों में आशावादी रहने की शिक्षा दी है और उसकी रूचि दिलाई है। प्रस्तुत लेख में अच्छा फाल –शकुन-, आशावाद के रूप, निराशावाद व अपशकुन की वास्तविकता, इस्लाम धर्म में उसके निषेद्ध, अरब एवं गैर अरब समाज में उसके रंग व रूप, और निराशावाद की हानियों और आशावाद के लाभ का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन बक़नह शहरानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में हाजियों के लिए हज्ज के महान कर्तव्य की अदायगी के बाद कुछ वसीयतें प्रस्तुत की गई हैं जिनका पालन करना हाजी के लिए अति उचित है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल्लाह बिन अहमद आल-अल्लाफ अल-गामिदी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत पुस्तिका में हाजियों के लिए हज्ज के छः दिनों के काम संक्षेप में उल्लेख किए गए हैं, जिसका आरंभ ज़ुल-हिज्जा की 8वीं तारीख से होता है और तश्रीक़ के अंतिम दिन 13वीं ज़ुल-हिज्जा को संपन्न हो जाता है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
रमज़ान का महीना हम से रूख्सत हो गया और उसकी मुबारक घड़ियाँ समाप्त होगईं, लाभ उठानेवालों ने इससे लाभ उठाए और कितने लोग घाटे और टूटे में रहे, हम नहीं जानते कि कौन लाभान्वित है कि उसे बधाई दें और कौन घाटे में रहा कि उसे सांत्वना दें। भाग्यशाली है वह व्यक्ति जिसने इस महीने से भरपूर लाभ उठाया और रमज़ान उसके हक़ में गवाही देनेवाला बन गया ! दुर्भाग्यपूर्ण और सांत्वना के योग्य है वह व्यक्ति जिसने इस महीने को नष्ट कर दिया या इसमें लापरवाही और कोताही से काम लिया ! लेकिन अब रमज़ान के बाद, एक मुसलमान को क्या करना चाहिए ॽ इस लेख में इसी बात को स्पष्ट करने का सुप्रयास किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा के शिष्टाचारः प्रस्तुत लेख में कुछ ऐसे शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है जिनसे हज्ज या उम्रा करने वाले को सुसज्जित होना चाहिए।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल मलिक अल-क़ासिम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख मे इस्लामी जन्त्री के अन्तिम महीने ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उन नेक कामों का उल्लेख किया गया है जिन्हें इन दिनों में करना उचित है। साथ ही साथ इन दस दिनों में घटित होने वाली एक महत्वपूर्ण इबादत क़ुर्बानी और एक महान पर्व ईदुल अज़हा के अहकाम का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
पवित्र क़ुर्आन मानवता के नाम अल्लाह का सर्व कालिक और अन्तिम संदेश है, जो मानवता की लौकिक और पारलौकिक हितों के मार्गदर्शन पर आधारित है, जो सत्य और असत्य, मार्गदर्शन और पथभ्रष्टता, सौभाग्य और दुर्भाग्य के बीच अन्तर स्पष्ट करता है। वह महीना जिस में मानवता को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ, वह रमज़ान का ही शुभ महीना है। इसलिये हमारे अति उचित है कि हम विशेष रूप इस मुबारक महीने में इस महान ग्रंथ का पाठ करने, उसे पढ़ने-पढ़ाने, सीखने-सिखाने, उसमें मननचिंतन करने और उसके अनुसार कार्य करने पर भरपूर ध्यान दें। इस पर हमें क्या लाभ मिलेगा ? पढ़िये इस लेख में।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख मे तरावीह की नमाज़ का हुक्म, उसकी फज़ीलत, उसकी रक्अतों की संख्या और उसकी अदायगी का मस्नून तरीक़ा उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम के गुणों में से एक महान गुण यह भी है कि उसने लोगों की आवश्यकताओं और उनकी परिस्थितियों का बहुत ध्यान रखा है और जहाँ भी उन्हें कठिनाई और कष्ट का सामना होता है, वहाँ उनके लिए आसानी का नियम और संविधान पस्तुत करता है, उन्हीं में से एक बीमार और मुसाफिर के रोज़े का मस्अला भी है। इस लेख मे बीमार और मुसाफिर के रोज़े का हुक्म तथा बीमारी और सफर के विभिन्न प्रकार उल्लेख किये गये है जिनमें उनके लिए रोज़ा तोड़ने की रूख्सत प्राप्त होती है या उन्हें इसकी छूट नहीं मिलती है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
रोज़ा –व्रत-जिसे अल्लाह तआला ने अपने बंदों पर अनिवार्य किया है, उसके अंदर बहुत बड़ी तत्वदर्शिता और ढेर सारे फायदे और लाभ हैं, जिन से एक रोज़ा रखने वाला लाभान्वित होता है। इस लेख में इसी का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में क़ुरआन, हदीस और मुसलमानों की सर्वसम्मति के द्वारा रोज़े का हुक्म, तथा किन लोगों पर रोज़ा अनिवार्य है और इस फ़रीज़ा का इनकार करने वाले का हुक्म उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : नाईफ बिन अहमद बिन अली अलहमद अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह लेख यात्रा से संबंधित कुछ अहकाम पर आधारित है, जिस में इस्लामी दृष्टिकोण से यात्रा के प्रकार, यात्री को यात्रा के कारण प्रदान की जाने वाली रूख्सतें और आसानियाँ, सफर की रूख्सतों से लाभान्वित होने की शर्तें, सफर के आदाब और ग़ैर इस्लामी देशों का सफर करने की शर्तों पर प्रकाश डाला गया है।