अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह - किताबें
आइटम्स की संख्या: 93
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह लेखक : सलीम साजिद मदनी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : सलीम साजिद मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस पुस्तक में रोज़े से संबंधित समस्त अहकाम व मसाईल तथा रोज़ा, एतिकाफ, रोज़े की क़ज़ा एंव कफ्फारा तथा इन से संबंधित आधुनिक मसाईल पर 70 से अधिक फतावे उल्लिखित हैं।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
दस ऐसी बातें हैं जिन में से प्रत्येक मनुष्य को इस्लाम से निष्कासित ‹खारिज› कर देती हैं, जिन्हें इस्लाम के नवाक़िज़ कहते हैं, इस पुस्तिका में उन्हीं नवाक़िज़ का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
रमज़ान मुबारकः इस पुस्तक में रमज़ान के महीने की विशेषता, रोज़े के गुण एवं लाभ, रोज़े का अर्थ और उसका हुक्म, रमज़ान के महीने के शुरू होने के सबूत, रोज़े की शर्तें, उसके स्तंभ, उसके शिष्टाचार, तथा रोज़े में उज़्र वाले लोगों, रोज़े में हराम चीज़ें, नफली रोज़े, रमज़ान में अफज़ल व पसंदीदा काम, ज़कातुल फित्र, ईद के शिष्टाचार इत्यादि का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : नसीम ग़ाज़ी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
दुश्मनों के क्या अधिकार हैं? अज़ान और नमाज़ के संबंध में अनभिगता के कारण बड़ी भ्रान्तियाँ पाई जाती हैं। यह बात उस समय और दुखद हो जाती है जब बिना सही जानकारी के इस्लाम की इस पवित्र एवं कल्याणकारी उपासना के संबंध में निसंकोच अनुचित टीका-टिप्पणी तक कर दी जाती है और उसके बारे में सही जानकारी प्राप्त करने का कष्ट तक नहीं किया जाता है। बहुत से लोग अज्ञानतावश यह समझते हैं कि अज़ान में ’अकबर बादशाह’ को पुकारा जाता है! कबीरदास जैसे संत तक ने भी अपनी अनभिज्ञता के कारण अज़ान के संबंध में कह डाला: कंकर पत्थर जोर के मस्जिद लिया बनाय । तापे मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय ।। इस पुस्तिका में नमाज़ का महत्व और अज़ान तथा नमाज़ का मूल अर्थ बताया गया है। ताकि इनका सही स्वरूप जनसामान्य के सामने आ सके और इनके संबंध में भ्रान्तियाँ दूर हो सकें।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हर वर्ष नये हिज्री साल के आगमन पर हम अल्लाह के दिनों में से एक ऐसे दिन का अभिनंदन करते हैं, जिसके बारे में लोगों ने मतभेद किया है, और वह मुहर्रम के महीने का दसवाँ दिन है। इसके अंदर दो ऐसी प्रभवाशाली घटनाएँ घटीं हैं जिनके कारण लोगों ने इस दिन के कार्यों के बारे में मतभेद किया है: पहली घटना: मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी क़ौम की मुक्ति, तथा फिरऔन और उसकी सेना का विनाश। दूसरी घटना: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नवासे हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब की हत्या। हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु और उनसे पहले उसमान रज़ियल्लाहु अन्हु की हत्या इस उम्मत में फित्नों के सबसे बड़े कारणों में से है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मूसा अलैहिस्सलाम के नजात और फिरऔन के विनाश पर अल्लाह के प्रति आभार प्रकट करने के तौर पर, इस दिन रोज़ा रखने का निर्देश दिया है। उसके रोज़े का हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की हत्या से कोई संबंध नहीं है। प्रस्तुत लेख में आशूरा के दिन के बारे में पथभ्रष्ट होने वाले दलों और संप्रदायों, हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु के बारे में सही स्थिति का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि अहले सुन्नत इस बारे में अल्लाह की शरीअत का पालन करते हैं, इसलिए वे लोग इस दि मातम नहीं करते हैं।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन इब्राहीम अन्नईम अनुवाद : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस पुस्तक में संक्षेप के साथ उन अधिकांश नेक कार्यों का उल्लेख किया गया है जिनका अज्र व सवाब (पुण्य) आपके लिए एक अतिरिक्त आयु की वृद्धि करेगा, ताकि नेकियों से भरपूर आपका उत्पादक उम्र आपके कालानुक्रमिक उम्र से बड़ी हो जाय। यह किताब एक माइक्रोस्कोप के समान है जो हमारी नज़रों के सामने कई ऐसी हदीसों का एक नया महत्व उजागर करती है जिन्हें हम कभी-कभार पढ़कर बिना मननचिंतन के ही गुज़र जाते हैं। यह किताब तीन अध्यायों पर आधारित हैः प्रथमः उम्र बढ़ाने का महत्व और उसकी अवधारणा दूसराः उम्र को बढ़ाने वाले कार्य, और इसमें चार विषय हैं : पहला विषयः नैतिकता के द्वारा दीर्घायु करना. दूसरा विषय: कई गुना अज्र व सवाब वाले कार्यों द्वारा दीर्घायु करना. तीसरा विषय: मौत के बाद निरंतर जारी रहनेवाले सवाब के कार्यों द्वारा दीर्घायु करना. चौथा विषय: समय का सही उपयोग करके आयु को लम्बी करना। तीसरा अध्याय: नेकियों से भरपूर उत्पादक उम्र की रक्षा करने का तरीक़ा
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद चाँद संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
वुज़ू बेहतर सेहत के लिए एक अचूक नुस्खाः वुज़ू सेहत के लिए एक बेहतरीन, कारगर और उपयोगी नुस्खा है। जीव वैज्ञानिकों की मुश्किल से चालीस साल पहले हुई खोजों से ही हम यह जान पाए हैं कि वुज़ू में इन्सानी सेहत के लिहाज से कितने चमत्कारित फायदे छिपे हुए हैं। इन्सानी सेहत के लिए मुख्य रूप से तीन तरह के फायदे हैं जो उसकी बाडी को धोने से जुड़े हैं। शरीर धोने के ये फायदे संचार प्रणाली, प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर के इलेक्ट्रोस्टेटिक बैलेंस से जुड़े हैं। प्रस्तुत पुस्तिका में इसका उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद चाँद संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
मैल्कम एक्सः «मैल्कम एक्स» या «मालिक शाबाज़» एक प्रसिद्ध अमेरिकी इस्लामी धर्म उपदेशक हैं, जिन्हों ने अमेरिका में इस्लामी आंदोलन के आचरण को सही किया जो बुरी तरह सत्यमार्ग से भटक गया था। उन्हों ने शुद्ध अक़ीदा के लिए आमंत्रित किया और उस पर धैर्यपूर्वक सुदृढ़ रहे यहाँ तक कि उसका आमंत्रण देते और सत्य की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। प्रस्तुत पुस्तिका में उनकी जीवनी प्रस्तुत की गई है।
- हिन्दी लेखक : एहसान अल-उतैबी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
नवजात शिशु का आगमन मनुष्य के लिए एक अपार खुशी का अवसर होता है। इस अवसर को लोग अपनी-अपनी परंपराओं और रीतियों के अनुरूप विभिन्न प्रकार से मनाते और हर्ष व उल्लास का प्रदर्शन करते हैं। इस्लाम धर्म में नवजात शिशु के विशेष प्रावधान हैं, जिनमें से एक यह है कि जिस व्यक्ति को अल्लाह ने इस नेमत से सम्मानित किया है, वह अल्लाह के प्रति आभार प्रकट करते हुए उसकी निकटता के तौर पर अक़ीक़ा करे। अक़ीक़ा के क्या प्रावधान हैं ? उसके कौन-कौनसे मुद्दे हैं ? तथा इसी विषय से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण बातें इस पुस्तिका में प्रस्तुत की गई हैं।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद चाँद संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस किताब में दुनियाभर के ग्यारह ईसाई पादरियों और धर्मप्रचारकों की दास्तानें हैं जिन्होंने इस्लाम अपनाया। गौर करने वाली बात यह है कि ईसाईयत में गहरी पकड़ रखने वाले ये ईसाई धर्मगुरू आखिर इस्लाम अपनाकर मुसलमान क्यों बन गए ? आज जहाँ इस्लाम को लेकर दुनियाभर में गलतफ़हमियां हैं और फैलाई जा रही हैं, ऐसे में यह किताब मैसेज देती है कि इस्लाम वैसा नहीं है जैसा उसका दुष्प्रचार किया जा रहा है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत पुस्तिका में रमज़ान के रोज़े और उसके क़ियाम (तरावीह) की फज़ीलत, तथा उसके अंदर नेक कामों द्वारा एक दूसरे से आगे बढ़ने की फज़ीलत से संबंधित कुछ नसीहतें हैं, साथ ही कुछ ऐसे महत्वपूर्ण अहकाम का वर्णन है जो कुछ लोगों पर गुप्त रह जाते हैं।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
अपने बच्चे को पैगंबर की कहानी सुनायें: इस पुस्तिका में हमारे प्रिय पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बचपन से संबंधित कहानियों का एक समूह प्रस्तुत किया गया है, जिन्हें बच्चों को सुनाना उचित है।. इस पुस्तिका में हमारे प्रिय पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की किशोरावस्था से संबंधित कहानियों का एक समूह प्रस्तुत किया गया है, जो बच्चों को सुनाना उचित है।.
- हिन्दी लेखक : नसीम ग़ाज़ी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
क़ुरआन पर अनुचित आक्षेपः यह पुस्तक उन आक्षेपों पर आधारित है जिन्हें कुछ हिन्दू संस्थाओं और लोगों की ओर से क़ुरआन की कुछ आयतों के बारे में उन्हें उनकी पृष्टिभूमि और संदर्भ से अलग करके और उनका मनमाना अनुवाद और व्याख्या करके बड़े पैमाने पर फैलाया जाता है। ये आक्षेप क़ुरआन मजीद की उन आयतों के बारे में हैं जिनका संबंध विशेषकर जिहाद, युद्ध, काफिर, कुफ्र, शिर्क और मूर्तिपूजा से है। लेखक ने उन आक्षेपों की वास्तविकता प्रस्तुत करके उनका उत्तर दिया है। तथा लोगों को इस्लाम से परिचित कराते हुए, उन्हें निष्पक्ष होकर इस्लाम का उसके मौलिक और वास्तविक स्रोतों से अध्ययन करने का निवेदन किया है।
- हिन्दी लेखक : रफीक़ अहमद संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस पुस्तिका में यह उल्लेख किया गया है कि समस्त मानवीय धर्मों में मानवता और नैतिकता सम्बन्धी शिक्षाओं का वर्णन है, तथा विशेष रूप से इस्लाम धर्म के मूल ग्रंथ दिव्य कुरआन की अमृत वाणियों और मानवता उपकारक पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मधुर सन्देशों में इसका व्यापक और स्पष्ट वर्णन हुआ है, स्वयं पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इसके सर्वप्रथम और महान आदर्श नमूना थे, आपके बाद आपके उत्तराधिकारियों ने भी अपने व्यवहार से इसका प्रचार किया। अतः आज एक ऐसे समय में, जबकि मानव जाति, मानवता और नैतिकता खो देने के कारण, चारों ओर अशान्ति, अव्यवस्था, पारस्परिक घृणा, द्वेष, और अनैतिकता का शिकार है - इस बात की आवश्यकता बढ़ जाती है कि इस्लाम धर्म की मानवता, नैतिकता, उसके गुणों, सिद्धांतों, तर्कसिद्ध शिक्षाओं को प्रस्तुत व प्रदर्शित किया जाये ताकि उनका अनुसरण करके मानव अपना कल्याण कर सके और लोक परलोक में सौभाग्य से लाभान्वित हो। यह पुस्तिका इसी बात का आमंत्रण देती है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन इस्माईल अल-बुखारी लेखक : अहमद बिन अहमद बिन अब्दुल लतीफ अल ज़ुबैदी अनुवाद : ऐजाज़ ख़ान संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
यह पुस्तक “मुख़्तसर सही बुख़ारी”, जिसका नाम “अत्तजरीदुस्सरीह लि-अहादीसिल जामिइस्सहीह” है, क़ुरआन करीम के बाद सबसे विशुद्ध और विश्वसनीय किताब सही बुख़ारी का संक्षेप है। इसमें इमाम अज़्ज़ुबैदी ने सहीह बुखारी की हदीसों को बिना तकरार के व बिना सनदों के उल्लेख किया है; ताकि बिना कष्ट के उसको याद करना आसान हो जाए। जो हदीस कई बार आई है उसे उसके पहले स्थान पर बाक़ी रखा है, यदि दूसरे स्थान पर उसमें कोई वृद्धि है तो उसे उल्लेख किया है अन्यथा नहीं। अगर एक मुख्तसर हदीस के बाद दूसरी जगह वह तफ्सील और वृद्धि के साथ आई है तो दूसरी हदीस को वर्णन किया है। तथा केवल उसी हदीस का चयन किया है जो सहीह बुख़ारी में मुत्तसिल व सनद के साथ है। मक़तूअ या मुअल्लक़ हदीस को छोड़ दिया है। यह पुस्तक इस किताब के उर्दु अनुवाद से हिंदी में रुपांतरित की गई है।
- हिन्दी लेखक : डाक्टर अब्दुल अज़ीज़ अब्दुर्रहीम संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
क़ुर्आन को समझने के लिए संछिप्त कोर्सः क़ुर्आन और नमाज़ को समझने की शुरूआत करने के लिए एक शार्ट कोर्स, क़ुर्आन में बाहुल्य रूप से आने वाले एक सौ मुख्य शब्दों का ज्ञान प्राप्त करके, उनका अर्थ ससझकर और उन्हें याद करने की मदमद से। यह शार्ट कोर्स टेक्सट बुक, वर्क बुक, आडियो और प्रति पाठ के पावर प्वाइंट प्रीज़ेंटेशन पर आरधारित है। इसका उद्देश्य यह है कि क़ुर्आन को समझना आसान लगने लगे, प्रोत्साहन मिले, आगे की तालीम मज़ीद आसान हो, क़ुर्आन की आयतों में मननचिंतन का रास्ता हमवार हो। यह कोर्स प्रारंभ करने वालों के लिए है, इसके बाद बेसिक कोर्स है जिसमें कुछ विस्तार है।
- हिन्दी लेखक : सैयद मुहम्मद इक़बाल संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस्लाम और मानव समाजः इस्लाम जहाँ एक तरफ मानव की उत्पत्ति की वास्तविकता, इस संसार में उसके उद्देश्य, अपने पालनहार के प्रति उसके कर्तव्यों को स्पष्ट करता है, वहीं दूसरी ओर उस समाज के प्रति भी मार्गदर्शन करता है जिसमें मनुष्य जीवन यापन करता है। इस्लाम उसे शांतिपूर्ण और सौभाग्यपूर्ण जीवन जीने के लिए एक संपूर्ण जीवन-व्यवस्था प्रदान करता है, जिसका पालन करके वह इस संसार के तत्वपश्चात परलोक में भी सौभाग्य से सम्मानित होगा। प्रस्तुत पुस्तक में इस्लाम के संछिप्त परिचय के साथ जीवन के प्रति उसके दृष्टिकोण को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।