(1) (ऐ रसूल) जब आपके दीन के लिए अल्लाह की मदद आ जाए, और मक्का विजय हो जाए।
(2) और आप देखें कि लोग इस्लाम में समूह दर समूह प्रवेश कर रहे हैं।
(3) तो जान लें कि यह उस मिशन की समाप्ति के क़रीब होने का संकेत है, जिसके साथ आप भेजे गए थे। अतः आप मदद और विजय की नेमत पर आभार प्रकट करते हुए, अपने पालनहार की पवित्रता और महिमा का गुणगान करें, और उससे क्षमा याचना करें। निश्चय वह बहुत तौबा क़बूल करने वाला है, अपने बंदों की तौबा क़बूल करता और उन्हें क्षमा कर देता है।