77 - सूरा अल्-मुर्सलात ()

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(1) अल्लाह ने घोड़े की अयाल की तरह लगातार चलने वाली हवाओं की क़सम खाई है।

(2) तथा अल्लाह ने बहुत तेज़ चलने वाली हवाओं की क़सम खाई है।

(3) और अल्लाह ने उन हवाओं की क़सम खाई है, जो बादलों को फैलाती हैं।

(4) और अल्लाह ने उन फ़रिश्तों की क़सम खाई है, जो सत्य और असत्य के बीच अंतर करने वाली चीज़ के साथ उतरते हैं।

(5) और अल्लाह ने उन फ़रिश्तों की क़सम खाई है, जो वह़्य (प्रकाशना) के साथ उतरते हैं।

(6) जो वह़्य (प्रकाशना) लेकर उतरते हैं, अल्लाह की ओर से लोगों के उज़्र (बहाने) को समाप्त करने के लिए और लोगों को अल्लाह की यातना से सावधान करने के लिए।

(7) निःसंदेह मरणोपरांत पुनः जीवित होकर उठने, हिसाब और प्रतिफल का जो तुमसे वादा किया जाता है, निश्चय वह अनिवार्य रूप से घटित होने वाला है।

(8) जब तारों के प्रकाश को मिटा दिया जाएगा और उनकी रोशनी चली जाएगी।

(9) और जब आकाश को फाड़ (खोल) दिया जाएगा, ताकि उससे फ़रिश्ते उतर सकें।

(10) और जब पहाड़ों को उनके स्थानों से उखाड़ दिया जाएगा और उन्हें चूर्ण-विचूर्ण कर दिया जाएगा यहाँ तक कि वे धूल बन जाएँगे।

(11) और जब रसूलों को एक निर्धारित समय पर एकत्र किया जाएगा।

(12) एक महान दिन के लिए वे अपने समुदायों पर गवाही देने के लिए विलंबित किए गए हैं।

(13) बंदों के बीच निर्णय के दिन के लिए। उस दिन स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सत्यवादी है और कौन असत्यवादी तथा कौन सौभाग्यशाली है और कौन दुर्भाग्यशाली।

(14) और (ऐ रसूल) आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि निर्णय का दिन क्या है?!

(15) उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश, यातना और क्षति है, जो रसूलों के अल्लाह की ओर से लाए हुए संदेश को झुठलाते हैं।

(16) क्या हमने पिछले समुदायों को विनष्ट नहीं किया, जब उन्होंने अल्लाह का इनकार किया और उसके रसूलों को झुठलाया?

(17) फिर हम उनके पीछे बाद के झुठलाने वालों को लगा देंगे, चुनाँचे जिस तरह हमने उन्हें नष्ट किया था, उसी तरह इन्हें भी नष्ट कर देंगे।

(18) उन समुदायों को विनष्ट करने की तरह, हम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए संदेश को झुठलाने वाले अपराधियों को भी विनष्ट कर देंगे।

(19) उस दिन, उन लोगों के लिए विनाश, यातना और क्षति है, जो अपराधियों के लिए अल्लाह की सज़ा की धमकी को झुठलाते हैं।

(20) क्या हमने तुम्हें (ऐ लोगो) थोड़े-से तुच्छ पानी अर्थात् वीर्य की बूँद से पैदा नहीं किया है?!

(21) फिर हमने उस तुच्छ पानी को एक संरक्षित स्थान पर रख दिया, जो कि महिला का गर्भाशय है।

(22) एक ज्ञात अवधि तक, जो गर्भावस्था की अवधि है।

(23) फिर हमने नवजात शिशु का विवरण, भाग्य और रंग-रूप आदि नियत किया। तो हम यह सब कैसे अच्छे नियत करने वाले हैं।

(24) उस दिन, अल्लाह की शक्ति को नकारने वालों के लिए, बड़ा विनाश, यातना और क्षति है।

(25) क्या हमने धरती को सभी लोगों को समेटने वाली नहीं बनाया?

(26) वह उनके जीवित लोगों को इस तरह समेटती है कि वे उसपर रहते-बसते और उसे आबाद करते हैं, और उनके मृतकों को इस तरह कि वे उसमें दफन किए जाते हैं।

(27) तथा हमने उसमें मज़बूत, ऊँचे पहाड़ बनाए, जो उसे हिलने-डुलने से बचाते हैं और हमने तुम्हें (ऐ लोगो) मीठा पानी पिलाया। तो जिसने इन सब को पैदा किया, वह तुम्हें मरने के बाद दोबारा जीवित कर उठाने में विवश नहीं है।

(28) उस दिन, अल्लाह की ओर से मिली हुई नेमतों को झुठलाने वालों के लिए, बड़ा विनाश, यातना और क्षति है।

(29) अपने रसूलों के लाए हुए संदेश को झुठलाने वालों से कहा जाएगा : (ऐ झुठलाने वालो!) उस यातना की ओर चलो, जिसे तुम झुठलाया करते थे।

(30) जहन्नम की आग के धुएँ की छाया की ओर चलो, जो तीन शाखाओं वाली है।

(31) उसमें न छाया की ठंडक होगी और न वह तुमसे आग की लपट और उसकी गर्मी को रोक सकेगी।

(32) वह आग चिंगारियाँ फेंकेगी। हर चिंगारी भवन की तरह विशाल होगी।

(33) मानो वे चिंगारियाँ, जिन्हें वह आग फेंकेगी, अपने कालेपन और विशालता में काले ऊँटों की तरह होंगी।

(34) उस दिन अल्लाह की यातना को झुठलाने वालोंं के लिए बड़ी तबाही, यातना और क्षति है।

(35) यह ऐसा दिन है, जिसमें वे कुछ नहीं बोलेंगे।

(36) और उन्हें अपने पालनहार के सामने अपने कुफ़्र और पापों के लिए कोई उज़्र (कारण) पेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी कि वे उसके पास कोई उज़्र पेश करें।

(37) उस दिन, उन लोगों के लिए विनाश, यातना और क्षति है, जो इस दिन की खबरों को झुठलाने वाले हैं।

(38) यह प्राणियों के बीच निर्णय का दिन है। हमने तुम्हें और पिछले समुदायों को एक ही स्थान पर एकत्र कर दिया है।

(39) अगर तुम्हारे पास कोई चाल है, जिसे चलकर तुम अल्लाह की यातना से मुक्ति पा सकते हो, तो मेरे विरुद्ध चल लो।

(40) उस दिन, निर्णय के दिन को झुठलाने वालों के लिए विनाश, यातना और क्षति है।

(41) निश्चय वे लोग, जो अपने पालनहार से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरते हैं, जन्नत के हरे-भरे पेड़ों की छाँवों और मीठे पानी के बहते हुए स्रोतों में होंगे।

(42) तथा ऐसे फलों में होंगे, जिन्हें वे खाना पसंद करेगे।

(43) और उनसे कहा जाएगा : अच्छी चीजें खाओ और ऐसा सुखद पेय पियो, जिसमें कोई अप्रिय तत्व नहीं है। यह उन अच्छे कर्मों का प्रतिफल है, जो तुम दुनिया में किया करते थे।

(44) हमने जो बदला तुम्हें दिया है, इसी तरह बदला हम उन लोगों को देते हैं, जो अच्छे कार्य करने वाले हैं।

(45) उस दिन, उन लोगों के लिए विनाश, यातना और नुक़सान है, जो उस चीज़ को झुठलाने वाले हैं, जो अल्लाह ने डरने वालों (परहेज़गारो) के लिया तैयार किया है।

(46) झुठलाने वालों से कहा जाएगा : इस दुनिया में थोड़े समय के लिए खा लो और जीवन के सुखों का आनंद ले लो। निश्चय तुम अल्लाह के साथ कुफ़्र करने और उसके रसूलों को झुठलाने के कारण अपराधी हो।

(47) उस दिन, उन लोगों के लिए विनाश, यातना और क्षति है, जो क़ियामत के दिन अपने बदले का इनकार करने वाले हैं।

(48) और जब इन झुठलाने वालों से कहा जाता है : अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो, तो वे उसके लिए नमाज़ नहीं पढ़ते।

(49) उस दिन विनाश, यातना और क्षति है उन झुठलाने वालों के लिए, जो रसूलों के अल्लाह के पास से लाए हुए संदेश को झुठलाते हैं।

(50) यदि वे अपने पालनहार की ओर से अवतरित इस क़ुरआन पर ईमान नहीं लाते, तो फिर उसके अलावा वे कौन सी बात पर ईमान लाएँगे?!