(1) हमने क़ुरआन को एकबारगी दुनिया के आकाश (निचले आकाश) पर रमज़ान के महीने में क़द्र की रात में अवतरित किया, इसी तरह उसे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारने की शुरूआत भी इसी रात में की।
(2) और (ऐ रसूल) क्या आप जानते हैं कि इस रात में क्या भलाई और बरकत है?!
(3) यह रात महान भलाई की रात है। क्योंकि यह रात उस व्यक्ति के लिए हज़ार महीने से बेहतर है, जो ईमान और नेकी प्राप्त करने के उद्देश्य से इसमें अल्लाह की इबादत करे।
(4) उस रात में फ़रिश्ते और जिबरील अलैहिस्सलाम अपने महिमावान् पालनहार की अनुमति से हर उस चीज़ के साथ उतरते हैं, जिसका आल्लाह उस वर्ष में फैसला किया होता है, चाहे उसका संबंध रोज़ी से हो, या मृत्यु, या जन्म या इनके अलावा किसी अन्य से हो, जिनका अल्लाह फैसला करता है।
(5) यह बरकत वाली रात उसके शुरू होने से लेकर फ़ज्र के उदय होने पर उसके अंत तक सर्वथा भलाई ही भलाई है।