93 - सूरा अज़्-ज़ुह़ा ()

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(1) अल्लाह ने दिन की शुरुआत की क़सम खाई है।

(2) और रात की क़सम खाई है, जब वह अंधेरी हो जाए और लोग उसमें काम-काज (गति) से रुक जाएँ।

(3) (ऐ रसूल) आपके पालनहार ने न आपको छोड़ा और न आपको नापसंद किया, जैसा कि मुश्रिकों का कहना है, जब वह़्य (प्रकाशना) का सिलसिला कुछ दिनों के लिए रुक गया।

(4) और आपके लिए आख़िरत का घर दुनिया से बेहतर है, क्योंकि वहाँ स्थायी नेमतें हैं, जो कभी खत्म नहीं होंगी।

(5) निश्चय अल्लाह आपको तथा आपकी उम्मत को व्यापक बदला प्रदान करेगा यहाँ तक कि आप ख़ुद को दिए गए और अपनी उम्मत को दिए गए (प्रतिफल) से प्रसन्न हो जाएँगे।

(6) उसने आपको इस अवस्था में पाया कि आप छोटे थे एवं आपके पिता की मृत्यु हो चुकी थी, तो उसने आपके लिए एक आश्रय स्थल बना दिया, जहाँ आपके दादा अब्दुल मुत्तलिब, फिर आपके चाचा अबू तालिब ने आपके साथ सहानुभूति व्यक्त की।

(7) और उसने आपको इस हाल में पाया कि आप नहीं जानते कि किताब या ईमान क्या है, तो उसने आपको इसके बारे में वे बातें सिखाईं, जो आप नहीं जानते थे।

(8) और उसने आपको निर्धन पाया, तो आपको धनवान् कर दिया।

(9) अतः आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार और उसका अपमान न करें जिसने बचपन में अपने पिता को खो दिया है।

(10) तथा आप ज़रूरतमंद सवाली को ने झिड़कें।

(11) तथा आप अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा करें और उन्हें बयान करते रहें।