(1) निश्चय मनुष्य पर एक लंबा समय बीता है, जिसके दौरान वह अस्तित्वहीन था, उसका कोई उल्लेख नहीं था
(2) हमने इनसान को एक पुरुष और एक महिला के पानी से मिश्रित वीर्य से पैदा किया, हम उसे शरई अहकाम का बाध्य करके उसका परीक्षण करते हैं। इसलिए हमने उसे सुनने वाला, देखने वाला बनाया, ताकि हमने उसे शरई अहकाम की जो ज़िम्मेदारी सौंपी है, उसे वह अंजाम दे सके।
(3) हमने अपने रसूलों की ज़बानी उसके लिए हिदायत का रास्ता बयान कर दिया, जिससे उसके लिए गुमराही का मार्ग स्पष्ट हो गया। अब वह इसके बाद या तो सीधे रास्ते को पकड़ ले और अल्लाह का शुक्रगुज़ार मोमिन बंदा बन जाए, और या तो उससे भटक जाए और अल्लाह की आयतों का इनकार करने वाला काफ़िर बंदा बन जाए।
(4) हमने अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार करने वालों के लिए ज़ंजीरें तैयार की हैं, जिनके साथ वे आग में घसीटे जाएँगे, और तौक़ तैयार की हैं, जो उन्हें पहनाए जाएँगे और भड़कती हुई आग तैयार की है।
(5) अल्लाह की आज्ञा का पालन करने वाले मोमिन, क़ियामत के दिन शराब के भरे हुए एक ऐसे जाम से पिएँगे, जिसके साथ उसकी अच्छी महक के लिए कपूर मिश्रित होगा।
(6) आज्ञाकारियों के लिए तैयार किया गया यह पेय एक ऐसे स्रोत से है, जो पीने में आसान है और प्रचुर मात्रा में है, जो कभी ख़त्म नहीं होगा। उससे अल्लाह के बंदे पीएँगे और उसे जहाँ चाहेंगे, बहा ले जाएँगे।
(7) इसे पीने वाले बंदों की विशेषताएँ यह हैं कि वे जिन नेकी के कामों को अपने ऊपर अनिवार्य कर लेते हैं, उन्हें पूरा करते हैं और उस दिन से डरते हैं, जिसकी बुराई बहुत अधिक फैली हुई होगी और वह क़ियामत का दिन है।
(8) और वे अपनी आवश्यकता और इच्छा के कारण, खाने को पसंद करने के बावजूद, उसे ग़रीबों, अनाथों और बंदियों जैसे ज़रूरतमंदों को खिला देते हैं।
(9) वे अपने दिल में यह बात रखते हैं कि वे उन्हें केवल अल्लाह की प्रसन्नता की प्राप्ति के लिए खाना खिलाते हैं। वे उन्हें खिलाने के लिए उनसे कोई बदला या प्रशंसा नहीं चाहते हैं।
(10) हम अपने पालनहार से उस दिन से डरते हैं, जिसकी गंभीरता और भयावहता के कारण अभागा लोगों के माथे पर बल पड़े हुए होंगे।
(11) तो अल्लाह ने उन्हें अपने अनुग्रह से उस महान दिन की आपदा से बचा लिया, और उन्हें, उनके सम्मान के लिए, उनके चेहरों पर चमक और प्रकाश, तथा उनके दिलों में ख़ुशी प्रदान किया।
(12) और अल्लाह ने उन्हें (उनके नेक कार्यों पर जमे रहने, अल्लाह के निर्णयों पर सब्र करने और गुनाहों से दूर रहने के कारण) जन्नत प्रदान की, जिसकी नेमतों का वे आनंद लेंगे, और रेशमी वस्त्र प्रदान किया जो वे पहनेंगे।
(13) वे उसके अंदर अलंकृत तख्तों पर टेक लगाए बैठे होंगे। वे न उसमें सूरज देखेंगे, जिसकी किरणें उन्हें कष्ट देंगी और न ही भयंकर ठंड। बल्कि वे एक स्थायी छाया में होंगे, जिसमें न तो गर्मी होगी और न ही ठंड।
(14) उसके साए उनके क़रीब होंगे और उसके फल खाने वाले के वश में कर दिए जाएँगे। चुनाँचे वह बड़ी आसानी से उन्हें ले सकेगा, वह लेटे, बैठे और खड़े जिस तरह चाहेगा, उन्हें तोड़ सकेगा।
(15) और जब वे पीने की इच्छा करेंगे, तो सेवक चाँदी के बरतन और उसके पारदर्शी प्याले लिए हुए उनके पास घूम रहे होंगे।
(16) वे शीशे की तरह चमक रहे होंगे, परंतु वे चाँदी के होंगे। उनका पीने वालों की इच्छा के अनुसार अनुमान लगाया गया होगा, न उससे अधिक और न ही कम।
(17) और ये सम्मानित लोग सोंठ मिली हुई शराब के जाम पिलाए जाएँगे।
(18) वे जन्नत में एक स्रोत से पिलाए जाएँगे, जिसे 'सलसबील' कहा जाता है।
(19) और जन्नत में उनके आस-पास ऐसे बालक चक्कर लगा रहे होंगे, जो सदा जवान रहेंगे। उनके चेहरे ऐसे तरो-ताज़ा होंगे, उनका रंग इतना सुंदर होगा और वे इतनी बड़ी संख्या में इधर-उधर फैले होंगे कि जब तुम उन्हें देखोगे, तो बिखरे हुए मोती समझोगे।
(20) और जब तुम देखोगे कि जन्नत में क्या है, तो तुम अवर्णनीय आनंद देखोगे, तथा तुम एक महान राज्य को देखोगे, जिसकी तुलना किसी भी राज्य से नहीं की जा सकती।
(21) उनके शरीर पर पतले रेशम और दबीज़ रेशम से बने शानदार हरे कपड़े होंगे, और वहाँ उन्हें चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और अल्लाह उन्हें ऐसी शराब पिलाएगा, जो हर अप्रिय चीज़ से पाक होगी।
(22) उनसे उनके सम्मान स्वरूप कहा जाएगा : निश्चय यह नेमत जो तुम्हें दी गई है, तुम्हारे अच्छे कर्मों का प्रतिफल है और तुम्हारे कर्म अल्लाह के यहाँ स्वीकार्य हैं।
(23) निश्चय हमने आपपर (ऐ रसूल) यह क़ुरआन थोड़ा-थोड़ा करके उतारा है और उसे आप पर एक ही बार में नहीं उतारा है।
(24) अतः अल्लाह जो कुछ निर्णय करता या धार्मिक आदेश देता है, आप उसके लिए धैर्य रखें, तथा किसी पापी का उस पाप में पालन न करें जिसके लिए वह कहता है, और न किसी काफ़िर का उस कुफ़्र में अनुसरण करें जिसके लिए वह आह्वान करता है।
(25) और अपने रब को दिन की शुरुआत में फ़ज्र की नमाज़ के ज़रिए और उसके अंतिम भाग में ज़ुहर और अस्र की नमाज़ के ज़रिए याद करते रहें।
(26) और उसे रात की दो नमाज़ों : मग़रिब एवं इशा की नमाज़ों के ज़रिए याद करें, तथा इनके बाद भी उसके लिए जागकर नमाज़ पढ़ें।
(27) ये मुश्रिक लोग सांसारिक जीवन से प्यार करते हैं और उसके लिए उत्सुक होते हैं, और क़ियामत के दिन को अपने पीछे छोड़ देते हैं, जो एक भारी दिन है, क्योंकि उसमें कठिनाइयों और क्लेशों का सामना होगा।
(28) हम ही ने उन्हें पैदा किया और उनके जोड़ों और अंगों आदि को मज़बूत करके उनकी रचना को मज़बूत किया। तथा जब हम उन्हें नष्ट करना और उन्हें बदलकर उन्हीं जैसों को लाना चाहेंगे, तो हम उन्हें नष्ट कर देंगे और उन्हें बदल देंगे।
(29) निश्चय यह सूरत एक उपदेश और याददेहानी है। अतः जो अल्लाह की प्रसन्नता तक पहुँचाने वाला मार्ग ग्रहण करना चाहे, उसे ग्रहण कर ले।
(30) और तुम अल्लाह की प्रसन्नता का मार्ग ग्रहण करने की इच्छा नहीं कर सकते, सिवाय इसके कि अल्लाह तुमसे ऐसा चाहे। क्योंकि सारा मामला अल्लाह के हाथ में है। अल्लाह जानता है कि उसके बंदों के लिए क्या अच्छा है, और उनके लिए क्या अच्छा नहीं है। वह अपनी रचना, तक़दीर (नियति) और शरीयत में हिकमत वाला है।
(31) वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, अपनी रहमत में दाखिल करता है। अतः वह उन्हें ईमान और सत्कर्म का सामर्थ्य प्रदान करता है। तथा उसने अपने आपपर कुफ़्र और पापों के द्वारा अत्याचार करने वालों के लिए दर्दनाक यातना तैयार कर रखी है, और वह जहन्नम की यातना है।