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- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
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- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
- पढ़े जाने योग्य उत्कृष्ट अनुवाद
- क़ुरआन के अर्थों के अनुवाद के साथ सस्वर पाठ
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इस्लाम से संबद्ध संप्रदाय
आइटम्स की संख्या: 6
- मुख्य पृष्ठ
- अग्र-भाग की भाषा : हिन्दी
- विषयवस्तु की भाषा : सभी भाषाएँ
- इस्लाम से संबद्ध संप्रदाय
- हिन्दी लेखक : माजिद बिन सुलैमान अर्रस्सी
क़ब्रों के पास जाकर अल्लाह तआला से दुआ करना ननिंदनीय निदअत है
- हिन्दी मुफ्ती : अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
आदरणीय शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया किः आदरणीय शैख, हमें शीया लोगों के साथ मतभेद के कारणों को जानने की सख्त ज़रूरत है। हम आप से उनके अक़ाइद (विश्वास) को स्पष्ट करने की आशा करते हैं। अल्लाह सबके अंतर्दृष्टि को प्रकाशमान करे।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
आदरणीय शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद से प्रश्न किया गया किः मैं ने एक शीया सहयोगी से सुना है कि उनके यहाँ एक ऐसी सूरत है जो हमारे मुसहफ (क़ुरआन) में नहीं पाई जाती है, तो क्या यह बात सही है? इस सूरत का नाम सूरत ’’अल-विलायत’’ है।
- हिन्दी
इस पुस्तिका में इस्लामी अक़ीदा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मसाइल को प्रश्न-उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ये मसअले शैख मुहम्मद जीमल ज़ैनू की पुस्तक (अल-अक़ीदा अल-इस्लामिय्या मिनल किताबि वस्सुन्नतिस्सहीहा) से संकलित किए गए हैं। इसमें शिर्क, तौहीद, जादू, वसीला, दुआ, तसव्वुफ, क़ब्रों की जि़यारत और उस पर सज्दा करना और उसे छूना इत्यादि जैसे मसाइल पर चर्चा किया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हर वर्ष नये हिज्री साल के आगमन पर हम अल्लाह के दिनों में से एक ऐसे दिन का अभिनंदन करते हैं, जिसके बारे में लोगों ने मतभेद किया है, और वह मुहर्रम के महीने का दसवाँ दिन है। इसके अंदर दो ऐसी प्रभवाशाली घटनाएँ घटीं हैं जिनके कारण लोगों ने इस दिन के कार्यों के बारे में मतभेद किया है: पहली घटना: मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी क़ौम की मुक्ति, तथा फिरऔन और उसकी सेना का विनाश। दूसरी घटना: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नवासे हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब की हत्या। हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु और उनसे पहले उसमान रज़ियल्लाहु अन्हु की हत्या इस उम्मत में फित्नों के सबसे बड़े कारणों में से है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मूसा अलैहिस्सलाम के नजात और फिरऔन के विनाश पर अल्लाह के प्रति आभार प्रकट करने के तौर पर, इस दिन रोज़ा रखने का निर्देश दिया है। उसके रोज़े का हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की हत्या से कोई संबंध नहीं है। प्रस्तुत लेख में आशूरा के दिन के बारे में पथभ्रष्ट होने वाले दलों और संप्रदायों, हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु के बारे में सही स्थिति का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि अहले सुन्नत इस बारे में अल्लाह की शरीअत का पालन करते हैं, इसलिए वे लोग इस दि मातम नहीं करते हैं।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
मेरा एक भांजा है जिसकी आयु आठ साल है, वह एक बार अचानक मुझसे यह प्रश्न कर बैठा कि शीया लोग कौन हैं ॽ मेरी समझ में नहीं आया कि उसे क्या जवाब दूँ, परंतु मैं ने उससे यह कहा कि बड़े होने के बाद तुम्हें पता चल जायेगा ! लेकिन वह इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ, और जब मेरे भाँजे ने जिसकी आयु दस साल है उससे कहा कि हम लोग सुन्नी हैं, तो उसने उसके जवाब में कहा कि मैं शीया हूँ। तो इसका क्या जवाब है जो उसकी आयु के हिसाब से उचित हो और वह उससे सन्तुष्ट भी हो जाए ॽ