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इबादत (उपासना)
आइटम्स की संख्या: 7
- हिन्दी लेखक : बिलाल फिलीप्स अनुवाद : मुहम्मद रईस
सच्चा धर्म : सत्य धर्म के खोजी के लिए एक लाभदायक संक्षिप्त पुस्तिका, जिसमें इस्लाम धर्म का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि इस्लाम ही वह धर्म है जिसके अतिरिक्त अल्लाह सर्वशक्तिमान कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं करेगा। इसी तरह इसमें अन्य धर्मों और सिद्धांतों की समीक्षा करते हुए उनकी शून्यता को स्पष्ट किया गया है। इसके अलावा, ईसा और उनकी माँ – अलैहिमस्सलाम - की वास्तविकता, इस्लामी धर्म की सार्वभौमिकता और इन्सान व जिन्नात की रचना का उद्देश्य उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
मनुष्य की रचना का मूल उद्देश्य अल्लाह सर्वशक्तिमान की उपासना व आराधना है। इस इबादत की कुछ शर्तें और नियम है जिनके बिना उपासना शुद्ध व मान्य नहीं होती। इस लेख में इस्लाम की दृष्टि में सही उपासना (इबादत) की शर्तों का उल्लेख किया गया है। चुनाँचे इबादत के शुद्ध व मान्य होने के लिए उसका उसके सबब (कारण), जाति (वर्ग, प्रकार), मात्रा, कैफियत (ढंग एवं तरीक़ा), समय और स्थान के अंदर शरीअत के अनुकूल होना अनिवार्य है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हमारे जन्म का उद्देश्य: अल्लाह सर्वशक्तिमान ने मनुष्य की उत्पत्ति की और धरती की समस्त चीज़ों की रचना करके उनके लिए इस दुनिया में जीवन यापन का बढ़िया प्रबंध किया तथा उन्हें असंख्य अनुकंपाओं और नेमतों से सम्मानित किया। लेकिन बहुत कम ही मनुष्य ऐसे हैं जो इस तथ्य पर मननचिंतन करते हैं कि हमारे जन्मदाता का इसके पीछे कोई लक्ष्य है अथवा उसने मनुष्य को व्यर्थ और अकारण बनाया है ॽ जबकि वास्तविकता यह है कोई बुद्धिमान अकारण कोई काम नहीं करता, तो फिर सर्वबुद्धिमान और सर्वज्ञानी अल्लाह सर्वशक्तिमान की यह रचना उद्देश्यहीन कैसे हो सकती हैॽ बल्कि इस ब्रह्माण्ड और उसके बीच मौजूद सृष्टि में मननचिंतन करने वाला इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि उसका एक महान रचयिता और सृष्टा है और वह अकेला है उसका कोई साझी और सहायक नहीं, वही एक मात्र सृष्टा, जन्मदाता और रचयिता है, वही स्वामी और पालनहार है, वही मृत्यु और जन्म देता है और वही सबको जीविका प्रदान करता है। अतः वही एकमात्र पूजा के योग्य और उपास्य व आराध्य है। वही सत्य पूज्य है और उसके अतिरिक्त जिसकी भी पूजा की जाती है वह असत्य और व्यर्थ है।
- हिन्दी मुफ्ती : अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क़ब्र की ज़ियारत और आप के अलावा अन्य औलिया और सालेहीन (सदाचारियों और पुनीत लोगों) वगैरह की क़ब्रों की ज़ियारत करने का क्या हुक्म है ?
- हिन्दी मुफ्ती : अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अवशेष और चिन्हों से तबर्रूक लेने (बरकत चाहने) जैसे कि मस्जिदे नबवी शरीफ वगैरा में दीवारों और दरवाज़ों पर हाथ फेरने का क्या हुक्म है ?
- हिन्दी भाषणकर्ता : मक़्सूदुल हसन फैज़ी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
बारिश होने के समय मुसलमान का क्या व्यहार होना चाहिए : वर्षा का उतरना मात्र अल्लाह सर्वशक्तिमान की कृपा और दया है। बारिश ही आजीविका का स्रोत है जिसे अल्लाह सर्वशक्तिमान एक नियमित मात्रा में आकाश से धरती पर अवतरित करता है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि उसका अकेले श्रेय अल्लाह सर्वशक्तिमान को दे, उसे किसी तारे या नक्षत्र का प्रभाव न ठहराए। प्रस्तुत व्याख्यान में इस बात का उल्लेख किया गया है कि वर्षा होते समय एक विश्वासी मुसलमाम की स्थिति होनी चाहिए।
- हिन्दी