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क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
आइटम्स की संख्या: 5
- मुख्य पृष्ठ
- अग्र-भाग की भाषा : हिन्दी
- विषयवस्तु की भाषा : सभी भाषाएँ
- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- हिन्दी
(कुरआन की शीतल छाया) स्वर्गीय डॉ. प्रो. शेख अबू अहमद मुहम्मद अब्दुल्लाह अल-आज़मी द्वारा लिखी गई एक पुस्तक है। इस किताब में शेख़ ने क़ुरआन और इस्लाम के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया है, इसे पढ़ने के बाद एक व्यक्ति क़ुरआन की स्पष्ट अवधारणा प्राप्त कर सकता है और इसमें प्रस्तुत शिक्षाओं के साथ अपने चरित्र को सुशोभित कर सकता है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
- हिन्दी Lecturer : माजिद बिन सुलैमान अर्रस्सी
रमज़ान में अधिक क़ुरान पढ़ने पर प्रोत्साहित करना।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
क़ुरआन की शिक्षाएं : मानव जीवन के विभिन्न और अनेक पहलू है, और क़ुरआन करीम समुचित मानवता का उसके जीवन के सभी विभिन्न मामलों में मार्गदर्शन करता है। चुनाँचे उसने मानव जीवन और मानव समाज को अनुशासित करने के लिए शिक्षाएं और निर्देश प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में, कुरआन की महत्वपूर्ण शिक्षाओं का एक सार प्रस्तुत किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
पवित्र क़ुर्आन मानवता के नाम अल्लाह का सर्व कालिक और अन्तिम संदेश है, जो मानवता की लौकिक और पारलौकिक हितों के मार्गदर्शन पर आधारित है, जो सत्य और असत्य, मार्गदर्शन और पथभ्रष्टता, सौभाग्य और दुर्भाग्य के बीच अन्तर स्पष्ट करता है। वह महीना जिस में मानवता को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ, वह रमज़ान का ही शुभ महीना है। इसलिये हमारे अति उचित है कि हम विशेष रूप इस मुबारक महीने में इस महान ग्रंथ का पाठ करने, उसे पढ़ने-पढ़ाने, सीखने-सिखाने, उसमें मननचिंतन करने और उसके अनुसार कार्य करने पर भरपूर ध्यान दें। इस पर हमें क्या लाभ मिलेगा ? पढ़िये इस लेख में।