- क़ुरआन करीम
- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
- कुरआन के विज्ञान
- मसाहिफ़ (क़ुरआन की प्रतियाँ)
- क़ुरआन करीम के पाठ
- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
- पढ़े जाने योग्य उत्कृष्ट अनुवाद
- क़ुरआन के अर्थों के अनुवाद के साथ सस्वर पाठ
- विशिष्ट तिलावतें
- नोबल क़ुरआन और उसके वाहकों के शिष्टाचार
- हदीस
- अक़ीदा (आस्था)
- तौहीद (एकेश्वरवाद)
- इबादत (उपासना) और उसके प्रकार
- इस्लाम
- ईमान और उसके स्तंभ
- ईमान के मसायल
- एहसान
- कुफ्र (नास्तिकता)
- निफाक़ (पाखण्ड)
- शिर्क (अनेकेश्वरवाद) और उसका खतरा
- बिदअत (नवाचार) : उसके प्रकार एवं उदाहरण
- सहाबा और आले-बैत
- तवस्सुल
- वलायत और औलिया की करामतें
- जिन्न
- वफादारी और दुश्मनी तथा उसके प्रावधान
- अह्लुस्सुन्नह वल-जमाअह
- धर्म और पंथ
- संप्रदाय (पंथ)
- इस्लाम से संबद्ध संप्रदाय
- समकालीन वैचारिक सिद्धांत
- धर्मशास्त्र
- उपासनाएं
- लेनदेन के मसायल
- क़सम और मन्नत
- पारिवारिक मसायल का ज्ञान
- चिकित्सा, उपचार और शरई झाड़-फूँक
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- समसामयिक एवं उभरते हुए मुद्दों का न्यायशास्त्र
- अल्पसंख्यकों के मसाईल का ज्ञान
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- इस्लामी धर्मशास्त्र के मत
- फ़त्वे
- उसूल फ़िक़्ह (धर्मशास्त्र के सिद्धांत)
- इस्लामी धर्मशास्त्र की किताबें
- विशेषताएं (खूबियाँ)
- अरबी भाषा
- इस्लाम का आह्वान
- Issues That Muslims Need to Know
- दिल को विनम्र करने वाली बातें और सदुपदेश
- भलाई का आदेश देना तथा बुराई से रोकना
- इस्लामी दावत की वस्तुस्थिति
- क़ुरआन करीम
हज्ज और उम्रा
आइटम्स की संख्या: 42
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हिन्दी
लेखक : अब्दुल मोहसिन बिन हमद अल-अब्बाद अल-बद्र अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
मदीना की फज़ीलत और उसकी ज़ियारत एंव निवास के आदाब : मदीना तय्यिबा के यात्रियों के लिए यह एक बहुमूल्य उपहार और महत्वपूर्ण गाईड है। जिस में मदीना तैयिबा की फज़ीलत, मस्जिदे नबवी एंव मस्जिद क़ुबा की फज़ीलत, मदीना की ज़ियारत एंव उसमें निवास के आदाब, ज़ियारत के योग्य स्थान, ज़ियारत का उचित तथा अनुचित तरीक़ा और क़ब्रों की ज़ियारत के उद्देश्य का प्रमाणित रूप से उल्लेख किया गया है।
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हिन्दी
लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह लेखक : सलाह बिन मुहम्मद अल-बुदैर अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख मदीना नबविया की ज़ियारत करनेवालों के लिए कुछ निर्देशों पर आधारित है जिसमें उन चीज़ों का उल्लेख किया गया है जिनका करना वैध और धर्मसंगत है, जैसे - मस्जिदे नबवी की ज़ियारत करना और उसमें नमाज़ पढ़ना, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क़ब्र और आपके दोनों साथियों की क़ब्रों की ज़ियारत और उन पर सलाम, तथा मस्जिदे क़ुबा की ज़ियारत और उसमें नमाज़ पढ़ना, बक़ीउल गर्क़द और उहुद के शहीदों की उनपर सलाम पढ़ने और उनके लिए दुआ करने के लिए ज़ियारत करना। इसी तरह उन चीज़ों का भी उल्लेख किया गया है जिनका करना अवैघ और नाजायज़ है, जैसे - मस्जिदे नबवी के किसी भाग या नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कमरे की दीवारों या जालियों आदि को छूकर या चूकमकर बर्कत हासिल करना वग़ैरह।
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हिन्दी
लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के शिष्टाचार और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तथा आपके दोनों साथियों अबू बक्र व उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा पर सलाम पढ़ने के तरीक़े का उल्लेख किया गया है।
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लेखक : विद्वानों की समिति लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह लेखक : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी अनुवाद : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
यह पुस्तिका, हज्ज व उम्रा और मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के लिए संक्षिप्त गाइड है, जिसमें सार रूप से हज्ज व उम्रा और मस्जिदे नबवी की ज़ियारत से संबंधित महत्वपूर्ण और आवश्यक जानकारी प्रस्तुत की गई है। तथा हज्ज व उम्रा और ज़ियारत के दौरान होने वाली त्रुटियों पर चेतावनी दी गई है। साथ ही साथ इसमें हाजियों के लिए अहम निर्देश और नसीहतें हैं।
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भाषणकर्ता : सालेह बिन फौज़ान अल-फौज़ान
ज़ुल-हिज्जा महीना के शुरू के दस दिनों की सभाएँ
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डिज़ाइनर : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
ह़ज्ज के मनासिक (रस्में): अरबी भाषा में एक सचित्र पृष्ठ, जिसे शैख़ डॉक्टर हैस़म सरहान द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें उन्होंने हाजियों (तीर्थयात्रियों) की जरूरत की हर चीज को क्रमवार ढ़ंग से सुंदर, संक्षिप्त, सांकेतिक एवं सचित्र तरीके से वर्णन किया है, ताकि ह़ाजी इस महान दायित्व का निर्वहन उसी ढ़ंग पर करे जिस ढ़ंग पर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने किया था, जिनका कथन है किः मुझ से अपने ह़ज्ज के मनासिक अर्थात रस्में सीख लो। (अनुवादः साबिर हुसैन)।
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- हिन्दी लेखक : विद्वानों की समिति
इस किताब में है : • वह जगहें जिनकी इबादत के तौर पर ज़ियारत करना अस्लन मशरूञ् ( मूलतः शरीअत सम्मत ) ही नहीं है • वह जगहें जिनकी इबादत के तौर पर जियारत करना उमुमन मशरूभू ( साधारणतः शरीअत सम्मत ) है . सबआ मसाजिद ( सात मस्जिदों ) की हकीकृत ।
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हज्ज मबरुर और उसकी फज़ीलत : इस लेख में हज्ज मबरुर की फज़ीलत बयान करते हुए यह उल्लेख किया गया है आदमी का हज्ज मबरुर कब और कैसे होता है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
उम्रा का सही तरीक़ाः इस वीडियो में उम्रा करने का सही तरीक़ा वर्णन किया गया है।
- हिन्दी वक्ता : फैज़ुल्लाह अल-मदनी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
ज़ुल-हिज्जा के दस दिनों के कार्य : अल्लाह सर्वशक्तिमान की महान कृपा व अनुकम्पा और दानशीलता है कि उसने अपने दासों के लिए नेकियाँ कमाने और पुण्य प्राप्त करने अनेक रास्ते और अवसर प्रदान किए हैं। ज़ुल-हिज्जा के महीने प्राथमिक दस दिन नेकियों का महान अवसर और पर्व है। प्रस्तुत व्याख्यान में ज़ुल-हिज्जा के महीने के प्राथमिक दस दिनों की प्रतिष्ठा और उनके अन्दर वर्णित कार्यों, जैसे- हज्ज और उम्रा की अदायगी, रोज़े रखना - विशेषकर अरफा के दिन का रोज़ा जो दो साल के पापों का प्रायश्चित है-, क़ुर्बानी करना, अधिक से अधिक अल्लाहु अक्बर, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्हम्दुलिल्लाह कहना तथा आज्ञारिता के अन्य कार्य करने, का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया कि एक आदमी की मृत्यु हो गयी और उसने हज्ज नहीं किया, जबकि वह चालीस साल का था और हज्ज करने पर सक्षम था। हालांकि वह पाँच समय की नमाज़ों की पाबंदी करनेवाला थ। वह हर साल कहता था कि : इस साल मैं हज्ज करूँगा। उसकी मृत्यु हो गयी और उसके वारिस हैं, तो क्या उसकी तरफ से हज्ज किया जायेगा? और क्या उसके ऊपर कोई चीज़ अनिवार्य है?
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया किः मेरी एक पत्नी है जिसने हज्ज नहीं किया है, तो क्या मेरे ऊपर अनिवार्य है कि मैं उसे हज्ज कराऊँ? और क्या हज्ज में उसका खर्च मेरे ऊपर अनिवार्य है? और अगर वह मेरे ऊपर अनिवार्य नहीं है तो क्या उससे समाप्त हो जायेगा?
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
क्या मुसलमान का नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ओर से क़ुर्बानी करना सही है ? इस मुद्दे में विद्वानों का विचार क्या है ? इस हदीस की प्रामाणिकता क्या है और उसकी व्याख्या क्या है ? हनश से वर्णित है वह अली रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं कि : ‘‘वह दो मेंढों की क़ुर्बानी करते थे, एक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ओर से और दूसरी अपनी तरफ से। उनसे इसके (कारण के) बारे में पूछा गया, तो उन्हों ने फरमाया : मुझे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसका आदेश दिया है। इसलिए मैं इसे कभी नहीं छोड़ूँगा।’’ इसे तिर्मिज़ी और अबू दाऊद ने रिवायत किया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह की पत्रिका ‘‘अहकामुल उज़हियाति वज़्ज़कात’’ का एक अध्याय है, जिसके अंदर क़ुर्बानी के विषय में बुनियादी उसूल का उल्लेख किया गया है और वह यह है कि क़ुर्बानी ज़िन्दा लोगों की तरफ से धर्मसंगत है। लेकिन इस समय बहुत से लोग ज़िन्दों को छोड़कर, मरे हुए लोगों की तरफ से क़ुर्बानी करते हैं। प्रस्तुत लेख में मरे हुए लोगों की तरफ से क़ुर्बानी की हालतों पर चर्चा किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुह क़ाइद अज़-ज़रीबी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में कुछ शिष्टाचार उल्लेख किए गए हैं जिनसे एक हाजी को हज्ज करने से पहले सुसज्जित होना ज़रूरी है।
- हिन्दी
अल्लाह तआला की महान कृपा और उपकार है कि उसने अपने बन्दों के लिए ऐसे नेकियों के मौसम और अवसर निर्धारित किये हैं जिन में वे अधिक से अधिक नेक कार्य करके अपने पालनहार की निकटता प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं। उन्हीं महान मौसमों और महत्वपूर्ण अवसरों में से एक ज़ुलहिज्जा के प्राथमिक दस दिन भी हैं, जिन्हें पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दिन बतलाए हैं। प्रस्तुत लेख में ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उनसे संबंधित कुछ प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन बक़नह शहरानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में हाजियों के लिए हज्ज के महान कर्तव्य की अदायगी के बाद कुछ वसीयतें प्रस्तुत की गई हैं जिनका पालन करना हाजी के लिए अति उचित है।