- क़ुरआन करीम
- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
- कुरआन के विज्ञान
- मसाहिफ़ (क़ुरआन की प्रतियाँ)
- क़ुरआन करीम के पाठ
- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
- पढ़े जाने योग्य उत्कृष्ट अनुवाद
- क़ुरआन के अर्थों के अनुवाद के साथ सस्वर पाठ
- विशिष्ट तिलावतें
- नोबल क़ुरआन और उसके वाहकों के शिष्टाचार
- हदीस
- अक़ीदा (आस्था)
- तौहीद (एकेश्वरवाद)
- इबादत (उपासना) और उसके प्रकार
- इस्लाम
- ईमान और उसके स्तंभ
- ईमान के मसायल
- एहसान
- कुफ्र (नास्तिकता)
- निफाक़ (पाखण्ड)
- शिर्क (अनेकेश्वरवाद) और उसका खतरा
- बिदअत (नवाचार) : उसके प्रकार एवं उदाहरण
- सहाबा और आले-बैत
- तवस्सुल
- वलायत और औलिया की करामतें
- जिन्न
- वफादारी और दुश्मनी तथा उसके प्रावधान
- अह्लुस्सुन्नह वल-जमाअह
- धर्म और पंथ
- संप्रदाय (पंथ)
- इस्लाम से संबद्ध संप्रदाय
- समकालीन वैचारिक सिद्धांत
- धर्मशास्त्र
- उपासनाएं
- लेनदेन के मसायल
- क़सम और मन्नत
- पारिवारिक मसायल का ज्ञान
- चिकित्सा, उपचार और शरई झाड़-फूँक
- खाद्य पदार्थ और पेय
- दंडनीय अपराध
- न्यायिक व्यवस्था
- जिहाद
- समसामयिक एवं उभरते हुए मुद्दों का न्यायशास्त्र
- अल्पसंख्यकों के मसाईल का ज्ञान
- इस्लामी राजनीति
- इस्लामी धर्मशास्त्र के मत
- फ़त्वे
- उसूल फ़िक़्ह (धर्मशास्त्र के सिद्धांत)
- इस्लामी धर्मशास्त्र की किताबें
- विशेषताएं (खूबियाँ)
- अरबी भाषा
- इस्लाम का आह्वान
- Issues That Muslims Need to Know
- दिल को विनम्र करने वाली बातें और सदुपदेश
- भलाई का आदेश देना तथा बुराई से रोकना
- इस्लामी दावत की वस्तुस्थिति
- क़ुरआन करीम
हज्ज और उम्रा
आइटम्स की संख्या: 16
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह लेखक : सलाह बिन मुहम्मद अल-बुदैर अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख मदीना नबविया की ज़ियारत करनेवालों के लिए कुछ निर्देशों पर आधारित है जिसमें उन चीज़ों का उल्लेख किया गया है जिनका करना वैध और धर्मसंगत है, जैसे - मस्जिदे नबवी की ज़ियारत करना और उसमें नमाज़ पढ़ना, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क़ब्र और आपके दोनों साथियों की क़ब्रों की ज़ियारत और उन पर सलाम, तथा मस्जिदे क़ुबा की ज़ियारत और उसमें नमाज़ पढ़ना, बक़ीउल गर्क़द और उहुद के शहीदों की उनपर सलाम पढ़ने और उनके लिए दुआ करने के लिए ज़ियारत करना। इसी तरह उन चीज़ों का भी उल्लेख किया गया है जिनका करना अवैघ और नाजायज़ है, जैसे - मस्जिदे नबवी के किसी भाग या नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कमरे की दीवारों या जालियों आदि को छूकर या चूकमकर बर्कत हासिल करना वग़ैरह।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के शिष्टाचार और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तथा आपके दोनों साथियों अबू बक्र व उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा पर सलाम पढ़ने के तरीक़े का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हज्ज मबरुर और उसकी फज़ीलत : इस लेख में हज्ज मबरुर की फज़ीलत बयान करते हुए यह उल्लेख किया गया है आदमी का हज्ज मबरुर कब और कैसे होता है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह की पत्रिका ‘‘अहकामुल उज़हियाति वज़्ज़कात’’ का एक अध्याय है, जिसके अंदर क़ुर्बानी के विषय में बुनियादी उसूल का उल्लेख किया गया है और वह यह है कि क़ुर्बानी ज़िन्दा लोगों की तरफ से धर्मसंगत है। लेकिन इस समय बहुत से लोग ज़िन्दों को छोड़कर, मरे हुए लोगों की तरफ से क़ुर्बानी करते हैं। प्रस्तुत लेख में मरे हुए लोगों की तरफ से क़ुर्बानी की हालतों पर चर्चा किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुह क़ाइद अज़-ज़रीबी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में कुछ शिष्टाचार उल्लेख किए गए हैं जिनसे एक हाजी को हज्ज करने से पहले सुसज्जित होना ज़रूरी है।
- हिन्दी
अल्लाह तआला की महान कृपा और उपकार है कि उसने अपने बन्दों के लिए ऐसे नेकियों के मौसम और अवसर निर्धारित किये हैं जिन में वे अधिक से अधिक नेक कार्य करके अपने पालनहार की निकटता प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं। उन्हीं महान मौसमों और महत्वपूर्ण अवसरों में से एक ज़ुलहिज्जा के प्राथमिक दस दिन भी हैं, जिन्हें पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दिन बतलाए हैं। प्रस्तुत लेख में ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उनसे संबंधित कुछ प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन बक़नह शहरानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में हाजियों के लिए हज्ज के महान कर्तव्य की अदायगी के बाद कुछ वसीयतें प्रस्तुत की गई हैं जिनका पालन करना हाजी के लिए अति उचित है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल्लाह बिन अहमद आल-अल्लाफ अल-गामिदी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत पुस्तिका में हाजियों के लिए हज्ज के छः दिनों के काम संक्षेप में उल्लेख किए गए हैं, जिसका आरंभ ज़ुल-हिज्जा की 8वीं तारीख से होता है और तश्रीक़ के अंतिम दिन 13वीं ज़ुल-हिज्जा को संपन्न हो जाता है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा के शिष्टाचारः प्रस्तुत लेख में कुछ ऐसे शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है जिनसे हज्ज या उम्रा करने वाले को सुसज्जित होना चाहिए।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल मलिक अल-क़ासिम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख मे इस्लामी जन्त्री के अन्तिम महीने ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उन नेक कामों का उल्लेख किया गया है जिन्हें इन दिनों में करना उचित है। साथ ही साथ इन दस दिनों में घटित होने वाली एक महत्वपूर्ण इबादत क़ुर्बानी और एक महान पर्व ईदुल अज़हा के अहकाम का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की फज़ीलतः हज्ज इस्लाम का एक महान स्तम्भ है जिसकी प्रतिष्ठा महान, जिसका अज्र व सवाब बहुत अधिक और मक़्बूल हज्ज का बदला तो केवल जन्नत ही है। इस लेख में सहीह हदीसों में वर्णित उन फज़ाइल और अज्र व सवाब का उल्लेख किया गया जो एक हज्ज और उम्रा करने वाले को प्राप्त होते हैं, इस शर्त के साथ कि उसके अन्दर उसकी स्वीकृति की शर्तें पूरी हों अर्थात् अल्लाह के लिए इख़्लास और पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज में प्रतिनिधित्वः या किसी अन्य की ओर से हज्ज करना, उन मसाइल में से है जिस के बारे में बाहुल्य रूप से प्रश्न किया जाता है। यह एक शरई हुक्म है जिसके कुछ शुरूत हैं जिनकी पूर्ति करना, और कुछ नियम हैं जिनका पालन करना और कुछ आदाब –शिष्टाचार- हैं जिन से सुसज्जित होना आवश्यक है। इस लेख में उक्त तत्वों को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की अनिवार्यता की शर्तेः इस लेख में उन शर्तों का उल्लेख किया गया है जिन के कारण हज्ज और उम्रा अनिवार्य हो जाता है, ये पाँच शर्तें हैः इस्लाम, बुद्धि, व्यस्कता़, सम्पूर्णतः आज़ादी और सामर्थ्य, तथा महिला के लिए एक अन्य विशिष्ठ शर्त उसके साथ महरम का होना है। जब ये सभी शर्तें किसी व्यक्ति के अन्दर पाई जाएं तो उस पर तुरन्त हज्ज करना अनिवार्य हो जाता है। यदि वह किसी स्थायी बीमारी, या शारीरिक विकलांगता के कारण स्वयं हज्ज करने से असमर्थ है, तो किसी अन्य व्यक्ति को, जो पहले अपना हज्ज कर चुका हो, अपनी ओर से हज्ज करने के लिए प्रतिनिधि बनाए गा।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की अनिवार्यताः हज्ज एक महान इबादत है जिसे अल्लाह तआला ने अनिवार्य किया है और उसे उन पाँच स्तम्भों में से एक स्तम्भ क़रार दिया है जिन पर इस्लाम धर्म का आधार है। इस लेख में क़ुर्आन व हदीस की दलीलों और इज्माअ की रौशनी में यह उल्लेख किया गया है कि हज्ज और उम्रा समर्थ व्यक्ति पर जीवन में एक बार अनिवार्य है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी
इस लेख मे इस्लामी जन्त्री के अन्तिम महीने ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उन नेक कामों का उल्लेख किया गया है जिन्हें इन दिनों में करना उचित है। 1 - ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत। 2 – अरफा के दिन की फज़ीलत। 3- इन दस दिनों में करने योग्य कार्य। 4- हज्ज एंव उम्रा करना। 5- अधिक से अधिक अल्लाह का ज़िक्र करना। 6- क़ुर्बानी करना। 7- रोज़ा रखना। 8- फराईज़ एंव वाजिबात की पाबन्दी करना।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में उम्रा की फज़ीलत, उम्रा करने का उचित तरीक़ा तथा उस के विषय में प्रायः लोगों से होने वाली ग़लतियों पर चेतावनी का उल्लेख किया गया है।