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- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
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- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
- पढ़े जाने योग्य उत्कृष्ट अनुवाद
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- नोबल क़ुरआन और उसके वाहकों के शिष्टाचार
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मानव को इस्लाम की आवश्यकता
आइटम्स की संख्या: 7
- मुख्य पृष्ठ
- अग्र-भाग की भाषा : हिन्दी
- विषयवस्तु की भाषा : सभी भाषाएँ
- मानव को इस्लाम की आवश्यकता
- हिन्दी भाषणकर्ता : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह भाषणकर्ता : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस्लाम : इस वीडियो में बयान किया गया है कि इस्लाम क्या है? और क्या मानव को इस्लाम की जरूरत है? यह एकेश्वरवाद के साथ अल्लाह के लिए समर्पण, आज्ञाकारिता के साथ उसके अनुपालन और बहुदेववाद एवं बहुदेववादियों से अलगाव का नाम है। तथा इस्लामी धर्म की कुछ विशेषताओं ; न्याय, दया, प्रेम और सहिष्णुता आदि का उल्लेख किया गया है। और यह कि इस्लाम ही लोक परलोक में स्वभाग्य का कारण और पुनर्जन्म में मोक्ष के लिए रास्ता है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-ईदान लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह लेखक : सिद्दीक़ अहमद लेखक : जलालुद्दीन उमरी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : सिद्दीक़ अहमद संशोधन : जलालुद्दीन उमरी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस पुस्तक में धर्म का अर्थ और उस के प्रकार, मानव को धर्म की आवश्यकता, इस्लामी अक़ीदह की विशेषताएं, जीवन के तमाम पहलुओं में इस्लाम की सत्यता, इस्लाम में क़ानून साज़ी के स्रोत और इस्लाम के स्तम्भों का उल्लेख है। यह पुस्तक सच्चे धर्म के अभिलाषी के लिए मार्गदर्शक है।
- हिन्दी
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इस पुस्तिका में यह उल्लेख किया गया है कि समस्त मानवीय धर्मों में मानवता और नैतिकता सम्बन्धी शिक्षाओं का वर्णन है, तथा विशेष रूप से इस्लाम धर्म के मूल ग्रंथ दिव्य कुरआन की अमृत वाणियों और मानवता उपकारक पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मधुर सन्देशों में इसका व्यापक और स्पष्ट वर्णन हुआ है, स्वयं पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इसके सर्वप्रथम और महान आदर्श नमूना थे, आपके बाद आपके उत्तराधिकारियों ने भी अपने व्यवहार से इसका प्रचार किया। अतः आज एक ऐसे समय में, जबकि मानव जाति, मानवता और नैतिकता खो देने के कारण, चारों ओर अशान्ति, अव्यवस्था, पारस्परिक घृणा, द्वेष, और अनैतिकता का शिकार है - इस बात की आवश्यकता बढ़ जाती है कि इस्लाम धर्म की मानवता, नैतिकता, उसके गुणों, सिद्धांतों, तर्कसिद्ध शिक्षाओं को प्रस्तुत व प्रदर्शित किया जाये ताकि उनका अनुसरण करके मानव अपना कल्याण कर सके और लोक परलोक में सौभाग्य से लाभान्वित हो। यह पुस्तिका इसी बात का आमंत्रण देती है।
- हिन्दी लेखक : डा. सैयद शाहिद अली संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
क़ुरआन अल्लाह किताब है जिसे उसने सर्व मानव-जाति के मार्गदर्शन के लिए अवतिरित किया है। यह किताब लोक-परलोक में सफलता और सौभाग्या का मार्ग गर्शाती है तथा मनुष्य को अपने अस्तित्व और इस ब्रहमांड के प्रति अनेक प्रश्नों का स्पष्ट उत्तर प्रदान करती है। जैसे- मनुष्य कहाँ से आया है? उसे कहाँ जाना है? उसके जीवन का उद्देश्य क्या है? उसे प्राप्त करने का सायधन क्या है? मृत्यु के बाद क्या होगा? इत्यादि। प्रस्तुत पुस्तक में मानव जीवन उसके विभिन्न पक्षों से संबंधित सैंकड़ों प्रश्नों के क़ुरआन से उत्तर प्रस्तुत किए गए हैं, जिनके अध्ययन से पाठक को इस बात की जानकारी होती है कि क़ुरआन ने सौभाग्य जीवन का क्या मार्ग दर्शाया है।
- हिन्दी
इस्लाम एक संपूर्ण और व्यापक धर्म है, जिस ने दीन और दुनिया, लोक और परलोक, तथा जीवन के सभी वर्गों में मानव जाति की आवश्यकताओं की पूर्ति की है और उसकी समस्त समसयाओं का उचित समाधान पेश किया है। इस्लाम धर्म की विभिन्न विशेषताओं और गुणों में से एक मानव अधिकार की रक्षा है, जिसका एक महत्वपूर्ण छेत्र जन सेवा है। प्रस्तुत पुस्तक में विस्तारपूर्वक इस्लाम में जन सेवा की कल्पना के विषय पर वार्तालाप किया गया है। इस्लाम ने जिस व्यापक रूप से जन सेवा को परिभाषित किया, उसका महत्व स्पष्ट किया, अपने मानने वालों को इसकी प्रेरणा दी, सेवा के अधिकारी लोगों को सुनिश्चित किया, और जिस प्रकार आध्यात्मिक और नैतिक आधारों पर इसका सुदृढ़ क़ानूनी ढाँचा खड़ा किया है वह अद्वितीय है, बल्कि इसे ईश्वर उपासना और धार्मिक कर्तव्य से संबंधित कर के अनन्त बना दिया।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-ईदान अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : सिद्दीक़ अहमद संशोधन : जलालुद्दीन प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में इस प्रश्न का संतोषजनक उत्तर दिया गया है किः क्या मनुष्य को धर्म की आवश्यकता है? चुनाँचे मनुष्य के जीवन में धर्म की आवश्यकता के कारणों का वर्णन करके यह सिद्ध किया गया है कि मनुष्य को मौलिक रूप से घर्म (इस्लाम) की आवश्यकता है।