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मुसलमान महिला का हिजाब
आइटम्स की संख्या: 2
- मुख्य पृष्ठ
- अग्र-भाग की भाषा : हिन्दी
- विषयवस्तु की भाषा : सभी भाषाएँ
- मुसलमान महिला का हिजाब
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
पर्दा सर्वप्रथम अल्लाह की उपासना है, जिसे अल्लाह ने अपनी व्यापक व अपार तत्वदर्शिता से औरतों पर अनिवार्य कर दिया है। पर्दा नारी के लिए पवित्रता, शालीनता और सभ्यता का प्रतीक, तथा उसके सतीत्व व मर्यादा का रक्षक है। पर्दा वास्तव में नारी के लिए प्रतिष्ठा और सम्मान का पात्र है। यह उसकी व्यक्तगत स्वतंत्रता के विरूद्ध या उसके विकास में रुकावट अथवा उसके लिए कलंक नहीं है, जैसाकि इस्लाम की शिक्षाओं और उसकी तत्वदर्शिता से अनभिग लोग तथा पक्षपाती एवं दोहरे मापदंड वाली मीडिया ऐसा दर्शाने की कुप्रयास करती रहती है। प्रस्तुत लेख में इस्लाम के निकट पर्दा की वास्तविकता, उसकी तत्वदर्शिता व रहस्य, उसके उद्देश्य और अच्छे परिणाम का उल्लेख किया गया है। इसी तरह आज के गैर-इस्लामी समाज की दुर्दशा और भयावह आँकड़े को प्रस्तुत करते हुए उन्हें इस्लामी जीवनशैली की प्रतिष्ठा की झलक दिखाकर उससे लाभान्वित होने का आमंत्रण दिया गया है।
- हिन्दी
मैं सोलह साल की एक लड़की हूँ, और एक ऐसे परिवार से हूँ जो धर्म के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं, मैं एक अकेली हूँ जो नमाज़ पढ़ती हूँ और इस्लाम की शिक्षाओं का पालन करने का प्रयास करती हूं, इसीलिए मुझे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उन्हीं में से यह है कि मेरी माँ मुझे इशा और फज्र की नमाज़ पढ़ने से रोकती है और कहती है कि वे दोनों अनुचित समय में हैं !! इसके बावजूद मैं उन्हें चुपके से पढ़ लेती हूं, और यदि वह मुझसे आकर पूछती है तो मैं कहती हूँ कि: मैं ने नमाज़ नहीं पढ़ी . . . ! तो इस बारे में शरीअत का प्रावधान क्या है ॽ क्या मेरे लिए ऐसी स्थिति में झूठ बोलना जइज़ है ॽ तथा मैं पिज़्ज़ा रेस्तरां में काम करता थी और यह रेस्तरां सूअर बेचता था इसलिए मैं ने उसे छोड़ दिया, और जब उसने मुझसे पूछा तो मैं ने उससे कहा कि उन्हों ने मुझे निकाल दिया है, तो इस स्थिति में भी शरीअत का दृश्य क्या है ॽ एक दूसरा मुद्दा यह है कि मैं अपनी माँ के साथ ट्रेन से एक दूसरे शहर का सफर करने वाली हूँ और ज़ुहर और अस्र की नमाज़ का समय ट्रेन ही में हो जायेगा, और उस समय मेरे लिए उनकी अदायगी करना संभव न होगा, तो फिर क्या करना होगा ॽ मैं ने सुना है कि नमाज़ों को एकत्र करके पढ़ना जाइज़ है, लेकिन मुझे नहीं पता कि कैसे . . .! क्या इसका मतलब यह है कि मेरे लिए ज़ुहर और अस्र की नमाज़ ज़ुहर की नमाज़ के समय पढ़ना संभव है, और इसे कैसे पढ़ा जायेगा ॽ यह बात निश्चित है कि मैं इशा और फज्र की नमाज़ भी पढ़ने पर सक्षम नहीं हूँगी क्योंकि मेरी माँ मेरे साथ होगी, तो फिर क्या करूँ ॽ क्या दूसरे समय में नमाज़ों की क़जा की जायेगी, और कैसे ॽ इसके अलावा, मेरी माँ मुझे हिजाब पहनने से भी रोकती है, और इस बात पर ज़ोर देती है कि मैं ऐसा पोशाक पहनूँ जो उस समाज और वातावरण के अनुकूल हो जिसमें मैं रहती हूँ, उदाहरण के तौर पर गर्मियों में मुझे छोटे कपड़े पहनने पर मजबूर करती है, और कहती है कि सूरज त्वचा के लिए उपयोगी है . . इन सब के बावजूद, मैं इन दबावों का विरोध करती हूँ, और यथा संभव शालीनता अपनाने का प्रयास करती हूँ, . . लेकिन मैं वास्तव में उस समय उदास और दुखी होती हूँ जब मैं अपनी माँ को देखती हूँ कि वह मुझसे गुस्सा करती है, लेकिन मैं भी अपने धर्म के सिद्धांतों को त्याग नहीं कर सकती, तो क्या आप कोई नसीहत करेंगेॽ