नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ला की नमाज़ की विधि के वर्णन में संछिप्त पुस्तकों में सर्वश्रेष्ठ पुस्तिका है, जिस में नमाज़े नबवी का उचित तरीक़ा, फर्ज़ नमाज़ के बाद की दुआओं तथा मुअक्कदह सुन्नतो और उनकी फज़ीलत का उल्लेख किया गया है।
संक्षिप्त नमाज़-ए-नबवी डॉ. अहमद अल्-ख़लील/अल्लाह उन्हें सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्रदान करे! की संक्षिप्त पुस्तक जिसमें उन्होंने हदीसों के माध्यम से नमाज़ के नियम क्रमबद्ध रूप में उल्लेख किए हैं एवं केवल सहीह दृष्टिकोण पर ही संतुष्टि किया है।
नमाज़े नबवी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लमः प्रस्तुत पुस्तक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़े के विषय में सर्वश्रेष्ठ किताबों में से एक है, जिसमें पवित्रता के अहकाम व मसायल, वुज़ू व गुस्ल का तरीक़ा, अज़ान व इक़ामत के नियम, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज का संपूर्ण तरीक़ा, और सभी प्रकार के सुनन व नवाफिल नमाज़ों के अहकाम का उल्लेख किया गया है।
उस आदमी का क्या हुक्म है जो ला इलाहा इल्लल्लाह की गवाही देता है, नमाज़ क़ायम करता है, परंतु ज़कात नहीं देता है और वह इससे कभी सहमत नहीं होता है ? यदि वह मर जाता है तो उसका क्या हुक्म है, क्या उसकी नमाज़ जनाज़ा पढ़ी जायेगी या नहीं ?
इस पुस्तिका में इस्लामी अक़ीदा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मसाइल को प्रश्न-उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ये मसअले शैख मुहम्मद जीमल ज़ैनू की पुस्तक (अल-अक़ीदा अल-इस्लामिय्या मिनल किताबि वस्सुन्नतिस्सहीहा) से संकलित किए गए हैं। इसमें शिर्क, तौहीद, जादू, वसीला, दुआ, तसव्वुफ, क़ब्रों की जि़यारत और उस पर सज्दा करना और उसे छूना इत्यादि जैसे मसाइल पर चर्चा किया गया है।
उस व्यक्ति का हुक्म क्या है जिसने रमज़ान में रोज़ा तोड़ दिया जबकि वह उसके रोज़े की अनिवार्यता का इनकार करने वाला नहीं है। क्या उसका एक से अधिक बार लापरवाही करते हुए रोज़ा न रखना उसे इस्लाम से बाहर निकाल देंगा ?
मदीना की फज़ीलत और उसकी ज़ियारत एंव निवास के आदाब : मदीना तय्यिबा के यात्रियों के लिए यह एक बहुमूल्य उपहार और महत्वपूर्ण गाईड है। जिस में मदीना तैयिबा की फज़ीलत, मस्जिदे नबवी एंव मस्जिद क़ुबा की फज़ीलत, मदीना की ज़ियारत एंव उसमें निवास के आदाब, ज़ियारत के योग्य स्थान, ज़ियारत का उचित तथा अनुचित तरीक़ा और क़ब्रों की ज़ियारत के उद्देश्य का प्रमाणित रूप से उल्लेख किया गया है।
यह एक महत्व पूर्ण पुस्तिका है जिस में इस बात का उल्लेख किया गया है कि बीमार व्यक्ति किस प्रकार छोटी या बड़ी नापाकी से तहारत (पवित्रता) हासिल करेगा तथा किस तरह नमाज़ पढ़ेगा।