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- क़ुरआन करीम
लेख
आइटम्स की संख्या: 114
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
पवित्र क़ुर्आन मानवता के नाम अल्लाह का सर्व कालिक और अन्तिम संदेश है, जो मानवता की लौकिक और पारलौकिक हितों के मार्गदर्शन पर आधारित है, जो सत्य और असत्य, मार्गदर्शन और पथभ्रष्टता, सौभाग्य और दुर्भाग्य के बीच अन्तर स्पष्ट करता है। वह महीना जिस में मानवता को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ, वह रमज़ान का ही शुभ महीना है। इसलिये हमारे अति उचित है कि हम विशेष रूप इस मुबारक महीने में इस महान ग्रंथ का पाठ करने, उसे पढ़ने-पढ़ाने, सीखने-सिखाने, उसमें मननचिंतन करने और उसके अनुसार कार्य करने पर भरपूर ध्यान दें। इस पर हमें क्या लाभ मिलेगा ? पढ़िये इस लेख में।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख मे तरावीह की नमाज़ का हुक्म, उसकी फज़ीलत, उसकी रक्अतों की संख्या और उसकी अदायगी का मस्नून तरीक़ा उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम के गुणों में से एक महान गुण यह भी है कि उसने लोगों की आवश्यकताओं और उनकी परिस्थितियों का बहुत ध्यान रखा है और जहाँ भी उन्हें कठिनाई और कष्ट का सामना होता है, वहाँ उनके लिए आसानी का नियम और संविधान पस्तुत करता है, उन्हीं में से एक बीमार और मुसाफिर के रोज़े का मस्अला भी है। इस लेख मे बीमार और मुसाफिर के रोज़े का हुक्म तथा बीमारी और सफर के विभिन्न प्रकार उल्लेख किये गये है जिनमें उनके लिए रोज़ा तोड़ने की रूख्सत प्राप्त होती है या उन्हें इसकी छूट नहीं मिलती है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
रोज़ा –व्रत-जिसे अल्लाह तआला ने अपने बंदों पर अनिवार्य किया है, उसके अंदर बहुत बड़ी तत्वदर्शिता और ढेर सारे फायदे और लाभ हैं, जिन से एक रोज़ा रखने वाला लाभान्वित होता है। इस लेख में इसी का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में क़ुरआन, हदीस और मुसलमानों की सर्वसम्मति के द्वारा रोज़े का हुक्म, तथा किन लोगों पर रोज़ा अनिवार्य है और इस फ़रीज़ा का इनकार करने वाले का हुक्म उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : नाईफ बिन अहमद बिन अली अलहमद अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह लेख यात्रा से संबंधित कुछ अहकाम पर आधारित है, जिस में इस्लामी दृष्टिकोण से यात्रा के प्रकार, यात्री को यात्रा के कारण प्रदान की जाने वाली रूख्सतें और आसानियाँ, सफर की रूख्सतों से लाभान्वित होने की शर्तें, सफर के आदाब और ग़ैर इस्लामी देशों का सफर करने की शर्तों पर प्रकाश डाला गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
उसमान बिन अफ्फान रज़ियल्लाहु अन्हु के जीवन की कुछ झलकियाँ : इस लेख में मुसलमानों के तीसरे खलीफी उसमान बिन अफ्फान रज़ियल्लाहु अन्हु की जीवनी, आपकी विशेषताओं और महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में कुछ झलकियाँ प्रस्तुत की गई हैं।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम धर्म एक संपूर्ण व्यापक धर्म है जो जीवन के सभी छेत्रों को घेरे में लिये हुये है। मानव जीवन का कोई ऐसा छेत्र नहीं है जिसके बारे में इस्लाम के अंदर कोई मार्गदर्शन मौजूद न हो। प्रस्तुत लेख में इस्लामी शिष्टाचार के कुछ पहलुओं को उजागर किया गया है जिन से सुसज्जित होने का इस्लाम ने मुसलमानों को आदेश किया है, उदाहरण स्वरूप खान-पान के आदाब, सोने जागने के आदाब, बैठक और सभा के आदाब, शौच के आदाब, यात्रा के आदाब...इत्यादि।
- हिन्दी
यह पुस्तिका वास्तव में एक पत्र है जिसे एक नव-मुस्लिम ने अपनी माँ के नाम लिखा है, जिस में उसने अपनी माँ को इस्लाम के वास्तविक संदेश से अवगत कराते हुये यह स्पष्ट किया है कि उसने इस्लाम धर्म क्यों स्वीकार किया है। तथा इस्लाम के बारे में अपनी माँ के अशुद्ध विचारों, ग़लतफह्मियों और आशंकाओं का निवारण किया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम धर्म में सबसे सुदृढ़ और सर्वोच्च संबंध और बंधन इस्लामी भाईचारा है, इसीलिए एक मुसलमान के प्रति दूसरे मुसलमान पर अनेक अधिकार अनिवार्य हैं जिनकी पूर्ति करना हर मुसलमान का कर्तव्य है, उन्हीं में से एक कर्तव्य मुसलमान भाई की सहायता करना, संकट में उसके साथ खड़ा होना तथा उसकी सहायता पर शक्तिवान होते हुए उसको असहाय न छोड़ना है। क़ुर्आन और हदीस में इसके क्या प्रमाण हैं? पढ़िये इस लेख में।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
किसी चीज़ को मनहूस –अशुभ- समझना या उस से अपशकुन और बदफाली लेना जाहिलियत –अज्ञानता- के युज्ञ की परंपराओं में से है, जिसका इस्लाम ने खण्डन किया है और उसे अल्लाह पर दृढ़ विश्वास,संपूर्ण तवक्कुल व भरोसा के विरुद्ध घोषित किया है। जाहिलियत के समय के अरब जिन चीज़ों से अपशकुन लिया करते थे उन्हीं मे से एक इस्लामी केलेण्डर के द्वितीय मास सफर से अपशकुन लेना है,जिसका प्रभाव किसी न किसी रूप में आज तक के मुसलमानों में भी दिखायी देता है। इस लेख में इस्लामी दृश्य से इस पर प्रकाश डाला गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु के जीवन की कुछ झलकियाँ : उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ही वह दूसरे व्यक्ति है जिनका पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने पश्चात अनुसरण करने का आदेश दिया था। अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ने अपने बाद आप को ख़लीफा नामज़द किया। आप के शासन काल में अनेक प्राथमिकताएं जन्मित हुईं और बाहुल्य रूप से फुतूहात हुईं। रूम व फारिस के देश आप के कार्यकाल में पराजित किए गए और उसके खजाने आप के पास लाए गए, किन्तु आप के कपड़े पर 10 से अधिक पैवंद लगे होते थे। आप के जीवन के विषय में अधिक जानकारी के लिए यह लेख पढ़िए ।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह लेखक : रिसर्च डिवीज़न दारुल-क़ासिम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में मुहर्रम के महीने और विशिष्ट रूप से उसकी दसवीं तारीख (आशूरा के दिन) की फज़ीलत, महत्व और उस दिन रोज़ा रखने के अज्र व सवाब और प्रतिफल का उल्लेख किया गया है। साथ ही साथ आत्म-निरीक्षण (नफ्स के मुहासबा) के महत्व को स्पष्ट किया गया है, विशेषकर नये वर्ष के प्रारम्भ पर।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की फज़ीलतः हज्ज इस्लाम का एक महान स्तम्भ है जिसकी प्रतिष्ठा महान, जिसका अज्र व सवाब बहुत अधिक और मक़्बूल हज्ज का बदला तो केवल जन्नत ही है। इस लेख में सहीह हदीसों में वर्णित उन फज़ाइल और अज्र व सवाब का उल्लेख किया गया जो एक हज्ज और उम्रा करने वाले को प्राप्त होते हैं, इस शर्त के साथ कि उसके अन्दर उसकी स्वीकृति की शर्तें पूरी हों अर्थात् अल्लाह के लिए इख़्लास और पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज में प्रतिनिधित्वः या किसी अन्य की ओर से हज्ज करना, उन मसाइल में से है जिस के बारे में बाहुल्य रूप से प्रश्न किया जाता है। यह एक शरई हुक्म है जिसके कुछ शुरूत हैं जिनकी पूर्ति करना, और कुछ नियम हैं जिनका पालन करना और कुछ आदाब –शिष्टाचार- हैं जिन से सुसज्जित होना आवश्यक है। इस लेख में उक्त तत्वों को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की अनिवार्यता की शर्तेः इस लेख में उन शर्तों का उल्लेख किया गया है जिन के कारण हज्ज और उम्रा अनिवार्य हो जाता है, ये पाँच शर्तें हैः इस्लाम, बुद्धि, व्यस्कता़, सम्पूर्णतः आज़ादी और सामर्थ्य, तथा महिला के लिए एक अन्य विशिष्ठ शर्त उसके साथ महरम का होना है। जब ये सभी शर्तें किसी व्यक्ति के अन्दर पाई जाएं तो उस पर तुरन्त हज्ज करना अनिवार्य हो जाता है। यदि वह किसी स्थायी बीमारी, या शारीरिक विकलांगता के कारण स्वयं हज्ज करने से असमर्थ है, तो किसी अन्य व्यक्ति को, जो पहले अपना हज्ज कर चुका हो, अपनी ओर से हज्ज करने के लिए प्रतिनिधि बनाए गा।
- हिन्दी लेखक : सईद बिन अली बिन वहफ अल-क़हतानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा की अनिवार्यताः हज्ज एक महान इबादत है जिसे अल्लाह तआला ने अनिवार्य किया है और उसे उन पाँच स्तम्भों में से एक स्तम्भ क़रार दिया है जिन पर इस्लाम धर्म का आधार है। इस लेख में क़ुर्आन व हदीस की दलीलों और इज्माअ की रौशनी में यह उल्लेख किया गया है कि हज्ज और उम्रा समर्थ व्यक्ति पर जीवन में एक बार अनिवार्य है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु के जीवन की कुछ झलकियाँ : अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पश्चात इस उम्मत के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं। आजीवन पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संगत में रहे और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के स्वर्गवास के बाद आप के उत्तराधिकारी -खलीफा- बनाए गए। आप के गुण-विशेषण क्या हैं\ आप के शासन काल की क्या प्राप्तियाँ हैं\ संछिप्त में पढ़िए गा इस लेख में।
- हिन्दी लेखक : एहसान अल-उतैबी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
नीयतों को संग्रह करनाः एक ही काम में कई चीज़ की नियतों करने का मस्अला बहुत महत्वपूर्ण है, जिसके विषय में अधिकांश लोग प्रश्न करते रहते हैं। इस लेख में नीयतों को संग्रह करने अथवा न करने का आधार बयान किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
ज़कातुल-फित्र के अहकामः रमज़ान के महीने की समाप्ति अल्लाह के पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुसलमानों पर ज़कातुल-फित्र निकालना अनिवार्य किया है। इस लेख में ज़कातुल-फित्र के अहकाम संछिप्त रूप में वर्णन किए गए हैं।