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आइटम्स की संख्या: 160

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    नमाज़े नबवी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लमः प्रस्तुत पुस्तक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़े के विषय में सर्वश्रेष्ठ किताबों में से एक है, जिसमें पवित्रता के अहकाम व मसायल, वुज़ू व गुस्ल का तरीक़ा, अज़ान व इक़ामत के नियम, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज का संपूर्ण तरीक़ा, और सभी प्रकार के सुनन व नवाफिल नमाज़ों के अहकाम का उल्लेख किया गया है।

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    नये मुस्लिम के लिए रहनुमा किताबः इस पुस्तक में संक्षेप के साथ इस्लाम की परिभाषा, ईमान एवं इस्लाम के स्तंभों का उल्लेख करते हुए पवित्रता हासिल करने के प्रावधान तथा नमाज़ पढ़ने के तरीक़े का वर्णन विशेषकर जुमा की नमाज़ का उल्लेख किया गया है। इसी तरह इस किताब में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की संक्षिप्त जीवनी, सूरतुल फातिहा और क़ुर्आन की अन्य दस छोटी सूरतों का उच्चारण औ उनके अर्थ का अनुवाद प्रस्तुत किया गया है। तथा इस किताब के अंत में कुछ महत्वपूर्ण दुआओं, इस्लामी आदाब (शिष्टाचार) और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्यारी बातों का कुछ अंश प्रस्तुत किया गया है।

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    इस्लाम ही वह एकमात्र सच्चा धर्म है, जिसे अल्लाह तआला ने सर्व मानव जाति के लिए पसंद कर लिया है। अतः वह किसी भी व्यक्ति से इस्लाम के सिवा कोई दूसरा धर्म कदापि स्वीकार नहीं करेगा। इस्लाम मानव के सौभाग्य और सफलता का धर्म है, तथा वही वह धर्म है जिसने मनुष्य के व्यक्तिगत, या पारिवारिक, या सामुदायिक या सर्व मानव जाति से संबंधित मामलों में ऐसे सूक्ष्म आचार और उचित ढंग, तौर-तरीक़े सिखाये हैं जिन से उसका जीवन सुलभ हो सकता है, उसकी खुशी संपन्न हो सकती है और उसको सच्चा सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। इस पुस्तक में इस्लाम के उन्हीं कुछ गुणों और विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।

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    इस्लाम और ईमान के स्तंभ क़ुरआन व सुन्नत से संकलितः इस पुस्तक में संक्षेप के साथ इस्लाम और ईमान के स्तंभों का वर्णन करते हुए, इस्लाम, ईमान और एहसान का अर्थ, ला इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की गवाही का अर्थ उल्लेख किया गया है। इसके बाद इस्लाम के दूसरे स्तंभ नमाज़ का महत्प व विशेषता, नमाज़ छोड़ने पर चेतावनी, वुज़ू का तरीक़ा, नमाज़ का तरीक़ा तथा ईद, जुमा, जनाज़ा, इस्तिखारा, इस्तिस्क़ा (बारिश मांगने), सूर्य व चाँद ग्रहण की नमाज़, बीमार व्यक्ति की पवित्रता और नमाज़ के तरीक़ा का वर्णन किया गया है। तथा ज़कात की विशेषता व महत्व, उसके अनिवार्य होने की तत्वदर्शिता, जकात के धन और उसकी मात्रा, उसके हकदार लोग और ज़कात ने देने वालों की सज़ा, रोज़ा. उसके लाभ और शिष्टाचार, हज्ज व उम्रा की विशेषता, उसका तरीक़ा और उससे संबंधित कुछ मसाइल, तथा मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है। तक़्दीर -भाग्य- पर ईमान, उसकी श्रेणियाँ और तक़्दीर पर ईमान रखने के लाभ का वर्णन विशेष रूप से किया गया है। इसी तरह चारों इमामों के बीच पाये जाने वाले विचार भेदों के मुद्दे का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि वे सभी हदीस पर अमल करने वाले थे और उनके बीच मतभेदों के अनेक कारणों में से उनके पास हदीस का न पहुँचना था। और सभी अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए अपनी तक़्लीद करने से सख्ती से रोका है और हदीस के अनुकरण का हुक्म दिया है। अंत में कुछ नास्तिकता पर आधारित बातिल अक़ीदों का उल्लेख कर उनका खंडन किया गया है।

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    इस्लामी अक़ीदा क़ुरआन और हदीस रोशनी मेः प्रस्तुत पुस्तक इस्लामी अक़ीदा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों पर आधारित है, जिनका क़ुरआन और हदीस की रोशनी में उत्तर दिया गया है। चुनांचे इसमें इस्लाम व ईमान का अर्थ, तौहीद की क़िस्में और उसके लाभ, ला इलाहा इल्लल्लाह का अर्थ और उसकी शर्तें, अमल के क़बूल होने की शर्तो, शिर्क अक्बर की क़िस्में और और उसके नुक़सानात, वसीला और शफाअत मांगने के प्रावधान का उल्लेख किया गया है।

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    इस पुस्तक में इस्लाम का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करते हुए सृष्टि और मानवजाति की रचना, मरण उपरांत जीवन, अल्लाह का एकेश्वरवाद, इस्लाम के स्तंभ, संदेष्टाओं के अवतरण का उद्देश्य और पांच महान संकल्प वाले संदेष्टाओं का संक्षिप्त वर्णन, इस्लाम में तीन प्रतिष्ठित मस्जदों का वर्णन, क़ुरआन के चमत्कार का वर्णन किया गया है। इसी तरह इस्लाम में मानव अधिकार, महिलाओं के अधिकार, पर्यावरण, इस्लामी कला, मानवीय सभ्यता की उन्नति में इस्लाम के योगदान और पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अंतिम धर्मोपदेश पर चर्चा किया गया है।

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    प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे लोगों की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी उल्लेख की गई है जिन्हों ने इस्लाम का गहन अध्ययन किया, उसे समझा और सोच-विचार कर उसे दिल की गहराईयों से स्वीकार किया जबकि वे वैज्ञानिक, चिकित्सक और बुद्धिमान लोग थे। इस पुस्तक का उद्देश्य केवल संसार वालों को यह बताना है कि आपके इन मित्रों के इस्लाम स्वीकारने का कारण क्या है तथा वे परलोक में क्या चाहते हैं तथा साथ ही साथ सारे लोगों को निमंत्रण देना है कि हरेक इस बात पर विचार करे कि हमारा तथा संसार की सभी चीज़ों का सृष्टा, रचयिता, पालनहार और स्वामी कौन है क्या वही सर्वशक्तिमान एकमात्र वास्तविक पूज्य नहीं है क्या उसके अतिरिक्त कोई और पूज्य हो सकता है

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    इस पुस्तक में इस्लाम का अर्थ और उसकी वास्तविकता, अल्लाह के आदेश और उसकी शरीअत की जानकारी के साधन, ईश्दूतों और उनकी सत्यता के प्रमाणों का ज्ञान, इस्लाम और ईमान के स्तंभों का वर्णन, इस्लामी शरीअत के स्रोत और बंदों पर अनिवार्य कर्तव्यों का वर्णन किया गया है, तथा इस बात का उल्लेख किया गया है कि शरीअत को लागू करना अल्लाह की उपासना है और उसने मानव की पाँच आवश्यक ज़रूरतों की रक्षा की है।

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    यह पुस्तक उस तौहीद (एकेश्वरवाद) की वास्तविकता को स्पष्ट करती है जिसके साथ अल्लाह ने समस्त संदेष्टा को अवतरित किया, तथा इस एकेश्वरवाद के विषय में अनेकेश्वरवादियों की ओर से व्यक्त किए जाने वाले संदेहों का खंडन करती है। लेखक ने इसमें तौहीद एवं शिर्क का अर्थ और उनके भेद, धरती पर घटित सर्वप्रथम शिर्क की घटना, तथा संसार में प्रचलित शिर्क के विभिन्न रूपों और इस समुदाय में शिर्क की बाहुल्यता एवं उसके पनपने के कारणों वर्णन किया है। उन्हीं में से एक व्यापक कारण वे संदेह हैं जिनका अनेकेश्वरवादी आश्रय लेते हैं और इस घोर पाप के लिए उन्हें अपना आधार मानते हैं। लेखक ने ऐसे 12 संदेहों का उल्लेख कर उनका स्पष्ट सत्तर दिया है। अंत में इस घोर पाप को करने वाले के भयंकर और दुष्ट परिणामों का चर्चा करते हुए इस से सावधान किया है।

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    इस पुस्तिका में इस्लामी अक़ीदा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मसाइल को प्रश्न-उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ये मसअले शैख मुहम्मद जीमल ज़ैनू की पुस्तक (अल-अक़ीदा अल-इस्लामिय्या मिनल किताबि वस्सुन्नतिस्सहीहा) से संकलित किए गए हैं। इसमें शिर्क, तौहीद, जादू, वसीला, दुआ, तसव्वुफ, क़ब्रों की जि़यारत और उस पर सज्दा करना और उसे छूना इत्यादि जैसे मसाइल पर चर्चा किया गया है।

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    मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन की पूर्व सूचना हमें बाइबल, तौरेत और अन्य धर्म ग्रन्थों में मिलती है, यहाँ तक कि भारतीय धर्मग्रम्थों में भी आप के आने की भविष्यवाणियाँ मिलती हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की पुस्तकों में इस प्रकार की पूर्व-सूचनाएँ मिलती हैं। इस पुस्तिका में सब को अकत्र करके पेश करने का प्रयास किया गया है। और यह सिद्ध किया गया है कि जिस नराशंस या कल्कि अवतार के आगमन का उनके धर्मग्रन्थों में उल्लेख हुआ है और उसकी जो विशेषतायें वर्णित हुई हैं, वह इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ही हैं। इसलिए जीवन की सुगम, सार्थक, सफल और फलदाई यात्रा के लिए अल्लाह के अन्तिम पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के द्वारा पेश की गई शिक्षाओं को अपनाया जाए और उनके बताये हुए मार्ग पर चला जाए।

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    क़ादियानियत की हक़ीकत : यह पुस्तक क़ादियानियत के असली चेहरे को बेनक़ाब करती है, जो मुस्लिम समाज में घुस कर अपने आप को एक सच्चे मुसलमान के रूप में पेश करते हैं और अपने दुष्ट इरादों को छुपाये रखते हैं, जिसके कारण सीधे-साधे कम इल्म वाले मुसलमान आसानी से उनके झांसे में आ जाते हैं। जबकि इनके इरादे बड़े भयानक और खतरनाक हैं, इसलिए आम मुसलमानों को इन से अवगत कराना आवश्यक है। प्रस्तुत किताब का उद्देश्य यही है, जिसमें क़ादियानियत के संस्थापक की संक्षिप्त जीवनी, क़ादियानियत के अक़ाईद (आस्थाओं और मान्यताओं) मिज़ाZ गुलाम अहमद के दावों, इल्हामात, तावीलों, भविष्यवाणियों, मुसलमानों के बारे में उनके अक़ीदे, जिहाद और हज्ज के प्रति उनके रवैये का खुलासा करते हुए, क़ादियानियत की हक़ीक़त का फर्दा फाश किया गया है।

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    इस पुस्तिका में अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) के उस संयुक्त संदेश का उल्लेख किया गया है जिस के साथ आदम –अलैहिस्सलाम- से लेकर मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- तक सभी ईश्दूत और सन्देष्टा भेजे गये। तथा आज यहूदियों और ईसाईयों के हाथों में मौजूद बाइबल (ओल्ड टैस्टामेंट एंव नया टैस्टामेंट) के हवालों से अल्लाह के एकेश्वरवाद को प्रमाण-सिद्ध किया गया है।

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    इस्लाम ही वह एकमात्र सच्चा धर्म है, जिसे अल्लाह तआला ने सर्व मानव जाति के लिए पसंद कर लिया है। अतः वह किसी भी व्यक्ति से इस्लाम के सिवा कोई दूसरा धर्म कदापि स्वीकार नहीं करेगा। इस्लाम मानव के सौभाग्य और सफलता का धर्म है, तथा वही वह धर्म है जिसने मनुष्य के व्यक्तिगत, या पारिवारिक, या सामुदायिक या सर्व मानव जाति से संबंधित मामलों में ऐसे सूक्ष्म आचार और उचित ढंग, तौर-तरीक़े सिखाये हैं जिन से उसका जीवन सुलभ हो सकता है, उसकी खुशी संपन्न हो सकती है और उसको सच्चा सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। इस पुस्तक में इस्लाम के उन्हीं कुछ गुणों और विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।

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    अल्लाह के पैग़म्बर के सद्व्यवहार के कुछ दर्शन : मानवता के लिये बहुत बड़े लज्जा की बात है कि मानवता के मोक्ष प्रदायक अल्लाह के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जैसे महान पुरूष के आचार पर प्रहार कर के उनका अपमान किया जाए जिनका दूत-कर्म ही शिष्टाचार को सम्पन्न करना था। यह लेख आप के सद्व्यवहार का सन्छिप्त दर्शन प्रस्तुत करता है।

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    इस पुस्तक में इस्लाम धर्म की विशेषता तथा इस तथ्य का वर्णन है कि इस्लाम सर्वश्रेष्ठ धर्म है, और यही वह ईश्वरीय धर्म है जिस के बिना किसी भी मनुष्य को सौभाग्य और मोक्ष प्राप्त नही हो सकता। अत: समस्त लोगों पर इस्लाम को स्वीकार करना और उसके अतिरिक्त अन्य धर्मों को त्याग देना अनिवार्य है। जो व्यक्ति इस्लाम को छोड़ कर कोई अन्य धर्म तलाश करे गा, तो अल्लाह तआला उस को कदापि स्वीकार नहीं करे गा। तथा इस बात का उल्लेख है कि बिद्अत बड़े-बड़े गुनाहों से भी अधिक भीषण और भयंकर है, इस लिए बिद्अतों से बचाव करना अविवार्य है। तथा जिस प्रकार आरम्भ में इस्लाम के अनुयायी थोड़े थे उसी प्रकार अन्त में भी इस के मानने वाले कम हो जायें गे, अत: उस समय इस्लाम पर जमे रहने वालों के लिए शुभ सूचना है

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    मदीना की फज़ीलत और उसकी ज़ियारत एंव निवास के आदाब : मदीना तय्यिबा के यात्रियों के लिए यह एक बहुमूल्य उपहार और महत्वपूर्ण गाईड है। जिस में मदीना तैयिबा की फज़ीलत, मस्जिदे नबवी एंव मस्जिद क़ुबा की फज़ीलत, मदीना की ज़ियारत एंव उसमें निवास के आदाब, ज़ियारत के योग्य स्थान, ज़ियारत का उचित तथा अनुचित तरीक़ा और क़ब्रों की ज़ियारत के उद्देश्य का प्रमाणित रूप से उल्लेख किया गया है।

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    तक़्वियतुल-ईमान : यह उर्दू भाषा में लिखित सुप्रसिद्ध पुस्तक है जिसे पढ़ कर लाखों लोग एकेश्वरवाद से परिचित हुए। इस पुस्तक मे तौहीद को प्रामाणित करने तथा शिर्क का खण्डन करने से संबंधित आयात एंव अहादीस