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- क़ुरआन करीम
ईमान और उसके स्तंभ
आइटम्स की संख्या: 78
- हिन्दी वक्ता : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस ऑडियो में इस बात का उल्लेख किया गया है किस तरह मानव समाज में ईश्दूतों के अवतरण की शुरूआत हुई और विकास करते हुए एक महान संदेष्टा के ईश्दूतत्व पर संपन्न हो गयी - और वह समस्त ईश्दूतों व संदेष्टाओं के नायक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं। तथा ईश्दूतत्व के संक्षेप इतिहास का वर्णन करते हुए हमारे अंतिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व, उनके अवतरण के समय धार्मिक व सामाजिक स्थितियों, उनके गुणों, पवित चरित्र, जीवन की घटनाओं, कठिन परिस्थियों, उनकी जाति के लोगों का आपके साथ दुर्व्यवहार और आपका उनके साथ सदव्यवहार का उल्लेख किया गया है। इसी तरह पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व की सच्चाई, उसके प्रमाणों का चर्चा करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि आप पर ईश्दूतत्व का समापन हो जाता है। अतएव, आप अब परलोक तक सर्वमानवजाति के लिए अल्लाह के ईश्दूत व संदेष्टा हैं और सबके लिए आपका अनुपालन करना अनिवार्य है।
- हिन्दी वक्ता : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस ऑडयिों में उन बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें ईमान लाने का आदेश दिया है, और उनमें सर्व प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण अल्लाह पर ईमान लाना अर्थात ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ का इक़रार करना है। जिस पर इस्लाम की आधारशिला है, और जिसके द्वारा एक मुसलमान के बीच और एक काफिर, मुश्रिक और नास्तिक के बीच अंतर होता है। लेकिन केवल इस कलिमा का उच्चारण मात्र ही काफी नहीं है, बल्कि उसके अर्थ और भाव पर पूरा उतरना ज़रूरी है। इसी तरह ‘इलाह’ (पूज्य) का अर्थ और ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ की वास्तविकता का उल्लेख करते हुए, मानव जीवन में इस कलिमा के प्रभावों का उल्लेख किया गया है। अंत में उन अवशेष बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर ईमान लाने का पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें आदेश दिया है, और वे : अल्लाह के फरिश्तों, उसकी पुस्तकों, उसके पैगंबरों, परलोक के दिन, और अच्छी व बुरी तक़्दीर (भाग्य) पर ईमान लाना, हैं।
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हमारे महान संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के व्यक्तित्व पर आक्रमण के बाद, पूरी दुनिया में मुसलमानों की भावनाएं उत्तेजित हो गईं और इस अत्याचारी व अन्यायिक आक्रामक व्यवहार के प्रति अपने आक्रोष, क्रोध और अस्वीकृति व्यक्त करने लगीं। यह एक क्रान्ति है जो मूलतः मुसलमानों के अपने सम्मानित पैगंबर से मोहब्बत रखने के परिणाम स्वरूप पैदा हुई है। यह एक सराहनीय चीज़ है, परंतु इस मोहब्बत की जाँच परख करने और इसकी वास्तविकता पर चिंतन करने से यह स्पष्ट होता है कि यह अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुँचती है। इस पुस्तिका में इसी चीज़ का खुलासा करने का प्रयास किया गया है।
- हिन्दी
इस्लाम और ईमान के स्तंभ क़ुरआन व सुन्नत से संकलितः इस पुस्तक में संक्षेप के साथ इस्लाम और ईमान के स्तंभों का वर्णन करते हुए, इस्लाम, ईमान और एहसान का अर्थ, ला इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की गवाही का अर्थ उल्लेख किया गया है। इसके बाद इस्लाम के दूसरे स्तंभ नमाज़ का महत्प व विशेषता, नमाज़ छोड़ने पर चेतावनी, वुज़ू का तरीक़ा, नमाज़ का तरीक़ा तथा ईद, जुमा, जनाज़ा, इस्तिखारा, इस्तिस्क़ा (बारिश मांगने), सूर्य व चाँद ग्रहण की नमाज़, बीमार व्यक्ति की पवित्रता और नमाज़ के तरीक़ा का वर्णन किया गया है। तथा ज़कात की विशेषता व महत्व, उसके अनिवार्य होने की तत्वदर्शिता, जकात के धन और उसकी मात्रा, उसके हकदार लोग और ज़कात ने देने वालों की सज़ा, रोज़ा. उसके लाभ और शिष्टाचार, हज्ज व उम्रा की विशेषता, उसका तरीक़ा और उससे संबंधित कुछ मसाइल, तथा मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है। तक़्दीर -भाग्य- पर ईमान, उसकी श्रेणियाँ और तक़्दीर पर ईमान रखने के लाभ का वर्णन विशेष रूप से किया गया है। इसी तरह चारों इमामों के बीच पाये जाने वाले विचार भेदों के मुद्दे का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि वे सभी हदीस पर अमल करने वाले थे और उनके बीच मतभेदों के अनेक कारणों में से उनके पास हदीस का न पहुँचना था। और सभी अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए अपनी तक़्लीद करने से सख्ती से रोका है और हदीस के अनुकरण का हुक्म दिया है। अंत में कुछ नास्तिकता पर आधारित बातिल अक़ीदों का उल्लेख कर उनका खंडन किया गया है।
- हिन्दी
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन की पूर्व सूचना हमें बाइबल, तौरेत और अन्य धर्म ग्रन्थों में मिलती है, यहाँ तक कि भारतीय धर्मग्रम्थों में भी आप के आने की भविष्यवाणियाँ मिलती हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की पुस्तकों में इस प्रकार की पूर्व-सूचनाएँ मिलती हैं। इस पुस्तिका में सब को अकत्र करके पेश करने का प्रयास किया गया है। और यह सिद्ध किया गया है कि जिस नराशंस या कल्कि अवतार के आगमन का उनके धर्मग्रन्थों में उल्लेख हुआ है और उसकी जो विशेषतायें वर्णित हुई हैं, वह इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ही हैं। इसलिए जीवन की सुगम, सार्थक, सफल और फलदाई यात्रा के लिए अल्लाह के अन्तिम पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के द्वारा पेश की गई शिक्षाओं को अपनाया जाए और उनके बताये हुए मार्ग पर चला जाए।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इल्मे-ग़ैब का दावा करने वाले का क्या हुक्म है?
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
अल्लाह के पैग़म्बर के सद्व्यवहार के कुछ दर्शन : मानवता के लिये बहुत बड़े लज्जा की बात है कि मानवता के मोक्ष प्रदायक अल्लाह के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जैसे महान पुरूष के आचार पर प्रहार कर के उनका अपमान किया जाए जिनका दूत-कर्म ही शिष्टाचार को सम्पन्न करना था। यह लेख आप के सद्व्यवहार का सन्छिप्त दर्शन प्रस्तुत करता है।
- हिन्दी लेखक : जाज़िअ बिन अब्दुल अज़ीज़ आल तायेअ अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : जावेद अहमद संशोधन : सिद्दीक़ अहमद प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में उम्मते-इस्लामिया के हर व्यक्ति पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रति अनिवार्य दस हुक़ूक़ का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी
- हिन्दी
- हिन्दी Lecturer : माजिद बिन सुलैमान अर्रस्सी
मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की महानता के दस साक्ष्य
- हिन्दी
- हिन्दी
- हिन्दी भाषणकर्ता : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
अल्लाह तआ़ला पर ईमान लाना
- हिन्दी भाषणकर्ता : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
फरिश्तों (देवदूतों) पर ईमान लाना
- हिन्दी भाषणकर्ता : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
अल्लाह तआ़ला की पुस्तकों पर ईमान लाना
- हिन्दी भाषणकर्ता : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
अल्लाह तआ़ला की पुस्तकों पर ईमान लाना
- हिन्दी
- हिन्दी भाषणकर्ता : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
क़ज़ा अर्थात अच्छी - बुरी क़िस्मत (भाग्य) पर ईमान लाना
- हिन्दी लेखक : माजिद बिन सुलैमान अर्रस्सी
यह एक संक्षिप्त पुस्तक है जिसमें अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व में संदेह का विश्लेषण किया गया है,अल्लाह के अस्तित्व में संदेह का यह सिद्धांत अनेक समाजों में आम होता जा रहा है, यह पुस्तक प्राकृतिक, तर्कसंगत, धामिर्क एवं संवेदी तर्कों के आलोक में विभिन्न रूप से अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व को प्रमाणित करती है।