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- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
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- क़ुरआन करीम
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
क्या रगाइब की नामज़ सुन्नत है जिसको पढ़ना मुसतहब है?
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस बारे में बहुत प्रश्न किया जाने लगा है कि यदि ईद का दिन जुमा के दिन पड़ जाए। चुनाँचे दो ईदें एक साथ हो जाएं: ईदुल फित्र या ईदुल अज़हा, जुमा की ईद के साथ एकत्रित हो जाए जो कि सप्ताह की ईद है, तो क्या ईद की नमाज़ में उपस्थित होने वाले पर जुमा की नमाज़ अनिवार्य है या कि ईद की नमाज़ उसके लिए पर्याप्त होगी और वह जुमा के बदले ज़ुहर की नमाज़ प़ढ़ेगा? और क्या मस्जिदों में ज़ुहर की नमाज़ के लिए अज़ान दी जायेगी या नहीं? इसके अलावा प्रश्न में वर्णित अन्य बातें। इस पर वैज्ञानिक अनुसंधान और इफ्ता की स्थायी समिति ने यह फत्वा जारी किया हैः
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
ईद की नमाज़ का हुक्म
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर है जिसका अंश यह है किः ईद की नमाज़ का हुक्म और उसका तरीक़ा क्या है ? और उसकी शर्तें और उसका समय क्या है ?
- हिन्दी
मैं सोलह साल की एक लड़की हूँ, और एक ऐसे परिवार से हूँ जो धर्म के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं, मैं एक अकेली हूँ जो नमाज़ पढ़ती हूँ और इस्लाम की शिक्षाओं का पालन करने का प्रयास करती हूं, इसीलिए मुझे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उन्हीं में से यह है कि मेरी माँ मुझे इशा और फज्र की नमाज़ पढ़ने से रोकती है और कहती है कि वे दोनों अनुचित समय में हैं !! इसके बावजूद मैं उन्हें चुपके से पढ़ लेती हूं, और यदि वह मुझसे आकर पूछती है तो मैं कहती हूँ कि: मैं ने नमाज़ नहीं पढ़ी . . . ! तो इस बारे में शरीअत का प्रावधान क्या है ॽ क्या मेरे लिए ऐसी स्थिति में झूठ बोलना जइज़ है ॽ तथा मैं पिज़्ज़ा रेस्तरां में काम करता थी और यह रेस्तरां सूअर बेचता था इसलिए मैं ने उसे छोड़ दिया, और जब उसने मुझसे पूछा तो मैं ने उससे कहा कि उन्हों ने मुझे निकाल दिया है, तो इस स्थिति में भी शरीअत का दृश्य क्या है ॽ एक दूसरा मुद्दा यह है कि मैं अपनी माँ के साथ ट्रेन से एक दूसरे शहर का सफर करने वाली हूँ और ज़ुहर और अस्र की नमाज़ का समय ट्रेन ही में हो जायेगा, और उस समय मेरे लिए उनकी अदायगी करना संभव न होगा, तो फिर क्या करना होगा ॽ मैं ने सुना है कि नमाज़ों को एकत्र करके पढ़ना जाइज़ है, लेकिन मुझे नहीं पता कि कैसे . . .! क्या इसका मतलब यह है कि मेरे लिए ज़ुहर और अस्र की नमाज़ ज़ुहर की नमाज़ के समय पढ़ना संभव है, और इसे कैसे पढ़ा जायेगा ॽ यह बात निश्चित है कि मैं इशा और फज्र की नमाज़ भी पढ़ने पर सक्षम नहीं हूँगी क्योंकि मेरी माँ मेरे साथ होगी, तो फिर क्या करूँ ॽ क्या दूसरे समय में नमाज़ों की क़जा की जायेगी, और कैसे ॽ इसके अलावा, मेरी माँ मुझे हिजाब पहनने से भी रोकती है, और इस बात पर ज़ोर देती है कि मैं ऐसा पोशाक पहनूँ जो उस समाज और वातावरण के अनुकूल हो जिसमें मैं रहती हूँ, उदाहरण के तौर पर गर्मियों में मुझे छोटे कपड़े पहनने पर मजबूर करती है, और कहती है कि सूरज त्वचा के लिए उपयोगी है . . इन सब के बावजूद, मैं इन दबावों का विरोध करती हूँ, और यथा संभव शालीनता अपनाने का प्रयास करती हूँ, . . लेकिन मैं वास्तव में उस समय उदास और दुखी होती हूँ जब मैं अपनी माँ को देखती हूँ कि वह मुझसे गुस्सा करती है, लेकिन मैं भी अपने धर्म के सिद्धांतों को त्याग नहीं कर सकती, तो क्या आप कोई नसीहत करेंगेॽ
- हिन्दी
मैं जिस विश्वविद्यालय में पढ़ता हूँ उसमें हम प्रति वर्ष एक निमंत्रण संबंधी सप्ताह संगठित करते हैं, जहाँ हम विश्वविद्यालय में गैर मुसलमानों को विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करके आमंत्रित करते हैं। इस वर्ष प्रबंधकों ने एक न्या विचार पेश किया है और उन्हों ने यह प्रस्ताव रखा है कि हम एक नमाज़ मस्जिद के बदले विश्वविद्यालय के एक हॉल में पढ़ें, इसका मक़सद इस्लाम के प्रतीकों का प्रदर्शन है, फिर इसके बाद वे इस्लाम के बारे में अधिक प्रश्न करेंगे, किंतु मैं वास्तव में इस तरीक़े की वैधता से संतुष्ट नहीं हूँ, क्योंकि यदि यह सफल रहा तो आने वाले वर्षों में दोहराया जायेगा। तो इस तरह के काम का क्या हुक्म है ? और क्या अगर यह प्रति वर्ष किया जाये तो बिद्अत की गणना में आयेगा ?
- हिन्दी मुफ्ती : अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
मैं ने देखा है कि कुछ लोग जब ईद की नमाज़ के लिए आते हैं तो दो रक्अत नमाज़ पढ़ते हैं, जबकि कुछ लोग तक्बीर कहने में व्यस्त हो जाते हैं। आशा करता हूँ कि इन चीज़ों के बारे में शरीअत के हुक्म (नियम) को स्पष्ट करेंगे, और क्या ईद की नमाज़ के मस्जिद में होने या ईदगाह में होने के बीच कोई अंतर है
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
क्या औरत पर ईद की नमाज़ अनिवार्य है और यदि अनिवार्य है तो क्या वह उसे घर में पढ़ेगी या ईदगाह में
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
उस आदमी क्या हुक्म है जिसने ईदैन और इस्तिस्क़ा की नमाज़ में नमाज़ियों के साथ तशह्हुद को पाया, तो क्या वह दो रक्अत नमाज़ पढ़ेगा और उसी तरह करेगा जिस तरह इमाम ने किया है या क्या करेगा
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यदि मनुष्य रमज़ान के महीने का रोज़ा रखने और रमज़ान में नमाज़ पढ़ने का बहुत लालायित है, किन्तु रमज़ान समाप्त होते ही नमाज़ छोड़ देता है, तो क्या उसका रोज़ा शुद्ध (मान्य) है ?
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
ईदैन की नमाज़ की क़ज़ाः इस फत्वे में ईद की नमाज़ का हुक्म उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी आदमी से ईद की नमाज़ छूट जाए, तो उसे क्या करना चाहिए।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
नमाज़ क़स्र करने और रोज़ा तोड़ने के संबंध में यात्रा के क्या अहकाम हैं?
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : शफीक़ुर्रहमान ज़ियाउल्लाह मदनी प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
जो व्यक्ति नमाज़-रोज़ा नहीं करता है और इसी अवस्था में हज्ज करता है, तो उसके हज्ज का क्या हुक्म है? यदि वह अल्लाह से तौबा कर ले तो क्या वह छूटी हुई इबादतों की क़ज़ा करेगा?