- क़ुरआन करीम
- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
- कुरआन के विज्ञान
- मसाहिफ़ (क़ुरआन की प्रतियाँ)
- क़ुरआन करीम के पाठ
- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
- पढ़े जाने योग्य उत्कृष्ट अनुवाद
- क़ुरआन के अर्थों के अनुवाद के साथ सस्वर पाठ
- विशिष्ट तिलावतें
- नोबल क़ुरआन और उसके वाहकों के शिष्टाचार
- हदीस
- अक़ीदा (आस्था)
- तौहीद (एकेश्वरवाद)
- इबादत (उपासना) और उसके प्रकार
- इस्लाम
- ईमान और उसके स्तंभ
- ईमान के मसायल
- एहसान
- कुफ्र (नास्तिकता)
- निफाक़ (पाखण्ड)
- शिर्क (अनेकेश्वरवाद) और उसका खतरा
- बिदअत (नवाचार) : उसके प्रकार एवं उदाहरण
- सहाबा और आले-बैत
- तवस्सुल
- वलायत और औलिया की करामतें
- जिन्न
- वफादारी और दुश्मनी तथा उसके प्रावधान
- अह्लुस्सुन्नह वल-जमाअह
- धर्म और पंथ
- संप्रदाय (पंथ)
- इस्लाम से संबद्ध संप्रदाय
- समकालीन वैचारिक सिद्धांत
- धर्मशास्त्र
- उपासनाएं
- लेनदेन के मसायल
- क़सम और मन्नत
- पारिवारिक मसायल का ज्ञान
- चिकित्सा, उपचार और शरई झाड़-फूँक
- खाद्य पदार्थ और पेय
- दंडनीय अपराध
- न्यायिक व्यवस्था
- जिहाद
- समसामयिक एवं उभरते हुए मुद्दों का न्यायशास्त्र
- अल्पसंख्यकों के मसाईल का ज्ञान
- इस्लामी राजनीति
- इस्लामी धर्मशास्त्र के मत
- फ़त्वे
- उसूल फ़िक़्ह (धर्मशास्त्र के सिद्धांत)
- इस्लामी धर्मशास्त्र की किताबें
- विशेषताएं (खूबियाँ)
- अरबी भाषा
- इस्लाम का आह्वान
- Issues That Muslims Need to Know
- दिल को विनम्र करने वाली बातें और सदुपदेश
- भलाई का आदेश देना तथा बुराई से रोकना
- इस्लामी दावत की वस्तुस्थिति
- क़ुरआन करीम
- हिन्दी भाषणकर्ता : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
पाँचवाँ रुक्न जो हज करने में सक्षम हों
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चौथा रुक्न रमज़ान के रोज़े रखना
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प्रथम रुक्न इस बात की पुष्टि करना कि अ
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मुहम्मद रसूलुल्लाह की गवाही का अर्थः प्रस्तुत वीडियो में मुहम्मद रसूलुल्लाह की गवाही देने का अर्थ उल्लेख किया गया है और वह यह है कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आदेशों का पालन किया जाए, आप ने जिन चीज़ों की सूचना दी है उसमें आपकी पुष्टि की जाए, जिससे आप ने रोका और मना किया है उससे बचा जाए, और अल्लाह की उपासना आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के निर्धारित किए हुए तरीक़े पर किया जाए।
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ला इलाहा इल्लल्लाह की गवाही का अर्थः प्रस्तुत वीडियो में ’ला इलाहा इल्लल्लाह’ की गवाही देहे का अर्थ वर्णन करते हुए यह उल्लेख किया गया है इस कलिमा का उच्चारण करने का बाद उपासना को एकमात्र अल्लाह के लिए विशिष्ट करना और उसके अलावा सभी पूजा की जानेवाली चीज़ो का खण्डन करना, तथा इस कलिमा की अपेक्षा के अनुसार कार्य करना ज़रूरी हो जाता है।
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इस्लाम : इस वीडियो में बयान किया गया है कि इस्लाम क्या है? और क्या मानव को इस्लाम की जरूरत है? यह एकेश्वरवाद के साथ अल्लाह के लिए समर्पण, आज्ञाकारिता के साथ उसके अनुपालन और बहुदेववाद एवं बहुदेववादियों से अलगाव का नाम है। तथा इस्लामी धर्म की कुछ विशेषताओं ; न्याय, दया, प्रेम और सहिष्णुता आदि का उल्लेख किया गया है। और यह कि इस्लाम ही लोक परलोक में स्वभाग्य का कारण और पुनर्जन्म में मोक्ष के लिए रास्ता है।
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हिन्दी भाषा में यह एक संक्षिप्त भाषण है जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि इस्लाम धर्म में प्रवेश करने के लिए क्या करना है, तथा इस्लाम में प्रवेश करने के बाद उसे क्या सीखना चाहिए।
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इस्लाम ही वह सत्य धर्म है जिसे अल्लाह तआला ने अपने बंदों के लिए पसंद फरमाया है, उसी के साथ अपने संदेश्वाहकों को भेजा और अपनी पुस्तकें अवतरित की हैं, तथा रहती दुनिया तक, अल्लाह सर्वशक्तिमान ने उसे हर समय काल और प्रति स्थान के लिए एक सर्वव्यापी धर्म बनाया है, जिसके अतिरिक्त कोई अन्य धर्म वह किसी भी मनुष्य से कदापि स्वीकार नहीं करेगा। अतः सर्व मानव जाति के लिए इस्लाम का अनुसरण और अनुपालन करना अनिवार्य है। क्योंकि इसी के पालन में उनके लिए लोक व परलोक में सफलता, सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति है। तथा हमारे सृष्टा ने अपने इस धर्म को असंख्य गुणों और विशेषताओं से सुसज्जित किया है, प्रस्तुत भाषण में इस्लाम की कुछ विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है।
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हमारे जन्म का उद्देश्य: अल्लाह सर्वशक्तिमान ने मनुष्य की उत्पत्ति की और धरती की समस्त चीज़ों की रचना करके उनके लिए इस दुनिया में जीवन यापन का बढ़िया प्रबंध किया तथा उन्हें असंख्य अनुकंपाओं और नेमतों से सम्मानित किया। लेकिन बहुत कम ही मनुष्य ऐसे हैं जो इस तथ्य पर मननचिंतन करते हैं कि हमारे जन्मदाता का इसके पीछे कोई लक्ष्य है अथवा उसने मनुष्य को व्यर्थ और अकारण बनाया है ॽ जबकि वास्तविकता यह है कोई बुद्धिमान अकारण कोई काम नहीं करता, तो फिर सर्वबुद्धिमान और सर्वज्ञानी अल्लाह सर्वशक्तिमान की यह रचना उद्देश्यहीन कैसे हो सकती हैॽ बल्कि इस ब्रह्माण्ड और उसके बीच मौजूद सृष्टि में मननचिंतन करने वाला इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि उसका एक महान रचयिता और सृष्टा है और वह अकेला है उसका कोई साझी और सहायक नहीं, वही एक मात्र सृष्टा, जन्मदाता और रचयिता है, वही स्वामी और पालनहार है, वही मृत्यु और जन्म देता है और वही सबको जीविका प्रदान करता है। अतः वही एकमात्र पूजा के योग्य और उपास्य व आराध्य है। वही सत्य पूज्य है और उसके अतिरिक्त जिसकी भी पूजा की जाती है वह असत्य और व्यर्थ है।
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- हिन्दी भाषणकर्ता : शैख़ हैस़म बबन महु म्मद जमील िरह़ान
वुज़ू को तोड़ने वाली चीजें
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नमाज़ को बात़िल (ख़राब) करने वाली चीजें
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