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    इस्लाम ही क्यों ?

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    यह एक संक्षिप्त पुस्तक है जिसमें अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व में संदेह का विश्लेषण किया गया है,अल्लाह के अस्तित्व में संदेह का यह सिद्धांत अनेक समाजों में आम होता जा रहा है, यह पुस्तक प्राकृतिक, तर्कसंगत, धामिर्क एवं संवेदी तर्कों के आलोक में विभिन्न रूप से अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व को प्रमाणित करती है।

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    यह (अ़रबी पुस्तक का) हिंदी अनुवाद है, इसमें लेखक - अल्लाह उसे अच्छा बदलाव दे - ने उन महत्वपूर्ण संदेहों का उल्लेख किया है, कब्र में दफन हुए पैगंबरों एवं नेक लोगों को पूकारने वाले जिन का सहारा लेते हैं,और यह दावा करते हैं कि यह धामिर्क एवं सत्य प्रमाण हैं,लेखक ने इन शंकाओं का बहुत ध्यानपूर्वक और गहराई से समीक्षा किया है,और यह साबित किया है कि इन संदेहों का कोई वजन और मापदंड नहीं,क्योंकि इन संदेहों का आधार या तो कमजोर और मनगढंत हदीसों पर है, अथवा किस्से कहानियों पर,अथवा गलत एवं निराधार तर्कसंगत अटकलों पर, जो कि क़ुरान एवं हदीस के प्रमाणों, सहा़बा की समझ और मुसलमानों की सहमति के सामने कोई महत्व नहीं रखते।

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    इस्लाम का संक्षिप्त तथा सचित्र परिचय

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    अल-तक़सीम व अल-तक़यीद लि अल-क़ौल अल-मुफ़ीद (अल-क़ौल अल-मुफ़ीद का विभाजीय एवं नियामक रूपांतरण) : शेख डॉ. हैस़म सरहान द्वारा मूल रूप से अरबी भाषा में लिखी गई पुस्तक है, जिसका अनुवाद हिंदी भाषा में साबिर हुसैन मोहम्मद मोजीबुर रहमान ने किया है। वास्तव में यह अल्लामा मुह़म्मद बिन स़ालेह़ उस़ैमीन -रह़िमहुल्लाह- की पुस्तक “अल-क़ौल अल-मुफ़ीद अला किताबित्तौह़ीद” का संक्षिप्तीकरण है। उस तौह़ीद (एकेश्वरवाद) की व्याख्या करने के विषय में, जिसे अल्लाह तआला ने अपने दासों पर अनिवार्य करार दिया है, तथा उसकी विपरीत चीजें चाहे वो उसके मूल आधार के विरुद्ध हों जैसे शिर्क -ए- अकबर, अथवा उसके कमाल व पूर्णता के विरुद्ध हों जैसे शिर्क -ए- अस़ग़र, यह पुस्तक इन बातों का उत्तम ढंग से उल्लेख करने वाली सबसे उपयोगी समकालीन पुस्तकों में से एक मानी जाती है। लेखक ने इसे स्तंभ, सूचिपत्र एवं तालिका के रूप में सुंदर ढंग से तरतीब दे कर प्रस्तुत किया है, इसमें उन्होंने पुस्तक के अध्यायों में वर्णित दलीलों के समग्र उद्देश्यों एवं मूल अर्थों का उत्तम रूप में उल्लेख किया है। तथा प्रत्येक खण्ड की समाप्ती के पश्चात पाठक की पात्रता जाँचने के लिए प्रश्न एवं परीक्षा तैयार किये हैं। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसे उबा देने वाली लम्बाई तथा अर्थ का अनर्थ करने वाली लघुता से बचते हुए संयोजित एवं संक्षिप्त रूप में तैयार किया गया है।

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    इसी उद्देश्य से यह पुस्तिका हमने आपके समक्ष रखा है ताकि हमारे प्रिय एवं आँखों की ठंडक मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मदद का ह़क़ अदा हो सके जोकि आप के हमारे ऊपर जो ह़क़ हैं उनमें सबसे तुच्छ ह़क़ है, अल्लाह तआला से दुआ है कि वह इसे ख़ालिस अपनी रज़ा के लिए स्वीकार कर ले, अल्लाह मुझे और उन समस्त लोगों को जिन्होंने आपकी मदद करने में भाग लिया और आपके सम्मान की रक्षा के लिए सीना तान कर खड़े हो गए आपके संग उठाए, अल्लाह तआला हमें क़्यामत के दिन आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का साथ नसीब करे और हमें उस सम्मानित ह़ौज़ (कुंड) से पिलाए जिसको पीने के पश्चात हम कभी प्यासे न हों ... आमीन।

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    छह सिद्धांत

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    इस्लाम इन्सान की हैसियत से इन्सान के कुछ हक़ और अधिकार मुक़र्रर करता है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब यह है कि हर इन्सान चाहे, वह हमारे अपने देश और वतन का हो या किसी दूसरे देश और वतन का, हमारी क़ौम का हो या किसी दूसरी क़ौम का, मुसलमान हो या ग़ैर-मुस्लिम, किसी जंगल का रहने वाला हो या किसी रेगिस्तान में पाया जाता हो, बहरहाल सिर्फ़ इन्सान होने की हैसियत से उसके कुछ हक़ और अधिकार हैं जिनको एक मुसलमान लाज़िमी तौर पर अदा करेगा और उसका फ़र्ज़ है कि वह उन्हें अदा करे।

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    इस लेख में कुरआन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उसके अवतरण के आरंभ, उसकी कैफियत, समय, अवतरण की अवधि, उसके संकलन और उसके संरक्षण के लिए अपनाए गए प्रयोजनों और प्रावधानों तथा दुनिया भर में उसके प्रसारण व प्रकाशन और अन्य भाषाओं में उसके अर्थ का अनुवाद किए जाने का उल्लेख किया गया है। इसी तरह क़ुरआन में चर्चित मुख्य विषयों का भी उल्लेख किया गया है।

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    यह पुस्तिका सहायक है उन गैर मुस्लिम और मुसलमानों के लिए जो ज्ञान की कमी और मीडिया के गलत प्रचार के कारण इस्लाम को सही तरीक़े से नहीं समझ पाते और संदेहों के शिकार बने रहते हैं। इसी तरह इस पुस्तिका में गैर मुस्लिम और मुसलमानों के ज़ेहन व दिमाग में जो सवाल उठते हैं और उन सवालों के जवाब न तो मुसलमानों को पता होते हैं, और न ही वे गैर मुसलमानों को उन सवालों के जवाब दलील से दे पाते हैं, उन सवालों के जवाबात कुरआन व हदीस के प्रमाणों से दिए गए हैं।

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    ला इलाहा इल्लल्लाह व मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की गवाही के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य एक मुसलमान पर लागू होता है वह पाँच समय की नमाज़ों की पाबंदी है, नमाज़ - कुफ्र व शिर्क और मुसलमान व्यक्ति के बीच अंतर है, नमाज़ - इस्लाम और नास्तिकता के बीच फर्क़ है, नमाज़ ही के बारे में परलोक के दिन सबसे पहले प्रश्न किया जायेगा, नमाज़ ही नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन के अंतिम क्षणों की वसीयत है, इसके अतिरिक्त यह इसकी पाबंदी करनेवालों के लिए अपने अंदर बहुत सारी विशेषताएं, शुभसूचनाएं और बशारतें रखती है, जो एक मुसलमान को इस पर कार्यबद्ध रहने की प्रेरणा देती हैं। इस लेख में नमाज़ की विशेषताओं से संबंधित कुछ महान शुभसूचनायें, बशारतें प्रस्तुत की गई हैं।

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    आसान हिंदी तर्जुमाः यह क़ुरआन मजीद के अर्थ का आसान हिंदी अनुवाद है जिसे उसके उर्दू अनुवाद से हिंदी लिपि में परिवर्तित किया गया है। इसकी विशेषता यह है कि प्रत्येक शब्द का उसके नीचे अलग अलग अनुवाद दिया गया है, तथा साइड में पूरी आयत का आसान अनुवाद भी दिया गया है। अरबी भाषा न जानने वालों के लिए क़ुरआन के अर्थ को समझने में यह सहायक सिद्ध हो सकता है।

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    यह पुस्तक सत्य धर्म को पहचानने और उसे स्वीकारने का आमंत्रण देती है क्योंकि वही एक मात्र विकल्प है जो मानवता के लिए लोक एवं परलोक में सफलता, सौभाग्य और नरक से मोक्ष प्राप्त करने का एकमात्र साधन है। प्रस्तुत पुस्तक इस बात पर प्रकाश डालती है कि मानव जाति की रचना का उद्देश्य क्या है - वह एकमात्र अल्लाह सर्वशक्तिमान की उपासना और आराधना है। इसिलए कि वही वास्तव में उपासना के योग्य है क्योंकि वही सबका सृष्टा, रचयिता, पालनकर्ता, व्यवस्थापक है तथा उसके अच्छे अच्छे नाम और सर्वोच्च गुण हैं। मानव जाति को अल्लाह के नियम, आदेशों और उसकी प्रसन्नता की चीज़ों को जानने के लिए संदेष्टा और ईश्दूतों की आवश्यकता होती है। चुनाँचे अल्लाह ने ईश्दूतों को भेजा और उनके साथ किताबें उतारी ताकि वे लोगों को अल्लाह के आदेश और निषेध से अवगत कराएं। उन महान पुरूषों ने अल्लाह के एकेश्वरवाद का आमंत्रण दिया, जिसका उल्लेख पिछले आकाशीय ग्रंथों और हिंदूमत के वेदों में भी मिलता है। सबसे अंतिम ईश्दूत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं जिन पर अल्लाह ने अपना अंतिम और अनन्त दिव्य क़ुरआन उतारा जो सर्व मानव जाति के लिए मार्गदर्शक है। जिसका पालन करके ही मनुष्य लोक एवं परलोक में सफलता, सौभाग्य और नरक से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। वह सत्य धर्म इस्लाम है जिसे हमारे सृष्टा ने असंख्य गुणों और विशेषताओं से सुसज्जित किया है। अतः आईये इसके पन्नों को पढ़ें और मननचिंतन करें कि क्या यह जीवन असीमित है या उसका कोई अंत है ॽ और मृत्यु के पश्चात क्या होगा ॽ

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    यह पुस्तिका, हज्ज व उम्रा और मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के लिए संक्षिप्त गाइड है, जिसमें सार रूप से हज्ज व उम्रा और मस्जिदे नबवी की ज़ियारत से संबंधित महत्वपूर्ण और आवश्यक जानकारी प्रस्तुत की गई है। तथा हज्ज व उम्रा और ज़ियारत के दौरान होने वाली त्रुटियों पर चेतावनी दी गई है। साथ ही साथ इसमें हाजियों के लिए अहम निर्देश और नसीहतें हैं।

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    यह पुस्तक इस्लाम धर्म का परिचय प्रस्तुत करती है जिस पर अल्लाह ने धर्मों का अंत कर दिया है और उसे अपने समस्त बंदों के लिए पसंद कर लिया है तथा इस धर्म में प्रवेश करने का आदेश दिया है। अतः यह मानवजाति की उत्पत्ति की कहानी, संदेष्टाओं व ईश्दूतों के अवतरण, अंतिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व, आपकी संछिप्त जीवनी, आचरण व व्यवहा, तथा आपके ईश्दूतत्व की सत्यता पर अंग्रेज़ दार्शनिक थामस कार-लायल की गवाही के वर्णन पर आधारित है। इसी तरह इसमें इस्लाम की विशेषताओं एवं गुणों, इस्लाम के स्तंभों, ईमान अथवा इस्लामी आस्था के मूलसिद्धांतों, इस्लाम में उपासना के आशय तथा नारी सम्मान और उसके स्थान का उल्लेख किया गया है। इसके अध्ययन से आपके लिए इस धर्म की महानता, उसकी शिक्षाओं की सत्यता व सत्यापन और प्रति युग, स्थान, जाति और राष्ट्र के लिए उसकी योग्यता स्पष्ट होजायेगी।

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    "ज़कात" इस्लाम के पाँच मूल स्तंभों में से एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसका इस्लाम में एक महान स्थान है। अल्लाह तआला ने क़ुरआन करीम में 32 स्थानों पर इसका वर्णना किया है जिनमें से 27 स्थानों पर उसे नमाज़ के साथ उल्लेख किया है। तथा ज़कात की उपेक्षा करने वाले पर कड़ी चेतावनी आई है और उसे भयंकर यातना की धमकी दी गयी है। प्रस्तुत पुस्तिका इस विषय पर एक महत्वपूर्ण लेख है जिसमें ज़कात के महत्व, उसकी विशेषता, प्रतिष्ठा, तत्वदर्शिता, निसाब, मात्रा, तथा उसके अधिकृत लोगों का वर्णन करते हुए उसकी अदायगी न करने वाले पर चेतावनी और ज़कातुल-फित्र एंव ज़कात से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण मसाइल पर चर्चा किया गया है।

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    इस पुस्तक में, प्रमणित हदीसों की रोश में तकबीर कहने से लेकर सलाम फेरने तक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा़ संछिप्त रूप में प्रस्तुत किया गया है।

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    यह किताब एक हक़ के तलाश करने वाले की दासतान है जिस ने सत्य के खोज में एक लंबा समय बिताने के बाद एक दिन सत्य को स्वीकार करने पर मजबूर हो गया, उसकी यह दासतान हिन्दी पाठकों की सेवा में प्रस्तुत की जा रही है ताकि सत्य के खोजियों के लिये इसे पढ़ कर राह आसान हो जाये।

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    इस्लाम क्या है? उसकी वास्तविकता और उसका उद्देश्य क्या है? उसके मूल तत्व और उसकी मौलिक शिक्षाएँ क्या हैं? मानव को वह कौन सा दृष्टिकोण देता, किस चरित्र और आचरण पर उभारता और किस प्रकार का जीवन गुज़ारने का निर्देश देता है? यह पुस्तक इन्हीं बिन्दुओं को सामने रख कर लिखी गई है और यह प्रयास किया गया है कि जो लोग मुसलमान होने के उपरांत भी शुद्ध रूप् से इस्लाम की वास्तविकता को नहीं जानते, वे इस पुस्तक के अध्ययन से मौलिक और आवश्यक सीमा तक, इस्लाम की वास्तविक रूप-रेखा को जान लें। विशष्टि रूप से इस्लाम में उपासन के व्यापक और विस्तृत अर्थ का खुलासा किया गया है, जो कि केवल वैयक्तिक जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि वास्तव में जीवन के सभी अंशों और पक्षों को सम्मिलित है, चाहे वह आध्यात्मिक हो, या नैतिक, पारिवारिक हो या सामाजिक, राजनैतिक हो या आर्थिक।

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    आज लाखों करोड़ों आदमी आग का ईंधन बनने की होड़ में लगे हुए हैं, और ऐसे मार्ग पर चल रहे हैं जो सीधे नरक की ओर जाता है। इस वातावरण में उन तमाम लोगों का दायित्व है जो मानव समूह से प्रेम करते हैं और मानवता में आस्था रखते हैं कि वे आगे आयें और नरक में गिर रहे इंतानों को बचाने का अपना कर्तव्य पूरा करें। यह पुस्तिका इसी संदर्भ में एक अहम प्रयास है जिस में लेखक ने मानवता के प्रति अपने प्रेम और स्नेह के कुछ फूल प्रस्तुत किये हैं और इसके माध्यम से उन्हों ने अपना वह कर्तव्य पूरा किया है जो एक सच्चे मुसलमान होने के नाते हम सब पर है। इस्लाम की दौलत एक बहुत बड़ा धरोहर है जिसे हर एक तक पहुँचाना प्रत्येक सच्चे मुसलमान का कर्तव्य है।