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    मुलाक़ात के आदाबः प्रस्तुत वीडियो में उन शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है जो एक मुसलमान को अपने मुसलमान भाई से मुलाक़ात के समय अपनाना चाहिए। जैसे हँसते हुए चेहरे के साथ मिलना, सलाम करना, हाथ मिलाना, परायी महिला से केवल सलाम करना, उससे न हाथ मिलाना, न उसके साथ एकांत में होना। मुलाक़ात के समय किसी के सम्मान में न झुकना न सज्दा करना। केवब नवागंतुक के लिए सम्मान के तौर पर खड़े हो सकते हैं।

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    अनुमति लेने के आदाबः इस्लामी शरीअत ने हर चीज़ के साथ व्चवहार करने के शिष्टाचार सिखाया है, उनमें से एक किसी ऐसी जगह प्रवेश करने की अनुमति लेना है जिसका आदमी मालिक नहीं है। यह एक ऐसा शिष्टाचार है जो अनुमति लेनेवाले व्यक्ति के शील, सभ्यता, उदारता, शुद्धता को इंगित करता है। जो ऐसी चीज़ को देखने या ऐसी बात सुनने से अपने आपको पवित्र रखता है जो उसके लिए वैध नहीं है। आजके आधुनिक युग में जबकि घरों में दरवाज़े लगे होते हैं, कुछ लोग ऐसे हैं जो बिना अनुमति और अधिसूचना के दूसरों के कमरे या बैठकों में आ धमकते हैं। इसलिए इस्लाम के इस महान आचरण का स्मरण कराना समय की आवश्यकता है। प्रस्तुत व्याख्यान में संक्षेप में इसका उल्लेख किया गया है।

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    रोगी के हाल जानने के आदाब : मुसलमान के कर्तव्यों में से एक कर्तव्य अपने मुलमान भाइयों में से बीमार व्यक्ति के पास जाकर उसका हाल पूछना, उसके आरोग्य के लिए प्रार्थना करना, उसे धैर्य दिलाना, उसका दिल बहलाना तथा उसका हौसला और मनोबल बढ़ाना है। प्रस्तुत व्याख्यान में इन्हीं शिष्टाचार का वर्णन किया गया है।

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    सोने के आदाब : प्रस्तुत वीडियो में उन शिष्टाचार और कर्यों का उल्लेख किया गया है जो एक मुसलमान को सोने समय अपनाना चाहिए।

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    मस्जिद जाने के आदाब : प्रस्तुत वीडियो में उन शिष्टाचार और कर्यों का उल्लेख किया गया है जो एक नमाज़ी के लिए मस्जिद की ओर जाते हुए और मस्जिद में प्रवेश करते समय उचित है। इसी तरह उन चीज़ों का उल्लेख किया गया जो मस्जिदों के अंदर वांछित, अथवा अनुमेय या अवैध हैं।

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    यात्रा के शिष्टाचार (सफ़र के आदाब) : प्रस्तुत वीडियो में उन शिष्टाचार का उल्लेक किया गया है जिनका इस्लामी शरीयत ने यात्रा के दौरान पालन करने के लिए आग्रह किया है।

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    बारिश होने के समय मुसलमान का क्या व्यहार होना चाहिए : वर्षा का उतरना मात्र अल्लाह सर्वशक्तिमान की कृपा और दया है। बारिश ही आजीविका का स्रोत है जिसे अल्लाह सर्वशक्तिमान एक नियमित मात्रा में आकाश से धरती पर अवतरित करता है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि उसका अकेले श्रेय अल्लाह सर्वशक्तिमान को दे, उसे किसी तारे या नक्षत्र का प्रभाव न ठहराए। प्रस्तुत व्याख्यान में इस बात का उल्लेख किया गया है कि वर्षा होते समय एक विश्वासी मुसलमाम की स्थिति होनी चाहिए।

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    सफर के महीने की बिदअतें : प्रस्तुत वीडियो में सफर के महीने में अरबो के अंदर पाई जाने वाली बुराईयों ; सफर के महीने से अपशकुन लेने, तथा उसे आगे और पीछे कर उसमें खिलवाड़ करने, का उल्लेख किया गया है। इसी तरह, इस्लाम के अनुयायियों के यहाँ इस महीने के अंदर पाये जाने वाले नवाचार (बिद्अतों) और भ्रष्ट मान्यताओं का वर्णन और खण्डन करते हुए, इस महीने के अंदर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन में घटित होने वाली कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है।

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    तयम्मुम का तरीक़ाः इस वीडियो में तयम्मुम करने का तरीक़ा, उसकी वैधता के प्रमाणों, तयम्मुम तोड़नेवाली चीज़ों और उन परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जिनमें तयम्मुम करना जायज़ है

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    स्नान का तरीक़ाः इस वीडियो में स्नान करने का तरीक़ा और उन कारणों का उल्लेख किया गया है जिनसे स्नान अनिवार्य हो जाता है।

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    उम्रा का सही तरीक़ाः इस वीडियो में उम्रा करने का सही तरीक़ा वर्णन किया गया है।

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    ज़कातुल फित्रः इस वीडियो में ज़कातुल फित्र की अनिवार्यता, उसके प्रावधान, उसके अनिवार्य किए जाने की हिकमत (तत्वदर्शिता), उसकी मात्रा, उसके निकाले जाने का समय ओर उसके हक़दार लोगों का उल्लेख किया गया है।

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    प्रस्तुत वीडियो में रमज़ान के महीने के रोज़े की अनिवार्यता, उसके अर्थ, रमज़ान के महीने की फज़ीलत, क़ुरआन व हदीस से उसकी अनिवार्यता के प्रमाणों, और रोज़े की तत्वदर्शिता का उल्लेख किया गया है। इसी तरह रोज़े के कुछ प्रावधानों, जैसे- रोज़े की नीयत, और बिना किसी कारण के रोज़ा तोड़ देने या उसमें लापरवाही करने पर चेतावनी दी गई है और उसके दुष्परिणाम से अवज्ञत कराया गया है

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    इस वीडियो में उल्लेख किया गया है कि शाबान के महीने की क्या फज़ीलत है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम विशिष्ट रूप से इस महीने में क्या कार्य करते थे, तथा पंद्रहवीं शाबान की रात को जश्न मनाने और उसमें हज़ारी नमाज़ पढ़ने, विशिष्ट इबादतें करने, उस दिन रोज़ा रखने, तथा आधे शाबान के बाद रोज़ा रखने, रमज़ान से एक-दो दिन पूर्व रोज़ा रखने और शक्क के दिन रोज़ा रखने के अह्काम स्पष्ट किए गए हैं।

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    मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।

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    मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।

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    मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।

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    हर साल १४ फरवरी को वैलेंटाइन्स दिवस या प्रेमियों का त्योहार या "संत वेलेंटाइन दिवस" मनाना युवा मुसलमानों के बीच बड़े पैमाने पर एक व्यापक घटना बन गया है। प्रस्तुत वीडियो में, इस अधार्मिक परंपरा की बुराई, इसकी उत्पत्ति, उसके इतिहास, उसके बारे में इस्लाम के दृष्टिकोण, समाज पर उसके बुरे प्रभावों और गंभीर खतरों का खुलासा किया गया है। इसी तरह युवाओं और युवतियों के बीच मिश्रण, प्रेम प्रसंग और अवैध संबंध की बुराइयों और उनके दूरगामी दुष्ट परिणामों से सावधान किया गया है।

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    यह वीडियों हज्ज और उम्रा के लिए आने वाले अल्लाह के अतिथियों के लिये पर्याप्त मागदर्शन पर आधारित है। जिस में हज्ज के प्रकार, हज्ज या उम्रा का एहराम बांधने से पहले क्या करना चाहिए, एहराम बांधने का तरीक़ा, एहराम की हालत में निषिद्ध और वर्जित चीज़ें, उम्रा का तरीक़ा और उस की गततियों पर चेतावनी, हज्ज के कार्यों का विस्तृत वर्णन और उसके दौरान हाजियों से होने वाली गलतियों पर चेतावनी, तथा मिस्जदे नबवी की ज़ियारत के शरई तरीक़े का उल्लेख किया गया है।

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    यह वीडियों हज्ज और उम्रा के लिए आने वाले अल्लाह के अतिथियों के लिये पर्याप्त मागदर्शन पर आधारित है। जिस में हज्ज के प्रकार, हज्ज या उम्रा का एहराम बांधने से पहले क्या करना चाहिए, एहराम बांधने का तरीक़ा, एहराम की हालत में निषिद्ध और वर्जित चीज़ें, उम्रा का तरीक़ा और उस की गततियों पर चेतावनी, हज्ज के कार्यों का विस्तृत वर्णन और उसके दौरान हाजियों से होने वाली गलतियों पर चेतावनी, तथा मिस्जदे नबवी की ज़ियारत के शरई तरीक़े का उल्लेख किया गया है।