- क़ुरआन करीम
- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
- कुरआन के विज्ञान
- मसाहिफ़ (क़ुरआन की प्रतियाँ)
- क़ुरआन करीम के पाठ
- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
- पढ़े जाने योग्य उत्कृष्ट अनुवाद
- क़ुरआन के अर्थों के अनुवाद के साथ सस्वर पाठ
- विशिष्ट तिलावतें
- नोबल क़ुरआन और उसके वाहकों के शिष्टाचार
- हदीस
- अक़ीदा (आस्था)
- तौहीद (एकेश्वरवाद)
- इबादत (उपासना) और उसके प्रकार
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- ईमान और उसके स्तंभ
- ईमान के मसायल
- एहसान
- कुफ्र (नास्तिकता)
- निफाक़ (पाखण्ड)
- शिर्क (अनेकेश्वरवाद) और उसका खतरा
- बिदअत (नवाचार) : उसके प्रकार एवं उदाहरण
- सहाबा और आले-बैत
- तवस्सुल
- वलायत और औलिया की करामतें
- जिन्न
- वफादारी और दुश्मनी तथा उसके प्रावधान
- अह्लुस्सुन्नह वल-जमाअह
- धर्म और पंथ
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- उसूल फ़िक़्ह (धर्मशास्त्र के सिद्धांत)
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- विशेषताएं (खूबियाँ)
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- इस्लाम का आह्वान
- Issues That Muslims Need to Know
- दिल को विनम्र करने वाली बातें और सदुपदेश
- भलाई का आदेश देना तथा बुराई से रोकना
- इस्लामी दावत की वस्तुस्थिति
- क़ुरआन करीम
Calling Hindus to Islam
आइटम्स की संख्या: 3
- मुख्य पृष्ठ
- अग्र-भाग की भाषा : हिन्दी
- विषयवस्तु की भाषा : सभी भाषाएँ
- Calling Hindus to Islam
- हिन्दी वक्ता : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस ऑडियो में इस बात का उल्लेख किया गया है किस तरह मानव समाज में ईश्दूतों के अवतरण की शुरूआत हुई और विकास करते हुए एक महान संदेष्टा के ईश्दूतत्व पर संपन्न हो गयी - और वह समस्त ईश्दूतों व संदेष्टाओं के नायक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं। तथा ईश्दूतत्व के संक्षेप इतिहास का वर्णन करते हुए हमारे अंतिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व, उनके अवतरण के समय धार्मिक व सामाजिक स्थितियों, उनके गुणों, पवित चरित्र, जीवन की घटनाओं, कठिन परिस्थियों, उनकी जाति के लोगों का आपके साथ दुर्व्यवहार और आपका उनके साथ सदव्यवहार का उल्लेख किया गया है। इसी तरह पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व की सच्चाई, उसके प्रमाणों का चर्चा करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि आप पर ईश्दूतत्व का समापन हो जाता है। अतएव, आप अब परलोक तक सर्वमानवजाति के लिए अल्लाह के ईश्दूत व संदेष्टा हैं और सबके लिए आपका अनुपालन करना अनिवार्य है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इसलाम के सिद्धान्त : इस ऑडियो में इस्लाम धर्म के नामकरण का कारण, इस्लाम शब्द का अर्थ, इस्लाम और कुफ्र की वास्तविकता, कुफ्र की हानियाँ और उसके दुष्ट परिणाम तथा इस्लाम में प्रवेश करने के लाभ का चर्चा करते हुए, यह स्पष्ट किया गया है कि मनुष्य को अल्लाह के आज्ञापालन के लिए, अल्लाह के अस्तित्व, उसके गुणों और पसंदीदा तरीक़ों को जानने की ज़रूरत है। तथा उसके इस ज्ञान को विश्वास व यक़ीन के सर्वोच्च स्तर पर पहुँचा हुआ होना चाहिए। तथा मनुष्य को इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए स्वयं कोशिश नहीं करनी है, बल्कि अल्लाह ने अपने कुछ बंदों को इस मकान कार्य के लिए स्वयं चयन कर लिया है, और उन्हें यह ज्ञान प्रदान करके, उसे अपने सभी बंदों तक पहुँचाने का आदेश दिया है। अब बंदों को चाहिए के अल्लाह के चयनित सत्यवादी संदेष्टाओं को पहचानें, उन पर ईमान लायें, उनकी बातों को सुनों और उनकी शिक्षाओं और निर्देशों के अनुसार जीवन बितायें। इसके अलावा मनुष्य के लिए अल्लाह की अज्ञाकारिता का कोई अन्य रास्ता नहीं है।
- हिन्दी