- वर्गीकरण वृक्ष
- क़ुरआन करीम
- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
- कुरआन के विज्ञान
- मसाहिफ़ (क़ुरआन की प्रतियाँ)
- क़ुरआन करीम के पाठ
- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
- पढ़े जाने योग्य उत्कृष्ट अनुवाद
- क़ुरआन के अर्थों के अनुवाद के साथ सस्वर पाठ
- विशिष्ट तिलावतें
- नोबल क़ुरआन और उसके वाहकों के शिष्टाचार
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- इबादत (उपासना) और उसके प्रकार
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- बिदअत (नवाचार) : उसके प्रकार एवं उदाहरण
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- Introducing Islam to Muslims
- Introducing Islam to non-Muslims
- क़ुरआन करीम
Introducing Islam to Muslims
आइटम्स की संख्या: 29
- मुख्य पृष्ठ
- अग्र-भाग की भाषा : हिन्दी
- विषयवस्तु की भाषा : सभी भाषाएँ
- Introducing Islam to Muslims
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
एकेश्वरवाद की वास्तविकता व अपेक्षाएं : एकेश्वरवाद ही सभी संदेष्टाओं के मिशन का आधार रहें है। अल्लाह सर्वशक्तिमान को उसके सर्वसंसार का एकमात्र सृष्टा, पालनहार और उपास्य व पूज्य होने, तथा उसके नामों और गुणों में उसे एकता मानने का नाम एकेश्वरवाद है। यह धारणा अगर विश्वास बन जाए तो मनुष्य और उसके जीवन पर बहुत गहरा, व्यापक और जीवंत व जीवन-पर्यंत सकारात्मक प्रभाव डालती है। लेकिन यह उसी समय संभव होता है जब एकेश्वरवाद की वास्तविकता भी भली-भांति मालूम हो तथा उसकी अपेक्षाएं (तक़ाज़े) अधिकाधिक पूरी की जाएं। वरना ऐसा हो सकता है और व्यावहारिक स्तर पर ऐसा होता भी है कि एक व्यक्ति ’एक ईश्वर’ को मानते हुए भी जानते-बूझते या अनजाने में अनेकेश्वरवादी (मुशरिक) बन जाता, तथा एकेश्वरवाद के फ़ायदों और सकारात्मक प्रभावों से वंचित रह जाता है। अनेकेश्वरवाद क्या है, इसे समझ लेना एकेश्वरवाद की वास्तविकता को समझने के लिए अनिवार्य है। प्रस्तुत लेख में इसका वर्णन किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
मनुष्य की रचना का मूल उद्देश्य अल्लाह सर्वशक्तिमान की उपासना व आराधना है। इस इबादत की कुछ शर्तें और नियम है जिनके बिना उपासना शुद्ध व मान्य नहीं होती। इस लेख में इस्लाम की दृष्टि में सही उपासना (इबादत) की शर्तों का उल्लेख किया गया है। चुनाँचे इबादत के शुद्ध व मान्य होने के लिए उसका उसके सबब (कारण), जाति (वर्ग, प्रकार), मात्रा, कैफियत (ढंग एवं तरीक़ा), समय और स्थान के अंदर शरीअत के अनुकूल होना अनिवार्य है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में शहादतैनः ला-इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की शहादत का वास्तविक अर्थ तथा उन शर्तों का उल्लेख किया गया है जिनका शहादतैन के पढ़ने वाले के अन्दर पाया जाना अनिवार्य है, ताकि यह शहादत उसके लिए आखिरत में लाभदायक सिद्ध हो।
- हिन्दी
- हिन्दी
- हिन्दी
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह लेखक : सलाह बिन मुहम्मद अल-बुदैर अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख मदीना नबविया की ज़ियारत करनेवालों के लिए कुछ निर्देशों पर आधारित है जिसमें उन चीज़ों का उल्लेख किया गया है जिनका करना वैध और धर्मसंगत है, जैसे - मस्जिदे नबवी की ज़ियारत करना और उसमें नमाज़ पढ़ना, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क़ब्र और आपके दोनों साथियों की क़ब्रों की ज़ियारत और उन पर सलाम, तथा मस्जिदे क़ुबा की ज़ियारत और उसमें नमाज़ पढ़ना, बक़ीउल गर्क़द और उहुद के शहीदों की उनपर सलाम पढ़ने और उनके लिए दुआ करने के लिए ज़ियारत करना। इसी तरह उन चीज़ों का भी उल्लेख किया गया है जिनका करना अवैघ और नाजायज़ है, जैसे - मस्जिदे नबवी के किसी भाग या नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कमरे की दीवारों या जालियों आदि को छूकर या चूकमकर बर्कत हासिल करना वग़ैरह।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के शिष्टाचार और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तथा आपके दोनों साथियों अबू बक्र व उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा पर सलाम पढ़ने के तरीक़े का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी
- हिन्दी
- हिन्दी
- हिन्दी
रोज़ा से संबंधित महत्वपूर्ण बातें: यह पुस्तिका हिंदी भाषा में है, जिसे डॉ. हैस़म सरहान ने लिखा है, जिसमें उन्होंने वाजिब एवं मुस्तहब रोज़ों के महत्वपूर्ण मसलों का उल्लेख किया है, तथा कब रोज़ा रखना मकरूह होता है एवं कब ह़राम इसे भी उजागर किया है, इसके अतिरिक्त सदक़ा -ए- फ़ित्र एवं ईद की नमाज़ से संबंधित अति महत्वपूर्ण फ़िक्ही मसलों को भी बयान किया है।
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हज्ज मबरुर और उसकी फज़ीलत : इस लेख में हज्ज मबरुर की फज़ीलत बयान करते हुए यह उल्लेख किया गया है आदमी का हज्ज मबरुर कब और कैसे होता है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुह क़ाइद अज़-ज़रीबी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में कुछ शिष्टाचार उल्लेख किए गए हैं जिनसे एक हाजी को हज्ज करने से पहले सुसज्जित होना ज़रूरी है।
- हिन्दी
अल्लाह तआला की महान कृपा और उपकार है कि उसने अपने बन्दों के लिए ऐसे नेकियों के मौसम और अवसर निर्धारित किये हैं जिन में वे अधिक से अधिक नेक कार्य करके अपने पालनहार की निकटता प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं। उन्हीं महान मौसमों और महत्वपूर्ण अवसरों में से एक ज़ुलहिज्जा के प्राथमिक दस दिन भी हैं, जिन्हें पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दिन बतलाए हैं। प्रस्तुत लेख में ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उनसे संबंधित कुछ प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
पर्दा सर्वप्रथम अल्लाह की उपासना है, जिसे अल्लाह ने अपनी व्यापक व अपार तत्वदर्शिता से औरतों पर अनिवार्य कर दिया है। पर्दा नारी के लिए पवित्रता, शालीनता और सभ्यता का प्रतीक, तथा उसके सतीत्व व मर्यादा का रक्षक है। पर्दा वास्तव में नारी के लिए प्रतिष्ठा और सम्मान का पात्र है। यह उसकी व्यक्तगत स्वतंत्रता के विरूद्ध या उसके विकास में रुकावट अथवा उसके लिए कलंक नहीं है, जैसाकि इस्लाम की शिक्षाओं और उसकी तत्वदर्शिता से अनभिग लोग तथा पक्षपाती एवं दोहरे मापदंड वाली मीडिया ऐसा दर्शाने की कुप्रयास करती रहती है। प्रस्तुत लेख में इस्लाम के निकट पर्दा की वास्तविकता, उसकी तत्वदर्शिता व रहस्य, उसके उद्देश्य और अच्छे परिणाम का उल्लेख किया गया है। इसी तरह आज के गैर-इस्लामी समाज की दुर्दशा और भयावह आँकड़े को प्रस्तुत करते हुए उन्हें इस्लामी जीवनशैली की प्रतिष्ठा की झलक दिखाकर उससे लाभान्वित होने का आमंत्रण दिया गया है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल्लाह बिन अहमद आल-अल्लाफ अल-गामिदी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत पुस्तिका में हाजियों के लिए हज्ज के छः दिनों के काम संक्षेप में उल्लेख किए गए हैं, जिसका आरंभ ज़ुल-हिज्जा की 8वीं तारीख से होता है और तश्रीक़ के अंतिम दिन 13वीं ज़ुल-हिज्जा को संपन्न हो जाता है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हज्ज और उम्रा के शिष्टाचारः प्रस्तुत लेख में कुछ ऐसे शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है जिनसे हज्ज या उम्रा करने वाले को सुसज्जित होना चाहिए।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल मलिक अल-क़ासिम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख मे इस्लामी जन्त्री के अन्तिम महीने ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उन नेक कामों का उल्लेख किया गया है जिन्हें इन दिनों में करना उचित है। साथ ही साथ इन दस दिनों में घटित होने वाली एक महत्वपूर्ण इबादत क़ुर्बानी और एक महान पर्व ईदुल अज़हा के अहकाम का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
ज़कात इस्लाम के कर्तव्यों में से एक महान कर्तव्य और उसका तीसरा महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसे अल्लाह तआला अपनी किताब में अनिवार्य किया है और अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने स्वयं ज़कात वसूल किया है और जिस पर ज़कात अनिवार्य है उस से वसूल करने का आदेश दिया है। इस लेख में ज़कात का हुक्म, उसके अनिवार्य होने प्रमाण, उसको रोकने या उसमें कंजूसी करने वाले के हुक्म का उल्लेख किया गया है। तथा जिन धनों में ज़कात अनिवार्य उनके प्रकार, उनका निसाब, अनिवार्य मात्रा, ज़कात निकालने का तरीक़ा और उसके हक़दार लोगों का वर्णन किया गया है।