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شرک اور اس کی خطرناکی

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    अल्लाह सर्वशक्तिमान के साथ शिर्क (बहुदेववाद) इस धरती पर अल्लाह की सबसे बड़ी अवज्ञा है। वास्तव में यह सबसे बड़ा अन्याय, सबसे बड़ा अत्याचार, सबसे बड़ा पाप, सबसे बड़ा भद्दा और सबसे बड़ा अपराध है। क्योंकि इसका संबंध सर्वसंसार के पालनहार सर्वशक्तिमान अल्लाह के साथ है। अनेकेश्वरवादियों का अधिकांश शिर्क अल्लाह की उपासना व पूजा कृत्यों में घटित हुआ है। जैसे- अल्लाह को छोड़कर दूसरों को पुकारना, विनती करना, या पूजा के कृत्यों में से किसी प्रकार को ग़ैरुल्लाह के लिए करना, जैसे कि अल्लाह के अलावा के लिए जानवर का बलिदान, मन्नत मानना, भय, आशा, प्रेम, तवक्कुल (भरोसा), इत्यादि। प्रस्तुत आडियो में इसी पर चर्चा किया गया है।

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    اللہ کے نام پر ذبیحہ دینا: عبادت کی بہت ساری قسمیں ہیں جن میں سے ذبح وقربانی ایک اہم عبادت ہے جسے صرف اللہ کیلئے کرنا واجب اور ضروری ہے،اور غیراللہ کے نام کا ذبیحہ یا نذرونیاز پیش کرنا یہ لعنت الہی کا موجب ہے اور شرک تک پہچنے کا سبب ہے جس سے بغیر سچی توبہ کئے انسان کی مغفرت نہیں ہوسکتی ہے۔ اس کیسٹ میں انہی امور کا تفصیلی بیان ہے۔

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    زيرنظرویڈیو میں شیخ عبد المجید بن عبد الوہاب مدنی حفظہ اللہ نے تعویذ وگنڈہ اور جھاڑپھونک کی شرعی حیثیت بیان کرکے مسلم معاشرے میں پھیلے ہوئے اس خطرناک برائی اورشعبدہ بازوں کی شعبدہ بازی ومکارى سے آگا ہ کیا ہے.تاکہ مسلمان اپنے قیمتى متاعِ حیات یعنی عقیدہ کو شرک وبدعت کی آ لائش سے محفوظ رکھ سکے.

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    वेलेंटासबसे बड़ा व सबसे महत्वपूर्ण काम अल्लाह सर्वशक्तिमाम का एकेश्वरवाद (तौहीद), और उसके साथ किसी को साझी न ठहराना है। यही इस्लाम धर्म की नींव और मौलिक सिद्धांत है। तथा यही सर्वप्रथम संदेष्टा नूह अलैहिस्सलाम से लेकर अंतिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तक सभी संदेष्टाओं का धर्म रहा है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस एकेश्वरवाद को स्थापित करने के लिए भरपूर संघर्ष किया और इसके महत्व को स्पष्ट किया। जबकि दूसरी तरफ, इसके विपरीत अनेकेश्वरवाद व बहुदेववाद से सावधान किया, उसके सभी रूपों और भेदों पर चेतावनी दी और उसकी कुरूपता व दुष्टता को स्पष्ट किया।