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अल्लाह सर्वशक्तिमान ने मनुष्य की रचना कर उन्हें नाना प्रकार के अनुग्रहों से सम्मानित किया है और साथ ही साथ कुछ आदेश और निषेध निर्धारित किए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है। परंतु अज्ञानता के कारण लोगों के अंदर उनके विचार, वचन और कर्म में अनेक ऐसी चीज़ें है प्रचलित हैं जो अल्लाह सर्वशक्तिमान के निकट महा पाप और जघन्य अपराध की श्रेणी में आती हैं। जबकि लोगों का हाल यह है कि वे उन्हें तुच्छ और हल्का समझते हैं, या कुछ लोग उन्हें धर्म का काम समझकर बड़ी आस्था के साथ करते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में उन्हीं हराम चीज़ों का खुलासा करते हुए, उनसे बचने का आह्वान किया गया है।
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- اردو مُقرّر : ذاكر حسين بن وراثة الله
- کالا علم نہ کہا جائے بلکہ کالا جادو کہا جائے۔ - جادو کا اثر حق ہے جیسے قتل اور میاں بیوی کے درمیان جدائی۔ جادو سے بچنے کے لئے چند مشروع اذکار: - صبح وشام «بسم الله الذي لا يضر مع اسمه شيء في الأرض ولا في السماء» پڑھنا۔ - گھر سے نکلتے وقت «بسم الله توكلت على الله ولا حول ولا قوة إلا بالله» پڑھنا۔
- اردو مُقرّر : شفیق الرحمن ضیاء اللہ مدنی مُقرّر : عبد المجید بن عبد الوہاب مدنی مراجعہ : شفیق الرحمن ضیاء اللہ مدنی
زيرنظرویڈیو میں شیخ عبد المجید بن عبد الوہاب مدنی حفظہ اللہ نے تعویذ وگنڈہ اور جھاڑپھونک کی شرعی حیثیت بیان کرکے مسلم معاشرے میں پھیلے ہوئے اس خطرناک برائی اورشعبدہ بازوں کی شعبدہ بازی ومکارى سے آگا ہ کیا ہے.تاکہ مسلمان اپنے قیمتى متاعِ حیات یعنی عقیدہ کو شرک وبدعت کی آ لائش سے محفوظ رکھ سکے.
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होतीं : अल्लाह ने अपने बन्दों दुआ करने का आदेश दिया है और उनसे वादा किया है कि उनकी दुआयें क़बूल करेगा। लेकिन हम में से बहुत सारे लोग शिकायत करते हैं कि हमने बहुत दुआ की, पर हमारी दुआ क़बूल नहीं हुई! सो प्रस्तुत व्याख्यान में कुछ उन कारणों का उल्लेख किया गया है जो दुआ की स्वीकृति में रुकावट बनती हैं, जैसे- हराम खान-पान, भलाई का आदेश देने व बुराई से रोकने के कर्तव्य का त्याग, दुआ के क़बूल होने में विश्वास की कमी, सुदृढ़ता के साथ दुआ न करना, पाप करना, इसी तरह इसका कारण यह भी हो सकता है अल्लाह के तत्वदर्शिता में यह हो कि दुआ करनेवाले आदमी की विशिष्ट मांग को पूरी न करने में ही भलाई हो।
- اردو مُقرّر : عطاء الرحمن ضياء الله مراجعہ : عطاء الرحمن ضياء الله
रोज़े की अनिवार्यता और उसके प्रावधानः प्रस्तुत आडियो में रमज़ान के महीने के रोज़े की अनिवार्यता, क़ुरआन व हदीस से उसकी अनिवार्यता के प्रमाणों, उसकी अनिवार्यता की शर्तों और रोज़े की तत्वदर्शिता का उल्लेख किया गया है। इसी तरह रोज़े के कुछ प्रावधानों, जैसे- रोज़े की नीयत, उसका अर्थ और नीयत का स्थान, तथा सेहरी करने की फज़ीलत व महत्व का उल्लेख किया गया है।
- اردو مُقرّر : عطاء الرحمن ضياء الله مراجعہ : عطاء الرحمن ضياء الله
रोज़ा तोड़नेवाली चीज़ें : इस व्याख्यान में रोज़े की अनिवार्यता का चर्चा करते हुए, उसकी अनिवार्यता को नकारने वाले अथवा बिना किसी वैध कारण के रोज़ा न रखने वाले का हुक्म उल्लेख किया गया है। तथा जिन लोगों के लिए रमज़ान के महीने में रोज़ा न रखने की छूट दी गई है, उनके कारणों का उल्लेख करते हुए, उन चीज़ों का खुलासा किया गया है जिनसे रोज़ा टूट जाता है। इसी तरह सेहरी करने और उसे अंतिम समय तक विलंब करने के बेहतर होने का चर्चा करते हुए, रमज़ान के दिन में संभोग करने के कफ्फारा (परायश्चित) पर सविस्तार प्रकाश डाला गया है।
- اردو مُقرّر : عطاء الرحمن ضياء الله مراجعہ : عطاء الرحمن ضياء الله
हिज्जा के दस दिनों की प्रतिष्ठा: इस उम्मत पर अल्लाह का बहुत बड़ा उपकार और एहसान है कि उसने उन्हें नेकी के ऐसे अवसर प्रदान किए हैं, जिनमें वे नेक कार्य कर अल्लाह की अधिक निकटता और कई गुना पुण्य और इनाम प्राप्त कर सकते हैं। उन्हीं अवसरों में एक महान अवसर ज़ुल-हिज्जा के महीने के प्राथमिक दस दिन हैं। ये साल के सबसे श्रेष्ठ दिन हैं, औ इनके अन्दर नेक कार्य करना अल्लाह को अन्य दिनों के मुक़ाबले मे अधिक प्रिय और पसंदीद है। इसिलए इन दिनों में अधिक से अधिक अल्लाहु अक्बर, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्हम्दुलिल्लाह कहना चाहिए, तथा अन्य उपासना कृत्य करना चाहिए। इन्ही दिनों में एक महान इबादत हज्ज भी अदा किया जाता है। प्रस्तुत व्याख्यान में इन्ही बातों का उल्लेख करते हुए, अल्लाह के पवित्र घर और वहाँ की स्पष्ट निशानियों- मक़ामे इब्राहीम, हज्रे-अस्वद, ज़मज़म के कुआं के उल्लेख
- اردو مُقرّر : عطاء الرحمن ضياء الله مراجعہ : عطاء الرحمن ضياء الله
रमज़ान के अंतिम दस दिनों की फज़ीलतः इस उम्मत पर अल्लाह का बहुत बड़ा उपकार है कि उसने उन्हें रमज़ान के अंतिम दस दिनों में एक ऐसी रात प्रदान किया है, जो हज़ार महीनों (अर्थात 83 वर्षों) से अधिक बेहतर है। इसीलिए इस रात को पाने के लिए पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एतिकाफ़ करते थे और नेकी के कार्यों में बहुत संघर्ष करते थे, रातों को जागते थे और अपने परिवार को भप जगाते थे। प्रस्तुत व्याख्यान में इसी पर चर्चा किया गया है।
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प्रस्तुत व्याख्यान में रमज़ान के महीने की फज़ीलत-प्रतिष्ठा और उसकी विशेषताओं पर चर्चा करते हुए, यह उल्लेख किया गया है कि रमज़ान खैर व बर्कत का महीना है, इसी महीने में सर्वमानव जाति के मार्गदशन के लिए क़ुरआन अवतरित हुआ, इसमे एक रात ऐसी है जिसका पुण्य एक हज़ार महीने की इबादत के बराबर है, और इसमें उम्रा करना हज्ज के बराबर है। तथा इस महीने की महान घड़ियों और क्षणों से भरपूर लाभ उठाने पर बल दिया गया है, और उसके रोज़ों के बारे में कोताही करने पर चेतावनी दी गई है और उसके दुष्परिणाम से अवज्ञत कराया गया है।
- اردو مُقرّر : ابو زید ضمیر مراجعہ : عطاء الرحمن ضياء الله
हज्ज और उम्रा के फज़ायल : प्रस्तुत व्याख्यान में हज्ज की अनिवार्यता, इस्लाम धर्म में उसके महत्व का उल्लेख करते हुए, दिव्य क़ुरआन और हदीस में हज्ज और उम्रा तथा उनके विभिन्न कार्यों के गुणविशेषण व प्रतिष्ठा का वर्णन किया गया है।